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बेटियाँ बोझ नहीं, भविष्य हैं ! Bokaro में बेटियों के लिए उठे नए कदम


Bokaro: बोकारो के कैंप टू स्थित जायजा हैपनिंग सभागार में शुक्रवार को जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा “गंभीर तीव्र कुपोषण (सैम)” और “मध्यम तीव्र कुपोषण (मैम)” से पीड़ित बच्चों के प्रबंधन को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उपायुक्त अजय नाथ झा ने की। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. ए. बी. प्रसाद और जिला समाज कल्याण पदाधिकारी डॉ. सुमन गुप्ता समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

उपायुक्त का संदेश – स्वस्थ बच्चे, स्वस्थ देश 
उपायुक्त ने कहा कि बच्चों और महिलाओं को संपूर्ण पोषण मिलना देश की सेहत के लिए अनिवार्य है। सैम और मैम बच्चों की पहचान कर उन्हें कुपोषण से मुक्त करने की दिशा में ठोस प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने सीडीपीओ, एमओआईसी, सेविका व सहायिका को प्रशिक्षण में बताई गई बातों को जमीनी स्तर पर लागू करने के निर्देश दिए।

बेटियों को बनाएं आत्मनिर्भर, मनाएं जन्म उत्सव की तरह 
उपायुक्त झा ने बेटियों को देश का सबसे बड़ा ‘ह्यूमन रिसोर्स’ बताते हुए उनकी आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज को पुरानी मान्यताओं से बाहर निकलना होगा। बेटी के जन्म पर घर-घर बधाई देकर उत्सव जैसा माहौल बनाएं।

समर अभियान – 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों के लिए 11-चरणीय प्रबंधन प्रक्रिया 
सिविल सर्जन और समाज कल्याण पदाधिकारी ने प्रशिक्षण के दौरान “समर अभियान” की रणनीति साझा की। इसमें गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, समुदाय आधारित प्रबंधन, भूख परीक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन, पोषण शिक्षा, आंगनबाड़ी फॉलोअप और मासिक निगरानी जैसे 11 चरण शामिल हैं।

प्रशिक्षण की प्रमुख गतिविधियाँ 

6-59 माह के सैम बच्चों की पहचान
>  जन्म से 6 माह तक के शिशुओं में जोखिम की पहचान
> बिना जटिलता वाले सैम बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रबंधन
> जटिल केसों को पोषण पुनर्वास केंद्र में रेफर किया जाएगा
> सुधार होने पर चार माह बाद या पूर्ण रिकवरी पर डिस्चार्ज

 

 

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