Bokaro: नर्सेज किसी भी अस्पताल की रीढ़ होती है। इस संकट के दौर में जहां लोग कोरोनावायरस से बचने के लिए घरो में कैद है, वही एक मात्र नर्सेज ही है, जो सबसे ज्यादा वक़्त कोरोना के मरीजों के बीच बिता रही है। ऐसा नहीं है की उन्हें वायरस का डर नहीं है, डर उनमे भी है- परिवार उनके भी है, पर उससे ऊपर उनके लिए देश, कर्तव्यनिष्ठा, शपथ और मानवता के लिए काम करने का जज्बा है। इस कोरोनाकाल में कई नर्सेज मरीजों की सेवा करते पॉजिटिव हो रही है। बड़ी बात यह है की ठीक होने के बाद फिर हँसते हुए कोवीड ड्यूटी कर रही है।
बोकारो के बीजीएच अस्पताल में जितने भी लोग स्वस्थ होकर लौट रहे है, उनमे से सभी इस बात से वाकिफ है कि भले ही डॉक्टर राउंड पर न आये हो, पर सिस्टर (नर्सेज) उनकी सेवा में हर समय खड़ी मिली है।

बीजीएच के 10 वार्ड बना है कोरोना वार्ड-
बीजीएच में 10 कोरोना वार्ड है। हर वार्ड में 35 से 50 बेड है। हर वार्ड में बीजीएच प्रबंधन ने एक शिफ्ट में दो नर्सेज की ड्यूटी लगा रखी है। दिन हो या रात उन दो नर्सेज के हवाले 40 करीब पेशेंट रहते है। फ्रंट में रहने के कारण सबसे ज्यादा नर्सेज को ही समस्याओ से जूझना पड़ता है। इन वार्ड में ड्यूटी करते हुए कई नर्सेज पॉजिटिव हो जा रही है। बीजीएच में 40 के करीब नर्सेज पिछले दो हफ्तों में ड्यूटी करते हुए वायरस से संक्रमित हो चुकी हैं।
कोविड वार्ड में ड्यूटी करना इतना आसान नहीं है, वह भी इस कोरोना के समय जब मरीज की हर एक साँस कीमती है। हालांकि बीजीएच में 200 के करीब नर्सेज है जिनमे 100 से ऊपर रेगुलर है बाकि ट्रेनी और इन्टर्न है, जिन्हे सब लोग ‘छोटी’ बुलाते है। इनमे से हर एक सिस्टर या छोटी को ड्यूटी रोस्टर के हिसाब से आठ घंटे कोवीड वार्ड में ड्यूटी करनी ही है।
कई सिस्टर कोरोना पॉजिटिव होने के बाद स्वस्थ हुई और अब फिर उसी जज्बे के साथ ड्यूटी कर रही है। इन्ही नर्सेज में सिस्टर मंजुला और सिस्टर सविता काफी चर्चे में है। कोवीड वार्ड में ड्यूटी के दौरान यह नर्सेज भी संक्रमित हो गई, तबियत ख़राब होने के बावजूद, इन्होने पुरे हफ्ते अपने रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी की और अपना फ़र्ज़ पूरा करने के बाद ही आइसोलेशन में गयी। सिस्टर मंजुला के पति भी पॉजिटिव हो गये हैं। उनके दो बच्चो को पड़ोसी और उनकी एक रिस्तेदार देखभाल कर रही है। परिवार की यह स्तिथि सिर्फ सिस्टर मंजुला की नहीं है, बल्कि हर उन नर्सेज की है जो अस्पताल में ड्यूटी करने के दौरान संक्रमित हो जा रही है।
पीपीई किट पहनकर आठ घंटे ड्यूटी करना कठिन काम-
सिस्टर अर्चना बताती है की पीपीई किट पहनकर आठ घंटे इस गर्मी में ड्यूटी करना बड़ा ही कठिन काम है। इस दौरान काफी पसीना होता है। ड्यूटी ख़त्म होने के बाद जब वह पीपीई किट खोलते है तो लगता है कि किसी ने एक बाल्टी पानी डाल दिया हो। जूते पसीने से ऐसे भीगे रहते है, जैसे बरसात के दिनों किसी पानी से भरे गड्ढे में पैर पड़ जाने से भीग जाते है।
कई बार मरीज व अटेंडेंट उलझ जाते हैं-
नर्सेज बताती है की कई मरीज बड़ी ही बेरुखी से पेश आते है। धमकाते भी है। और कभी-कभी उग्र हो जाते है। कुछ दिनों पहले कोवीड वार्ड में एक कोरोना के मरीज ने गुस्सा कर ड्यूटी कर रही नर्सेज पर हाथ चला दिया था। उक्त सिस्टर के साथ काम कर रही दूसरी नर्स ने यह वाकया प्रबंधन को बताया और सुरक्षा का अनुरोध किया। सिस्टर पुनिता बताती है की अक्सर बीमारी की हालत में मरीज चिड़चिड़े हो जाते है। उनकी अटेंडेंट भी काफी स्ट्रेस में रहते है। चुकी हम नर्सेज ही उनके इलाज के दौरान सामने रहती है, इसलिए वह हमसे उलझ जाते है। कई डॉक्टर्स भी आकर हमलोगो पर उखड जाते है। हमे बुरा लगता है, कभी-कभी बहुत बुरा लगता है, पर भगवान ने हमे सेवा करने के लिया बनाया है इसलिए हम हर विष पीकर भी हँसते हुए अपना कर्तव्य निभाते है।
नर्सेज कहती है की हमलोगो ने अपने अंदर के डर को मार दिया है। हम किसी के प्रति दुर्भावना भी नहीं रखते। हम चाहते है की हमारी सेवा में इतनी सात्विकता, समर्पण और ईश्वरत्व रहे की मरीज हँसते हुए ठीक होकर घर जाये। मरीजों, डॉक्टर्स और प्रबंधन से हर नर्स बस इतना चाहती है की उनको थोड़ी इज्जत, अच्छा व्यवहार और सपोर्ट मिले। सिस्टर मंजुला, सबिता, बी प्रसाद आदि ने कहा की हम जल्द ही ठीक होंगे, काम पर लौटेंगे और फिर कोरोना मरीजों की सेवा करेंगे।
