Bokaro: बोकारो की सड़कों पर हर सुबह बालू से लदे अवैध ट्रैक्टरों की कतारें आम नजारा बन चुकी हैं। ऐसे में जिला खनन कार्यालय का “सख्ती” का दावा किसी मजाक से कम नहीं लगता। कार्यालय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर घोषणा की कि अक्टूबर और नवंबर में उन्होंने 851 टन खनिज जब्त किए, 78 वाहन पकड़े, 18 एफआईआर दर्ज की, और ₹587,900 का राजस्व वसूला। हालांकि, जब हर दिन सड़कों पर दर्जनों अवैध ट्रैक्टर देखे जाते हैं, तो यह आंकड़े महज एक दिखावा प्रतीत होते हैं।
सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि इन दो महीनों में अवैध कोयले की जब्ती सबसे कम, मात्र 514 टन रही, जबकि अवैध बालू की जब्ती सबसे अधिक 227 टन दर्ज की गई। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
कागजों पर सख्ती, सड़कों पर बेफिक्री
खनन कार्यालय द्वारा अपनी “चौकीदारी” की जो तस्वीर पेश की गई है, वह कागजों तक ही सीमित लगती है। ग्रामीण और शहरी इलाकों में दर्जनों अवैध ट्रैक्टर बिना किसी डर के दौड़ते नजर आते हैं। जनता का विश्वास इन दावों पर इसलिए नहीं जमता क्योंकि जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत है। आंकड़ों के इस खेल से यह प्रतीत होता है कि कार्रवाई केवल उपलब्धि भरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए की ही जाती है।
जब्ती और वसूली का गणित
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अक्टूबर में 708 टन और नवंबर में 143.9 टन खनिज जब्त किए गए। 78 वाहनों को पकड़ा गया और 18 एफआईआर दर्ज की गईं। लेकिन बालू माफिया के लाखों-करोड़ों के मुनाफे के सामने ₹587,900 की वसूली किसी चुटकी भर नमक के समान लगती है। यह राशि न केवल अपर्याप्त है बल्कि माफिया के लिए एक मामूली खर्च जैसा प्रतीत होता है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
जनता की शंका और खनन कार्यालय की आत्मप्रशंसा
शहरवासियों का मानना है कि खनन कार्यालय की कार्रवाई केवल दिखावे के लिए है। अगर वास्तव में सख्ती की जाती, तो सड़कों पर अवैध खनन का खेल यूं खुलेआम नहीं चलता। जनता इन आंकड़ों को महज कागजी खेल मानती है, और खनन कार्यालय की पीठ थपथपाने वाली प्रेस विज्ञप्ति पर व्यंग्य करने का उनको अवसर मिल जाता है।
क्या यह मात्र आंकड़ों का खेल है?
अवैध खनन रोकने की दिशा में खनन कार्यालय की यह कार्रवाई गंभीर प्रयासों की बजाय आंकड़ों का एक खेल बनकर रह गई है। बालू माफिया हर दिन बिना किसी डर के अपनी गतिविधियां जारी रखता है। ऐसे में जनता के बीच यह सवाल उठता है कि आखिर इस सख्ती का वास्तविक उद्देश्य क्या है – अवैध खनन को रोकना या केवल औपचारिकताएं पूरी करना ?
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