Bokaro: शिक्षा के माध्यम से समाज के केंद्र में शिक्षकों को रखकर ‘इंडिया’ को भारत बनाने की सोच के साथ ही नई शिक्षा नीति 2020 बनाई गई है। यह देश में क्रांतिकारी बदलाव का वाहक बनेगी और एक हजार साल की गुलामी को दूर करेगी। इसके लिए विद्यालय में शैक्षणिक-व्यवस्था का परिवर्तन अनिवार्य है। जब तक यह बदलाव नहीं होगा, देश नहीं बदलेगा और यह नई नीति विद्यालय की परिभाषा बदलेगी।’ ये बातें नई शिक्षा नीति 2020 तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS), भारत सरकार के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सीबी शर्मा ने कही।
प्रो. शर्मा डीपीएस बोकारो की मेजबानी में नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय से संबद्ध सेंटर फॉर एजुकेशनल डेवलपमेंट (सीईडी) फाउंडेशन की ओर से डॉ. राधाकृष्णन सहोदया स्कूल कांप्लेक्स, बोकारो के तत्वावधान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रारंभ में मुख्य वक्ता प्रो. शर्मा सहित सीईडी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. प्रियदर्शी नायक, डॉ. राधाकृष्णन सहोदया स्कूल कॉम्प्लेक्स के अध्यक्ष एवं डीपीएस बोकारो के प्राचार्य ए. एस. गंगवार, सहोदया के जिला प्रशिक्षण समन्वयक सह एमजीएम हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य फादर रेजी सी. वर्गीस तथा कॉम्प्लेक्स के महासचिव व एआरएस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य बिश्वजीत पात्रा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
विद्यालय की छात्राओं ने मनभावन स्वागत गान व नृत्य प्रस्तुत किया। अपने स्वागत संबोधन में श्री गंगवार ने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की महत्ता व उपादेयता पर प्रकाश डाला। परिचयात्मक सत्र में सीईडी फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. नायक ने एनईपी 2020 लागू करने व प्रभावशाली अध्यापन की दिशा में सीबीएसई द्वारा तय किए गए मानकों और विद्यालय स्तर पर किए जाने वाले प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की।
साजिश के तहत बनी थी मैकाले की शिक्षा-पद्धति
मुख्य वक्ता प्रो. शर्मा ने कहा कि 1700 वर्ष पहले भारत विश्व में सबसे अमीर देश था। हम 64 कलाओं के मालिक थे। दुनिया हमारा लोहा मानती थी। एक बार फिर भारत को अपनी सनातन गुरु-परंपरा से युक्त शिक्षा-प्रणाली देकर विश्वगुरु और सोने की चिड़िया बनाने की सोच के साथ नई शिक्षा नीति बनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से पहली बार देश में अब 1947 से पहले वाली सोच पर काम किया जा रहा है।
मैकाले की शिक्षा पद्धति देश से अंग्रेजी शासन खत्म होने के बाद भी भारतीयों को अंग्रेजी मानसिकता की दासता में बांधे रखने की एक साजिश थी, जो अब दूर होगी। विद्यालय 64 कलाओं का केंद्र होंगे, जहां बच्चे अपनी आंतरिक इच्छा के अनुकूल शिक्षा पाकर उसी क्षेत्र में अपना करियर व पेशा चुन सकेंगे।
देश में बदलाव का अगुवा बनें शिक्षक
प्रो. शर्मा ने शिक्षकों से कहा- पहले की तरह विद्यालय और समाज के केंद्र में जब शिक्षक होंगे तभी भारत बदलेगा। शिक्षक जीवन बनाते हैं। आप जो चाहेंगे, बच्चे वही बनेंगे। जिसकी जिस क्षेत्र में रुचि है, उसे उसी तरफ प्रोत्साहित करें। वह बच्चा निश्चय ही उस क्षेत्र में एक सफल व्यक्ति बनेगा। बच्चों को सभी कौशल में पारंगत बनाना ही नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य है। यही हमारी परंपरा भी थी। उन्होंने शिक्षकों से द्रोणाचार्य की भूमिका निभाते हुए एनईपी 2020 के जरिए देश में परिवर्तन का अगुवा बनने की अपील की।
उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 तैयार करने से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। इसके बाद इस नीति के तहत मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा, देशज खिलौनों से पढ़ने-लिखने की क्षमता का विकास, अमीरी-गरीबी का शैक्षणिक भेदभाव-उन्मूलन, बस्तारहित (बैगलेस) अनुभव-आधारित शिक्षण, शिक्षक-प्रशिक्षण, गांवों में शैक्षणिक सशक्तिकरण आदि पर बिंदुवार विस्तृत जानकारी दी। इस क्रम में उन्होंने प्रतिभागी शिक्षकों के प्रश्नों का उत्तर दे उनकी जिज्ञासाएं भी शांत कीं।
200 से अधिक प्रतिनिधि हुए शामिल
इस अवसर पर एनआईओएस (भारत सरकार) के एकेडमिक डिवीजन की अंशुल खरबंदा ने एनईपी को धरातल पर उतारने तथा इसे स्कूलों में लागू करने से संबंधित मुख्य क्षेत्रों की जानकारी दी। कार्यक्रम में सहोदया से जुड़े बोकारो के 21 विभिन्न विद्यालयों के 200 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। समापन राष्ट्रगान से हुआ। इस अवसर पर डीपीएस बोकारो के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत कला-प्रदर्शनी और यहां के महिला स्वावलंबन केंद्र ‘कोशिश’ के हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी को अतिथियों ने सराहा।