Bokaro: छठ महापर्व के अवसर पर घर से बाहर नहीं निकलने एवं तालाब नदियों में छठ पर्व नहीं करने सम्बन्धित झारखंड सरकार के फैसले पर लोगो में उदासी है। विरोधी दल के नेताओ के साथ-साथ कांग्रेस के लोगो ने इसपर अपनी प्रतिकिर्या देनी शुरू कर दी है। बोकारो ज़िले में बीजेपी के दोनों विधायक – बिरंचि नारायण और अमर बाउरी – ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए पुनर्विचार करने को कहा है। वही बोकारो के झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर सरकार के इस निर्णय को छठ के प्रति आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुँचाने वाला बताया हैं।
विरोधी दल के मुख्य सचेतक सहविधायक बिरंची नारायण ने कहा है कि लोक आस्था एवं सूर्य उपासना के महापर्व छठ पर झारखण्ड सरकार द्वारा इस प्रकार से प्रतिबंध लगाना सही नही हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस फैसले पर पुनर्विचार कर कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए छठ व्रतियों को अनुमति प्रदान की जानी चाहिए है। विधायक ने कहा कि सरकार का आदेश अविवेकपूर्ण है। ज्ञात हो कि छठ महापर्व पूर्णतः प्रकृति पूजा है जिसमें भगवान सूर्य व जल की पूजा है व्रती स्वयं दूरी और पवित्रता का पालन करते हैं। इसलिए छठ वर्तियों को रोकना सरासर गलत हैं। अन्य राज्यों की तरह यहां भी अनुमति दी जानी चाहिए।

चंदनक्यारी विधायक अमर कुमार बावरी ने हेमंत सरकार को चुनौती देते हुए कहा की वह और उनके भाजपा कार्यकर्ता छठ पर्व के अवसर पर स्वयं घाट में खड़ा रहेंगे, तथा छठ व्रतियों की सेवा में अपना श्रमदान करेंगे। राज्य सरकार के इस निर्णय के विरोध में जनता का जनाक्रोश इस सरकार को झेलना पड़ेगा। छठ का पर्व भगवान सूर्य की आराधना एवं स्वच्छता का पर्व है। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमर कुमार बाउरी ने यह भी कहा की मुख्यमंत्री अपने भाई के चुनाव में बड़ी बड़ी रैलियां एवं जुलूस कर सकते है, उस समय उनको कोरोना का विस्तार दिखाई नहीं दिया। और अब हिंदुओं के इस महान पर्व पर उनको कोरोना का विस्तार दिखाई दे रहा है।
बाउरी ने राज्य सरकार से मांग किया कि अपने इस फैसले को वापस ले एवं जनता की भावना को समझते हुए पूर्व की भांति जिस प्रकार छठ होते आ रहा है उसे लागू करे। इस पत्रकार वार्ता में पूर्व जिलाध्यक्ष रोहित लाल सिंह, जिला महामंत्री जयदेव राय, सांसद प्रतिनिधि भैया आर एन ओझा, हरे राम मिश्रा ,पूर्व जिला उपाध्यक्ष बीरभद्र सिंह, ए के वर्मा, पिण्ड्राजोरा पूर्व मंडल अध्यक्ष अशोक महथा, महिला मोर्चा झारखंड प्रदेश के पूर्व कोषाध्यक्ष अर्चना सिंह, सांसद प्रतिनिधि धर्मेन्द्र महथा,निमाई लाल महथा,बादल सिंह, संदीप महतो, गोउर रजवार, भानुप्रताप सिंह, कुलदीप कुमार, सचिन कुमार, सुरज रजवार, संजय बाउरी, कुलदीप महथा, राजेश पाण्डेय आदि उपस्थित थे।
इसी क्रम में जिला महांमत्री संजय त्यागी ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि कोरोना की आड़ में आस्था पर रोक लगाने वाला फैसला है। छठ महापर्व में व्रती व उसके परिवार सदस्य स्वयं में शारीरिक दूरी, पवित्रता का पालन करते हैं। ऐसे में अनावाश्यक आदेश सहयोगी दलों के दबाव में सरकार ने दिया है। इससे सरकार की तुष्टिकरण की नीति साफ झलकती है। सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने छठ पूजा नदी तालाब डैम लेक के किनारे नहीं करने के निर्णय को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि यह निर्णय छठ के प्रति आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुँचाने वाला निर्णय हैं।अधिकारी केवल कोविड19 को केंद्र बिंदू में रखकर निर्णय लेते हैं उन्हें यह भी समझना पड़ेगा आस्था के लोक पर्व छठ पूजा में असंख्य लोगों का विश्वास है और ऐसे में इस तरह का निर्णय सही नहीं है।
राजेश ठाकुर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अविलंब हस्तक्षेप करने की माँग करते हुए कहा कि छठ पूजा वर्षों वर्ष से लोग नदी और तालाब के किनारे मनाते आए हैं। कोविड 19 की वजह से सावधानी ज़रूरी है किंतु इसका मतलब क़तई ये नहीं है कि किसी को छठ घाट के किनारे पूजा करने से वंचित किया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को सख़्त निर्देश देकर छठ घाट पर कोविड19 के नॉर्म्स का पालन कराते हुए छठ पूजा करने की अनुमति दी जाए।
