Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उसके लिए संविदा कर्मियों (Contract Worker) का स्वास्थ्य और जीवन से बढ़कर जमीन की “बाजार कीमत” कितनी अहमियत रखती है। करीब 20,000 से अधिक कॉन्ट्रैक्ट वर्कर रोजाना प्लांट के भीतर खून-पसीना बहाते हैं, पर जब उनकी सुविधा के लिए 100 बेड वाले Employee’s State Insurance Corporation (ESIC) अस्पताल के लिए 5 एकड़ जमीन देने की बात आई, तो कंपनी ने सबसे पहले उसकी कीमत 50 करोड़ रुपये के “मूल्यांकन” का जिक्र करना जरूरी समझा।

सेक्टर-12 में चिन्हित की गई 5 एकड़ जमीन
बोकारो स्टील प्लांट ने 100 बेड वाले ईएसआईसी अस्पताल के निर्माण के लिए जो 5 एकड़ जमीन चिन्हित की है, वह बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर-12 क्षेत्र में स्थित है। यह जमीन पूर्ववर्ती मौजा पिपराटांड, थाना चास नंबर-36 के अंतर्गत आती है। इसके उत्तर दिशा में रणविजय स्मारक महाविद्यालय और पूर्व दिशा में माउंट सियोन स्कूल स्थित है। इस जमीन की अनुमानित कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसके बाद ही इसके हस्तांतरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जानी है।
जमीन का भाव बनाम मजदूर की जान
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के अधीन आने वाले बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने पत्राचार में साफ कहा है कि जब तक “अधिकृत वैल्यूअर” जमीन की कीमत नहीं लगा देंगे, तब तक अस्पताल की बात आगे नहीं बढ़ सकती। यानी, अस्पताल की दीवारें कब खड़ी होंगी यह मजदूरों के स्वास्थ्य से नहीं, बल्कि जमीन की कीमत तय करने वाले आंकड़ों पर निर्भर है। ज्ञात हो कि देश के महारत्न सेल द्वारा बसाये गए बोकारो स्टील सिटी में करीब 2000 एकड़ भूमि में अवैध कब्ज़ा है। और अतिक्रमण का ये दायरा बढ़ते जा रहा है।
श्रमिकों के नाम पर दिखावटी संवेदनशीलता
गौरतलब है कि बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) हर साल उत्पादन में रिकॉर्ड बनाने की बात बड़े गर्व से करता है और संविदा कर्मियों की मेहनत को अक्सर “टीम वर्क” का नाम देता है। मगर हकीकत यह है कि इन्हीं श्रमिकों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा तक सुनिश्चित करना BSL के लिए “कॉरपोरेट मुनाफे” से कम महत्वपूर्ण है।
नतीजा – मजदूरों के लिए सिर्फ खोखले वादे
सरकारी योजनाओं और मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद, संविदा कर्मियों की जरूरतों को नजरअंदाज करना कहीं से भी संवेदनशीलता नहीं कहलाती। शायद BSL के लिए अस्पताल सिर्फ एक “रियल एस्टेट डील” बनकर रह गया है, न कि 20,000 परिवारों की उम्मीद।
संग्राम सिंह: BSL द्वारा ESIC अस्पताल के नाम पर ठेका मजदूरों के अस्पताल के लिए 50 करोड़ पर चिंता
बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के उत्पादन में ठेका मजदूरों की अहम भूमिका है, लेकिन इसके बावजूद बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन की सोच इन मजदूरों के प्रति नकारात्मक बनी हुई है। आज भी BSL के अंतर्गत संचालित BGH अस्पताल में ठेका मजदूरों को इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही है, क्योंकि BSL का ESIC (ईएसआईसी) से टाई-अप नहीं है।
हमारे निरंतर प्रयासों से ESIC अस्पताल की स्वीकृति बोकारो के लिए मिल गई, लेकिन बोकारो प्रबंधन ने अस्पताल निर्माण हेतु ज़मीन की कीमत इतनी अधिक निर्धारित कर दी कि निर्माण की प्रक्रिया रुकने की कगार पर पहुंच गई। इस स्थिति में उपायुक्त (DC) बोकारो ने हस्तक्षेप करते हुए झारखंड सरकार की ओर से ESIC अस्पताल के लिए वैकल्पिक भूमि प्रदान की, लेकिन वह ज़मीन शहर से काफी दूर होने के कारण सीमित रूप से ही उपयोगी है।
इस महत्वपूर्ण मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए बोकारो की लोकप्रिय विधायक श्रीमती श्वेता सिंह जी ने स्वयं इस्पात मंत्री से मुलाकात की और ठेका मजदूरों की स्वास्थ्य समस्याओं को सामने रखा। इस उच्चस्तरीय पहल के बाद यह उम्मीद जगी है कि जल्द ही बोकारो में ESIC अस्पताल का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा और हजारों ठेका मजदूरों को उनके अधिकार स्वरूप बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
