झारखंड में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों को लेकर मीडिया जगत में भारी आक्रोश है। बुधवार को धनबाद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकारों पर खुलेआम हमला किए जाने की घटना ने बोकारो समेत पूरे राज्य के मीडियाकर्मियों को झकझोर कर रख दिया है। पत्रकार संगठनों ने इस बर्बरता की निंदा करते हुए एकजुट होकर विरोध जताना शुरू कर दिया है। बोकारो में सोशल मीडिया पत्रकारों ने की तीव्र प्रतिक्रिया
गुरुवार को बोकारो जिले के सोशल मीडिया पत्रकारों ने भी इस घटना के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की। बोकारो सोशल मीडिया क्लब के बैनर तले पत्रकारों ने धनबाद की घटना की कड़ी निंदा की और आंदोलन को समर्थन दिया। उन्होंने झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार के शासन में पत्रकारों पर हो रहे लगातार हमलों पर चिंता जताई।
पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग
बोकारो सोशल मीडिया के पत्रकार आर यादव ने कहा कि जिस प्रकार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धनबाद में पत्रकारों का सड़क पर पीछा किया और डंडों से पीटा, वह बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा को देखते हुए राज्य सरकार को “पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट” तुरंत लागू करना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि पत्रकारों से दुर्व्यवहार की घटना बोकारो में 4 दिसंबर को बोकारो बंद के दौरान कांग्रेस और जयराम समर्थकों द्वारा भी की गई थी।
मीडिया प्रतिनिधियों का गुस्सा फूटा
डी फोकस के हिमांशु ने कहा कि झारखंड में लोकतंत्र की जगह राजतंत्र जैसा माहौल बन गया है। उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की। भारत सिटी लाइफ के सुरेंद्र कुमार ने कहा कि अब पत्रकारों को भी सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना होगा। करेंट बोकारो के एसपी रंजन ने आरोपियों को सख्त सजा देने की मांग की। हमारा बोकारो के अभय कुमार प्रजापति ने धनबाद की घटना पर आक्रोश व्यक्त करते हुए आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की।
प्रिंट मीडिया की स्पष्ट मांग: एकजुटता और ठोस कार्रवाई जरूरी
बोकारो के प्रिंट मीडिया से जुड़े सभी पत्रकारों ने भी धनबाद में पत्रकारों पर हुए हमले की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब पत्रकार समुदाय को एकजुट होकर ऐसे हमलों के खिलाफ मजबूत आवाज उठानी होगी। उन्होंने कहा कि मीडिया पर बार-बार हो रहे हमले पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला हैं और इसके खिलाफ अब चुप नहीं रहा जा सकता।
वरिष्ठ पत्रकारों का विरोध और चेतावनी
दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद सिंह ने इस घटना को लोकतंत्र पर सीधा प्रहार बताया और कहा कि धनबाद की घटना अत्यंत शर्मनाक है। वहीं प्रभात खबर के राणा रंजीत और मुकेश झा ने भी इस घटना की कठोर निंदा करते हुए कहा कि यह केवल पत्रकारों पर नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है। राणा रंजीत ने यह भी याद दिलाया कि बोकारो में विस्थापितों के आंदोलन के दौरान भी पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार हो चुका है।
अन्य पत्रकारों की तीखी प्रतिक्रिया
धर्मनाथ, राजेश राज, राममूर्ति प्रसाद, चुमन, सुरेंद्र सावंत, सुरेंद्र कुमार, राजेश कुमार समेत अन्य प्रिंट पत्रकारों ने भी एकजुट होकर घटना की भर्त्सना की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। राममूर्ति प्रसाद ने कहा कि पत्रकारों के लिए सुरक्षित माहौल जरूरी है, लेकिन राज्य में हालात इसके उलट हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में बोकारो में विस्थापित आंदोलन के दौरान पत्रकारों के मोबाइल तोड़े गए थे और अब धनबाद में हमला हुआ है। यह सिलसिला खतरे की घंटी है और सरकार को पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर तत्काल गंभीरता दिखानी चाहिए।