Bokaro: बेरमो प्रखंड के रहने वाले 30 वर्षीय भाविक वसा, जो मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, पिछले कुछ महीनों से अपनी जिंदगी की सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहे थे। अप्रैल 2025 से उनकी दिव्यांग पेंशन रुक गई थी। भाविक कुछ कह नहीं सकते, पर उनकी आंखों में सवाल थे — “आख़िर मेरा क्या कसूर है ?”
बैंक की तकनीकी चूक, जीने का सहारा छीन ले गई
दरअसल, एक्सिस बैंक खाते में ई-केवाईसी पूरा न होने की वजह से भाविक की पेंशन रुक गई थी। विभाग पैसे भेज रहा था, पर बैंक ने भुगतान रोक दिया। न कोई नोटिस, न कोई सूचना… बस एक दिन से दूसरी सुबह तक सबकुछ थम गया। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
जब परिवार टूटा, तब प्रशासन बना संबल
भाविक के पिता कमलेश वसा ने जब ये पीड़ा बेरमो बीडीओ श्री मुकेश कुमार के समक्ष साझा की, तो वे चुप न बैठे। उन्होंने तुरंत सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक श्री पियूष को जानकारी दी। पियूष ने भाविक की पीड़ा को सिर्फ एक शिकायत नहीं, एक इंसानी जिम्मेदारी समझा और इसे समन्वय समिति की बैठक में डीसी श्री अजय नाथ झा के समक्ष गंभीरता से रखा।
डीसी का आदेश, एक इंसान की जिंदगी में लौटा उजाला
डीसी ने इस संवेदनशील मामले को संजीदगी से लिया। उन्होंने बेरमो एसडीओ, बीडीओ और बैंक के एलडीएम को निर्देशित किया कि तत्काल इस दिव्यांग युवक की समस्या हल की जाए। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
और फिर… एक नई सुबह लेकर पहुँचे बैंक कर्मी
गुरुवार को वो पल आया, जब बैंक के कर्मचारी भाविक के घर पहुँचे। उनके साथ बीडीओ भी थे। हाथ में भाविक के लिए पेंशन की वह राशि थी, जो महीनों से रुकी थी। वह सिर्फ रुपये नहीं थे — वो सम्मान, सहारा, और संवेदना थी।
परिवार की आँखों में आभार के आँसू
कमलेश वसा की आँखों में आँसू थे, पर इस बार दर्द के नहीं — शुक्रगुज़ारी के थे। उन्होंने कहा, “हमने हार मान ली थी, लेकिन डीसी साहब और प्रशासन ने दिखा दिया कि सरकार सिर्फ फाइलों में नहीं, दिलों में भी काम करती है।” Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
अब हर माह मिलेगी पेंशन — जीने का अधिकार वापस मिला
बेरमो बीडीओ ने भाविक के परिवार को आश्वस्त किया कि अब पेंशन नियमित रूप से उनके खाते में पहुँचेगी। यह सिर्फ एक फॉर्मैलिटी नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी की जरूरत है — और अब वह अधिकार उन्हें लगातार मिलता रहेगा।
एक शिकायत से, एक इंसान को मिली ज़िंदगी की नई दिशा
भाविक कुछ नहीं कह सकते, लेकिन उनके चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि उन्हें उनका हक मिल गया है। यह पहल बताती है कि यदि संवेदना और इच्छाशक्ति हो, तो सिस्टम भी इंसानियत के लिए झुक सकता है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x