बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के निदेशक प्रभारी के पद पर चयनित हुए ईडी वर्क्स बीरेंद्र कुमार तिवारी को बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है. अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच भरपूर ख़ुशी है. पर बीतते समय के साथ लोगों ने अपनी चर्चाओं में इस बात का आकलन करना भी शुरू कर दिया है कि -नए डायरेक्टर इंचार्ज कुछ नया कर पाएंगे या नहीं ? या फिर, पहले के बड़े साहबो की तरह अपना कार्यकाल ख़त्म कर समस्याओं को वैसे ही छोड़ चले जायेंगे.
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चर्चाओं के आधार पर बीएसएल के नए डायरेक्टर इंचार्ज के सामने पांच बड़ी चुनौतियां मुंह बाये खड़ी है। यह चुनौतियां प्लांट के साथ-साथ बाहर टाउनशिप और जनहित से जुड़े समस्याओं की है। हालांकि बीरेंद्र कुमार तिवारी के जानने वाले उनकी प्रतिभा, अनुभव और कर्मठता की तारीफ करते हुए कहते है – ‘देखियेगा वह सबसे बेहतरीन डायरेक्टर इंचार्ज साबित होंगे’। कैयो का यह भी कहना है कि – यह तो आने वाला समय बताएगा की क्या होगा ?
यह है पांच बड़ी चुनौतियां–
बड़ा चैलेंज: BSL के इस प्रोजेक्ट के देरी से हो रहा करोड़ो का नुक्सान
बोकारो स्टील प्लांट (BSL) में सिंटर प्लांट की स्थापना में काफी देरी हो रही है। इसमें 1,111 करोड़ रुपये का अनुमानित निवेश है। जबकि परियोजना में समय की वृद्धि (time overrun) हुई है। बीएसएल के सिंटर प्लांट परियोजनाओं में हो रही देरी पर इस्पात मंत्रालय की भी नजर है। 28 मार्च 2023 को भारत के इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद को सूचित करते हुए बताया था कि भारत सरकार द्वारा संचालित सेल (SAIL) को अपने बोकारो की परियोजना को पूरा करने में देरी का सामना करना पड़ रहा है। इस बात को एक साल बीत गया, फिर भी स्तिथि जहां थी वहां ही है। साथ ही, सीआरएम 3 के ऑपरेशनल हुए इतने साल हो गए पर आजतक अपने पूरी क्षमता में उत्पादन नहीं कर पाया। बड़ी बात यह है कि, ईडी वर्क्स भी बीरेंद्र कुमार तिवारी ही है। आने वाले ब्राउनफ़ील्ड प्रोजेक्ट भी चुनौतियों से भरा है।
बड़ा चैलेंज: BSL की वैकल्पिक पाइपलाइन परियोजना बाधित
बीएसएल (BSL) वर्तमान में 34 किलोमीटर लम्बी तेनु नहर से पानी प्राप्त कर रहा हैं, जो तेनुघाट बांध से स्टील प्लांट के बीच हैं। प्लांट के नए ब्राउनफ़ील्ड प्रोजेक्ट से जुड़े उत्पादन वृद्धि की जरूरतों को देखते हुए बीएसएल दामोदर नदी से वैकल्पिक 5 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन लगा रहा है. 2019 से इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ जो कोरोना काल में जो बंद हुआ वह अबतक बंद है. विस्थापितों (Displaced) ने बीएसएल से नौकरी की मांग करते हुए काम बंद करवाया हुआ है। इस मामले का समाधान करने पूर्व डायरेक्टर इंचार्ज, अमरेंदु प्रकाश 23 फरवरी 2023 को अचानक बिना किसी को बताये पचौरा गावं पहुंच गए थे, विस्थापितों से बात भी की पर हुआ कुछ भी नहीं।
बड़ा चैलेंज: अतिक्रमण, अवैध कब्ज़ा से लोगों कि बढ़ती परेशानी
अतिक्रमण और अवैध कब्ज़ा- यह मुद्दा बीतें दो दशक से चला आ रहा है। जिससे बीएसएल की हर जगह बहुत किरकिरी हो रही है। पहले के अधिकारी इस मुद्दे को ‘socio-politico’ बताकर मुँह फेरते हुए निकल गए। अतिक्रमण के कारण जहां एक तरफ विस्थापित भड़के हुए है, वहीं वैध तरीके से रह रहे जिम्मेदार नागरिक भी कष्ट में है। कुछ दिनों पहले बिजली नियामक आयोग के सामने अतिक्रमण से उपजे बिजली चोरी को लेकर बीएसएल की जमकर फजीहत हुई। अवैध दुकान भी बदस्तूर बढ़ते जा रहे है। घरो पर अवैध कब्ज़ा चरम पर है। क्वार्टरों के वर्तमान स्टेटस की मैपिंग नहीं है। बीएसएल को करोड़ो-करोड़ राजस्व का नुक्सान हो रहा है और शहर भी असुरक्षित है।
बड़ा चैलेंज: शहर की खूबसूरती वापस लाना
बोकारो टाउनशिप जो अपने समय का सबसे मॉडर्न शहर था। अपनी खूबसूरती-अपनी क्षमता खो चूका है। तीन दर्ज़न से अधिक स्कूल बिल्डिंग खंडहर हो गए। सेक्टरों में स्तिथ क्लब भी अपनी चहलपहल खो चुके है। हेल्थ सेंटर अस्तित्व मिट गया है। पार्क तो बचा ही नहीं। लोगों के लिए कुछ मैदानों में क्रीड़ांगन बनना शुरू हुआ पर काम रुक गया। बोकारो ज़ू की हालत खस्ता है। खंडाला पार्क में भैस बंधे है। सिटी पार्क के म्यूजिकल फाउंटेन का उद्घाटन करा कर बंद कर दिया गया है। इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम को लोग सगूफा बता रहे है। बीजीएच का परफॉरमेंस मुद्दा बना हुआ है। शहर में प्रति दिन हो रहे 80 टन कचरा निस्तारण के लिए सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल प्लांट नहीं है। ऐसे माहौल में- पूरा शहर बुझा-बुझा सा है। कोई नया इन्वेस्टमेंट नहीं। रोजगार नहीं। व्यापार नहीं। कोई विज़न नहीं। जो है बंद हो रहा है।
बड़ा चैलेंज: खदान के पट्टे
झारखंड में दक्षिण मध्य के 247 हेक्टेयर (किरिबुरू मेघातुबुरु लौह अयस्क खानों के पट्टे I, II और III) के लाइसेंस (या विस्तार) की समय सीमा। झारखंड के ही झिलिंगबुरु -1 – चरण 2 वन मंजूरी के लिए आवेदन किए गए थे। साथ ही झारखंड में टोपैलोर जैसी कुछ खदानों में फरवरी 2023 से लौह अयस्क का प्रेषण शुरू होने की उम्मीद थी, जो नहीं हुआ। 26 मार्च 2023 में इस्पात मंत्रालय ने उल्लेख किया था कि सेल की 19 गैर-परिचालन खदानों में से 13 की लीज मार्च 2022 को समाप्त हो गई थी। खान मंत्रालय की सलाह के बाद, इस्पात मंत्रालय द्वारा सेल-बीएसएल को निर्देश दिया गया था की वह राज्य सरकारों के साथ मामले को आगे बढ़ाये।