मिठू सवाल| कसमार
Bokaro: कसमार प्रखंड के मंजुरा गांव में मकर संक्रांति के अवसर पर भेघा बिंदाना (तीरंदाजी) नामक एक अनोखी तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। दशकों पुरानी इस पारंपरिक तीरंदाजी प्रतियोगिता में विजेता को एक साल के लिए जमीन का एक हिस्सा उपहार में दिया जाता है।
परंपरा के अनुसार विजेता को कंधे पर उठाकर पूरे गांव में घुमाया जाता था। प्रतियोगिता में सौ से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता को देखने के लिए कार्यक्रम स्थल पर ग्रामीणों की भारी भीड़ थी जिसमें प्रतिभागियों को मैदान के बीच में स्थापित केले के तने पर निशाना साधना होता है।
इस बार कृष्ण किशोर महतो विजेता बने। प्रतियोगिता के दूसरा राउंड में ही मंजूरा गांव के रेहड़ागाढ़ा निवासी कृष्ण किशोर महतो ने केले के खंभे पर निशाना लगाकर विजेता बनने का गौरव हासिल किया। इससे पहले भी महतो एक बार विजेता बने थे। जबकि, इनके पिता बैजनाथ महतो कई बार निशाना साध विजेता बन चुके हैं। मालूम हो कि मंजूरा के महतो स्व. रीतवरण महतो के द्वारा शुरू की गई यह प्रतियोगिता विगत 100 सालों से भी ज्यादा समय से चली आ रही है।
प्रतिभागियों को निशाना साधने के लिए केला का खंभा गाड़ दिया जाता है एवं 101 कदम की दूरी से तीर- धनुष से लैस होकर ग्रामीण प्रतिभागी निशाना साधते हैं। जो प्रतिभागी सबसे पहले लक्ष्य को साधने में कामयाब हो जाते हैं, उसे 1 वर्ष के लिए 20 डिसमिल की जमीन उपहार स्वरुप दे दी जाती है। प्रतियोगिता से पहले परम्परानुसार स्व. रीतवरण महतो के वंशज एवं ग्रामीण गेन्दखेला नामक स्थान से पूर्वजों की बनाई हुई सूती धागा का गेंद खेल कर आते हैं।
गांव के “नया” के द्वारा पहला तीर मार कर प्रतियोगिता की शुरुआत की जाती है। गांव के ‘महतो’ के वंशज तीर चलाते हैं। तत्पश्चात प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। केला के खंभा लाने एवं गाड़ने की जिम्मेवारी गांव के ‘गौड़ायत’ की होती है। इससे पूर्व के वर्षों में बैजनाथ महतो, परमेश्वर घांसी, दिनेश महतो, सोमर महतो, पिंटू करमाली, गुप्तेश्वर महतो, जीतनारायण ठाकुर, भीषम महतो, गोबिंद तुरी, नरेंद्र प्रजापति, परमेश्वर घाँसी, लिटम तुरी आदि विजेता रह चुके हैं। मौके पर प्रमुख विजय किशोर गौतम, गिरिवर कुमार महतो, सतीश चंद्र महतो, ओमप्रकाश महतो, समाजसेवी मिथिलेश कुमार महतो, मतेश्वर सिंह, नरेश घाँसी, नरेश महतो, विजय घांसी, जानकी महतो, तेजू महली, बिंदु हजाम, भीषम महतो, मंटू तुरी, कान्हु महतो, जेठू महतो, रामानंद प्रसाद, लालकीशोर महतो, चेतु महतो, भोला कुमार, अनिल महतो, लखन महतो आदि मौजूद थे।
“बेझा बिंधा- द गेम ऑफ यूनिटी” डॉक्यूमेंट्री फिल्म हुई रिलीज
कसमार प्रखंड के मंजूरा में शुक्रवार को बेझा बिंधा के मौके पर ग्रामीण संस्कृति और एकता पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म “बेझा बिंधा- द गेम ऑफ यूनिटी” यू-ट्यूब पर मंजूरा गांव के नाया जानकी महतो ने रिलीज की। इस फिल्म का निर्माण मंजूरा निवासी आकाश सरोज ने किया है। इस फिल्म में मकर संक्रांति के मौके पर सुबह नजदीकी नदी में नहाने की परंपरा, तदोपरांत चूड़ा दही खाना, तत्पचात गेंद खेलने की परंपरा के उपरांत आखिर में केला के खंभा पर ग्रामीण तीर धनुष से निशाना साध विजेता बनने की परंपरा को दर्शाया गया है।
मंजूरा गांव के महतो सह प्रखंड प्रमुख विजय किशोर गौतम ने बताया कि आज से सैकड़ों वर्ष पहले मंजूरा के महतो स्व रीतवरण महतो के द्वारा शुरू की गई बेझा बिंधा नामक परंपरा गांव के सभी समुदाय मिल जुल कर हर वर्ष मनाते आए हैं। समाजसेवी मिथिलेश महतो ने बताया कि हमारे पूर्वजों के द्वारा शुरू किए गए परंपरा और रिवाज का लिखित इतिहास नही होने के कारण आधुनिक पीढ़ी अपनी परंपरागत संस्कृति से दूर होती जा रही है। इस फिल्म से युवा पीढ़ी को अपनी परंपरागत संस्कृति को देखने और समझने का मौका मिलेगा। इस दौरान मिथिलेश ने फिल्म के निर्माता आकाश सरोज को बधाई भी दी। डोक्यूमेंट्री फिल्म रिलीज के मौके पर गिरिवर कुमार महतो, सतीश चन्द्र महतो, ओमप्रकाश महतो, विनय कुमार, नरेश घाँसी, भीषम महतो, मंटू तुरी, बैजनाथ महतो, जीतनारायण ठाकुर आदि लोग मौजूद थे।