Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

तीन टुकड़ों में कटा चेहरा, 50 घंटे की बेहोशी, 7 घंटे सर्जरी, 131 टांके- डॉक्टरों ने ऐसे दी नई जिंदगी


बोकारो जेनेरल अस्पताल (BGH) के डॉक्टरों की टीम ने मौत को मात दे दी। एक ऐसा मामला, जहां इंसान के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, वहां डॉक्टरों ने चमत्कार कर दिया। 25 फरवरी 2025 की रात 8.30 बजे बीजीएच के आपातकालीन कक्ष (Casualty) में एक 22 वर्षीय युवक को गंभीर हालत में लाया गया। तलवार के भीषण वार से उसका चेहरा तीन टुकड़ों में कट चुका था, गर्दन और सिर पर गहरे घाव थे, और सांसें उखड़ रही थीं। खून से लथपथ इस मरीज को देखकर सभी के रोंगटे खड़े हो गए, लेकिन बीजीएच के डॉक्टरों की टीम ने इसे जीवनदान देने का संकल्प ले लिया।पहले: खून रोकने और सांसें बहाल करने की जंग- Video…

जैसे ही मरीज को कैजुअल्टी में लाया गया, डॉक्टरों ने बिना एक पल गंवाए जान बचाने की कोशिश शुरू की। खून लगातार बह रहा था, सांसें थमने को थीं, लेकिन डॉक्टरों की टीम डॉ. अनिंदा मंडल के नेतृत्व में डटी रही। मरीज को तुरंत ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया, जहां डॉ. सतीश के मार्गदर्शन में जनरल सर्जन डॉ. अखिलेश और उनकी टीम ने 7 घंटे तक ऑपरेशन कर खून बहना रोका। इस दौरान मरीज की नाक और मुंह से सांस लेना असंभव हो चुका था, इसलिए डॉ. बृजेश के नेतृत्व में ENT टीम ने ट्रेकियोस्टोमी (गले में सांस लेने का वैकल्पिक मार्ग) बनाकर उसे सांस दी। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

दूसरी लड़ाई: सीने में खून का रिसाव और संक्रमण से बचाव
ऑपरेशन के बाद मरीज को क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) में भर्ती किया गया, क्योंकि अत्यधिक रक्तस्राव के कारण खून उसके फेफड़ों में पहुंच चुका था, जिससे उसे घातक संक्रमण का खतरा था। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की कड़ी मेहनत से मरीज को धीरे-धीरे स्थिर किया गया। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

सबसे बड़ा ऑपरेशन: टूटा हुआ चेहरा जोड़ने का चमत्कार
मरीज की हालत में सुधार होते ही 6 मार्च 2025 को प्लास्टिक सर्जरी टीम ने सबसे चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम दिया। डॉ. अनिंदा मंडल के नेतृत्व में डॉ. अभिषेक खलखो, डॉ. पुष्पा रंजन और डॉ. तेजस्वी गुप्ता की टीम ने 7 घंटे तक ऑपरेशन कर चेहरे की टूटी हड्डियों, नाक, होंठ और गाल को फिर से जोड़ने का कमाल कर दिखाया। इस दौरान डॉ. अभिजीत दाम, डॉ. राजेश राज और उनकी एनेस्थीसिया टीम ने पूरी सर्जरी में मरीज को स्थिर बनाए रखा।

टीमवर्क और समर्पण ने किया असंभव को संभव
इस पूरे इलाज के दौरान बीजीएच के कैजुअल्टी, सीसीयू, ओटी और वार्ड 2सी की नर्सिंग टीम ने चौबीसों घंटे काम किया, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकी। यह अद्भुत सफलता डाक्टर अनिंदा मंडल के निगरानी में बीजीएच के डॉक्टरों की टीम वर्क, समर्पण और उत्कृष्ट चिकित्सा कौशल का नतीजा है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

सेल (SAIL) की ट्रेनिंग ने दी टीम वर्क की सीख
बीजीएच (BGH) के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर अनिंदा मंडल का कहना है कि इस चमत्कारी सफलता के पीछे सिर्फ चिकित्सा विज्ञान ही नहीं, बल्कि सेल (SAIL) के अधिकारियों को आईआईएम कोझीकोड (IIM Kozhikode) में दी गई ट्रेनिंग भी एक बड़ा कारण बनी। यहां डॉक्टरों और अधिकारियों को टीम वर्क और कार्यस्थल पर सकारात्मक बदलाव लाने की सीख दी जाती है, जिसने इस ऑपरेशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सभी बदलावों को लाने में बीजीएच के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर विभूति करुणामय की भी स्वीकृति रही।

राज महथा को मिली नई जिंदगी
बीएसएल के चीफ ऑफ़ कम्युनिकेशन, मणिकांत धान ने कहा – “जो मरीज अस्पताल पहुंचते वक्त मौत के दरवाजे पर खड़ा था, वह आज नई जिंदगी की ओर बढ़ रहा है। बीजीएच के डॉक्टरों की इस टीम ने साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो और टीम में समर्पण हो, तो कोई भी असंभव को संभव बनाया जा सकता है। अब राज महथा पूरी तरह ठीक है और जल्द ही अपने परिवार के पास लौटने के लिए तैयार है।Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

मौत को मात देकर घर लौट रहा है राज महथा, कहा – “डॉक्टरों ने मुझे नई जिंदगी दी!”
तलवार के भीषण हमले में गंभीर रूप से घायल राज महथा अब स्वस्थ हो रहा है और मंगलवार को डिस्चार्ज होगा। राज ने कहा, “डॉक्टरों ने मुझे नया जीवन दिया, मैं उनका शुक्रगुजार हूँ.” उनके पिता प्रकाश महथा, जो चास ब्लॉक के काशी झरिया में चाय की दुकान चलाते हैं, ने कहा – “हम सबसे पहले नीलम नर्सिंग होम गए थे, लेकिन वहाँ के डॉक्टरों ने राज की हालात गंभीर देखकर हमें तुरंत बीजीएच ले जाने को कहा। राज बेहोश था, खून लगातार बह रहा था, नाक कटकर झूल रही थी, गाल बुरी तरह कटा हुआ था और उसकी सांस बहुत धीमी चल रही थी। लेकिन बीजीएच के डॉक्टरों ने हर संभव कोशिश कर उसकी जान बचा ली। हम उनके दिल से आभारी हैं।” Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

 

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