बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता रजा मुराद (Raza Murad) ने बोकारो में अपनी पहली यात्रा के दौरान शहर को ‘मुल्क की नाक’ बताया, उसकी महत्ता और इस्पात उद्योग के योगदान पर जोर दिया। अभिनेता ने फिल्म इंडस्ट्री में आए बदलावों, बायोपिक्स की बढ़ती लोकप्रियता और कास्टिंग डायरेक्टर की अहम भूमिका पर चर्चा की। साथ ही, उन्होंने अपनी फिल्मों के यादगार डायलॉग्स भी सुनाए और अपनी आवाज के बारे में कहा कि यह ऊपर वाले की देन है। अभिनेता बोकारो में एक शादी समारोह में शामिल हुए और दूल्हा-दुल्हन को अपनी शुभकामनाएं दीं….
बोकारो को बताया मुल्क की नाक
बॉलीवुड एक्टर रजा मुराद पहली बार बोकारो पहुंचे और इस शहर को देश की “नाक” बताते हुए गर्व महसूस किया। उन्होंने कहा कि बोकारो में इस्पात का सबसे बड़ा कारखाना है, जो देश की तरक्की में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने बोकारो वासियों को सलाम करते हुए कहा कि यहां के लोगों के दिल भी ‘सील’ (स्टील) के बने हुए हैं।
पहली बार बोकारो आगमन का अनुभव
अभिनेता ने कहा कि वे पहले रांची और हजारीबाग आ चुके हैं, लेकिन यह पहली बार है जब वे बोकारो आए हैं। देर रात पहुंचने के कारण शहर को पूरी तरह से देख नहीं पाए, लेकिन उन्हें यहां आने की बड़ी ख्वाहिश थी। उन्होंने इसे नसीब और रस्म दोनों करार दिया।
बॉलीवुड में बदलाव की चर्चा
हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रजा मुराद ने बातचीत के दौरान फिल्म इंडस्ट्री में हुए बड़े बदलावों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पहले केवल हीरो ही कास्टिंग करता था, लेकिन अब कास्टिंग डायरेक्टर, प्रोडक्शन हाउस जैसी संस्थाएं बन गई हैं। इससे बेहतर और अधिक प्रोफेशनल माहौल बना है। उन्होंने इस बदलाव को सकारात्मक बताया।
बायोपिक फिल्मों की बढ़ती लोकप्रियता
रजा मुराद की गिनती बॉलीवुड के खूंखार खलनायकों में होती है।अभिनेता ने बायोपिक फिल्मों की बढ़ती संख्या पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि पहले बायोपिक नहीं बनती थीं, लेकिन अब एमएस धोनी, सचिन तेंदुलकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे खिलाड़ियों पर फिल्में बनी हैं, जो समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
अपने डायलॉग से की सबको भावुक
जब उनसे उनकी किसी प्रसिद्ध फिल्म का डायलॉग सुनाने को कहा गया, तो उन्होंने दमदार अंदाज़ में कहा:
“अजीत सिंह, तुम शेर हो और हम कुत्ते… लेकिन कभी-कभी कुत्तों के भी दिन आते हैं!”
उनकी आवाज और अंदाज ने वहां मौजूद सभी लोगों को भावुक कर दिया।
आवाज और टैलेंट को बताया ऊपर वाले की देन
अभिनेता रजा मुराद ने कहा कि आवाज और टैलेंट ऊपर वाले की देन होते हैं, इन्हें बनाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि “जो कुछ होगा, वो तेरे करम से होगा”, और इसी भावना के साथ उन्होंने अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश की है।
बदलते दौर को अपनाने की बात
उन्होंने कहा कि हर कलाकार का एक जमाना होता है। जैसे आज सचिन तेंदुलकर क्रिकेट नहीं खेलते, वैसे ही उन्होंने भी अपने समय का अच्छा दौर देखा है। लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि आज भी लोग उन्हें उनकी फिल्मों के जरिए याद करते हैं।
राज कपूर और भंसाली के साथ यादगार काम
उन्होंने बताया कि उन्होंने राज कपूर के साथ तीन और संजय लीला भंसाली के साथ चार फिल्में की हैं, जो आज भी लोगों के दिलों में हैं। इन्हीं फिल्मों के कारण आज भी लोग उन्हें पहचानते हैं और पसंद करते हैं।
निजी संबंधों और आमंत्रण का सम्मान
इस दौरे का निजी कारण बताते हुए रजा मुराद ने कहा कि वे अपने मित्र सुनील कुमार दुबे के आमंत्रण पर एक शादी समारोह में शामिल होने आए हैं। उन्होंने दूल्हा-दुल्हन को शुभकामनाएं दीं और कहा कि ऐसे मौके रिश्तों की गहराई को दिखाते हैं।