Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

Bokaro: पांच स्कूल बने ‘डीएवी-इस्पात विद्यालय’, SAIL-BSL से हो गया MOU, रोजगार-फीस…पढ़ें पूरी डिटेल


Bokaro: बोकारो शहर में बीएसएल स्कूलों की चमक वापस लौटने वाली है। सेल-बीएसएल (SAIL-BSL) और दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसाइटी (DAV Society) के बीच स्कूल संचालन को लेकर एमओयू (MOU) हो गया। बीएसएल द्वारा संचालित इन पांच स्कूलों के नाम अब डीएवी-इस्पात विद्यालय (DAV Ispat Vidyalaya) कर दिए गए है।

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क्रेडिट गोज टू…
शहर में स्कूलों के बेहतरी को लेकर उठाया गया यह ऐतहासिक कदम सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (पी एंड ए) राजन प्रसाद के नायाब सोच का नतीजा है। डीएवी ग्रुप के रीजनल डायरेक्टर, झारखण्ड, अरुण कुमार ने भी सेल के इस पहल को पुख्ता करने में अहम् भूमिका निभाई है। इन बीएसएल स्कूलों के डीएवी के खाते में आने के बाद डीएवी ग्रुप का बोकारो में कुल 14 और पूरे झारखण्ड में कुल 81 स्कूल हो गए।

डीएवी इस्पात विद्यालय: क्वालिटी बेहतरीन-फीस बेहद कम
यह स्कूल शहर में अन्य बड़े स्कूलों की तरह इंग्लिश मीडियम होंगे और इनमे CBSE माध्यम से पढ़ाई होगी। इस नई व्यवस्था में जहाँ बच्चों को उच्च क्वालिटी शिक्षा मुहैया कराई जाएगी, वहीं अन्य निजी स्कूलों की तुलना में फीस काफ़ी कम होगी। स्कूलों के परिचालन का वित्तीय भार पूर्णतः बीएसएल द्वारा वहन किया जाएगा जबकि इसके संचालन की जिम्मेवारी डीएवी की रहेगी। बताया जा रहा है कि अगले सत्र यानि इसी 1 अप्रैल से इन स्कूलों का संचालन DAV शुरू कर देगा। इन सभी स्कूलों की मरम्मती, रंगाई-पुताई और नवीकरण का कार्य किया जा रहा है।

रोजगार के अवसर: शिक्षकों-स्टाफ की बहाली
जहां एक ओर शहर के दूसरे प्राइवेट स्कूलों के बच्चे इन स्कूलों में एडमिशन लेकर बहुत ही कम फीस में क्वालिटी एजुकेशन प्राप्त कर सकेंगे। वहीं दूसरी ओर यह स्कूल शहर में रोजगार के नए और बेहतरीन अवसर भी लेकर आये है। बताया जा रहा है कि इन स्कूलों में नर्सरी से लेकर क्लास 12 तक की शिक्षा दी जाएगी। जिसके लिए सीबीएसई मापदंड के अनुसार करीब 120 शिक्षक सहित 200 स्टाफ की भर्ती पहले चरण में होने का अनुमान है।

बीएसएल: झारखण्ड का सबसे बेहतरीन स्कूल बनाने का सपना
यह स्कूल सेक्टर 2C, सेक्टर 8B, सेक्टर 11D, सेक्टर 9E और सेक्टर 12E में खुलेंगे। इन स्कूलों में कार्यरत लोगो का वेतन शहर के दूसरे प्राइवेट स्कूलों से काफी बेहतर होगा। बता दें, इन स्कूलों के संचालन में सेल-बीएसएल को हर वर्ष करोड़ो रूपये का आर्थिक बोझ पड़ेगा।

इन स्कूलों के शिक्षको के बहाली (Recruitment) में बोकारो के दूसरे बड़े स्कूलों के शिक्षकों को वरीयता (Preference) मिलने की बात कही जा रही है। सेल-बीएसएल के टॉप अधिकारियो की यह सोच है की यह स्कूल पढ़ाई के साथ-साथ हर मामले में इस राज्य के सबसे बेहतरीन शैक्षणिक संस्थान बने।

बीएसएल ने स्थापित किये थे 42 स्कूल: बचे सिर्फ 9
बीएसएल कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से, मूल रूप से 42 स्कूल स्थापित किए गए थे। समय के साथ, जैसे-जैसे SAIL कर्मचारियों और उनके बच्चों की संख्या में धीरे-धीरे गिरावट आई, कई स्कूलों का विलय कर दिया गया और स्कूलों की वर्तमान संख्या घटकर 09 हो गई, जिनमें से 08 CBSE से संबद्ध हैं और एक से संबद्ध है।

बीएसएल ने डीएवी को ऐसे किया आउटसोर्स: यह होगी व्यवस्था
इन स्कूलों की आउटसोर्सिंग के लिए टेंडर जारी किया गया था. उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद, सभी बोलीदाताओं के बीच डीएवी का चयन किया गया। तदनुसार, अब बीएसएल के सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों के दैनिक कामकाज को डीएवी समूह को आउटसोर्स करने का निर्णय लिया गया है।

इस व्यवस्था के तहत, बीएसएल और डीएवी दोनों के सदस्यों और बीएसएल के एक वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता वाली एक केंद्रीय सलाहकार समिति स्कूलों के कामकाज की निगरानी करेगी, जबकि स्कूल के दैनिक प्रबंधन को डीएवी द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।

बीएसएल के चीफ ऑफ़ कम्युनिकेशन मणिकांत धान ने कहा
“नई व्यवस्था अप्रैल, 2024 से लागू हो जाएगी और इस नई व्यवस्था के तहत संचालित स्कूलों का नाम अब डीएवी-इस्पात विद्यालय कर दिया जाएगा। झारखंड एकेडमिक काउंसिल. सभी 09 स्कूलों में लगभग 3300 छात्र नामांकित हैं, जिनमें बीएसएल श्रेणी का प्रतिशत केवल 8% है, जिसमें बीपीएससीएल, होम गार्ड, सहकारी क्रेडिट सोसायटी इत्यादि जैसी समान श्रेणियां शामिल हैं। बीएसएल स्कूलों में पढ़ने वाले कई छात्र वंचित वर्ग से आते हैं। सोसायटी जिनसे नाममात्र शुल्क लिया जाता है।

बीएसएल इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों, विशेषकर बोकारो स्टील सिटी और इसके आस-पास के क्षेत्रों के वंचित वर्गों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। अब उन्हें नवीनतम पाठ्यक्रम और शिक्षा नीति के अनुरूप आधुनिक शैक्षणिक पद्धतियों की भी उपलब्धता होगी।”

बड़ी खबर: प्रधानमंत्री के झारखंड आगमन के दिन, Bokaro Steel को अपने जर्जर स्कूलों को प्राइवेट हाथों में सौंपने की मिली मंजूरी

 


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