Bokaro: स्टील ऑथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के सेकंड फेज ऑफ़ एक्सपेंशन को लेकर उपयुक्त जमीन की तलाश जारी है। बता दें सेल में उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर दो अलग-अलग विज़न पर काम हो रहा है। आधुनिकीकरण के जरिये मौजूदा क्षमता को बढ़ाया जा रहा है, वही विस्तारीकरण योजना अंतर्गत जमीन तलाश कर नई इकाई लगाई जानी है।
बीएसएल प्लांट में आधुनिकीकरण को लेकर सिंटर प्लांट, कोक ओवन बैटरी, ऑक्सीजन प्लांट, एसएमएस 2 आदि इकाइयों की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है। इनमे एडिशन किये जा रहे है। जिसमे करोड़ो रूपये खर्च होंगे। पर बीएसएल में सेकंड फेज ऑफ़ एक्सपेंशन के तहत नई ग्रीनफ़ील्ड इकाई लगेगी की नहीं यह अभी फाइनल नहीं है।
अपने सेकंड फेज ऑफ़ मोडर्निज़ेशन और विस्तारीकरण के तहत सेल को 2030 तक अपनी प्रोडक्शन क्षमता को 50 मिलियन टन करना है। जो की उसके अभी के उत्पादन क्षमता से दुगुने से भी अधिक है। इसकी शुरआत 2023 से हो जाएगी। इसके लिए 2000 से 2500 एकड़ जमीन की तलाश सेल प्रबंधन पुरे जोर से कर रहा है।
बताया जा रहा है कि 2022 यानि साल के बचे हुए 11 महीनों में सेल को इस एक्सपेंशन से सम्बंधित संयंत्र लगाने के लिए जमीन फाइनल कर लेना है। यह काम सबसे जटिल भी है। सेल के भिलाई स्टील प्लांट के पास इतनी ज़मीन नहीं है। इसलिए यह एक्सपेंशन प्रोजेक्ट राउरकेला, बोकारो, बर्नपुर और दुर्गापुर स्टील प्लांटों में से किसी एक में ही हो सकेगा। जिसकी व्यवहार्यता अध्ययन सेल कर रहा है।
एक आला अधिकारी के अनुसार राउरकेला के पास पर्याप्त जमीन है, साथ ही दुर्गापुर और बर्नपुर के पास भी काफी जमीन उपलब्ध है जहां विस्तारीकरण हो सकता है। पर इन सभों में विस्तार के लिए सबसे अधिक प्राप्त संसांधन और भूमि बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के पास है। कुछ अधिकारियों का मानना है कि बीएसएल प्लांट के बाउंड्री के अंदर ही इतनी खाली ज़मीन पड़ी है की नई इकाई यहां आराम से लग सकती है। स्लैबिंग मिल भी बंद है। जिसको हटा कर विस्तारीकरण में इस्तेमाल किया जा सकता है।
सेल अपने एक्सपेंशन को लेकर काफी संजीदा है, और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लक्ष्य को जल्द से जल्द नई इकाई लाकर पूरा करना चाहता है। इस विकास को गति देने के लिए शांत माहौल के साथ-साथ अच्छी टीम और अनुकूल माहौल चाहिए। चर्चा यह भी है कि विस्तारीकरण के दूसरे चरण के बाद सेल इस देश का बड़ा स्टील उत्पादक हो जायेगा।
विस्तारीकरण के पहले चरण के काम की शुरुआत 2023 से आरम्भ होनी है। पहले चरण का काम वित्तीय वर्ष 2025-26 तक खत्म की जाएगी। ताकि दूसरे चरण का काम किसी भी हालत में सरकार द्वारा तय लक्ष्य के अनुसार 2030 तक पूरा किया जा सके।
चारो स्टील प्लांट के पास बची हुई खाली जमीनों की जानकारी जुटा ली गई है। प्लांट के अंदर की खाली जमीनों की मैपिंग करीब-करीब हो चुकी है। क्षमता विस्तार के लिए नया ब्लास्ट फर्नेस के साथ साथ रोलिंग मिल्स लगाए जाने की बात कही जा रही है।
पिछले साल शेयरधारकों को लिखे एक पत्र में, सेल के अध्यक्ष, सोमा मंडल ने कहा, “राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के अनुरूप, आपकी कंपनी ने अपना विजन 2030 तैयार किया है, जिसके तहत कच्चे इस्पात की क्षमता को 50 मिलियन टन तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कंपनी ने विस्तार के अगले चरण के लिए भूमि बैंक अध्ययन पर काम करना शुरू कर दिया है।