Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) प्रबंधन के लिए बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) की स्थिति चिंता का विषय बन गई है। डॉक्टरों की लगातार घटती संख्या, सुपर स्पेशलिस्ट की कमी, इलाज के गिरते स्तर और बढ़ते घाटे के कारण BGH अब सेल प्रबंधन से लेकर स्टील मंत्रालय तक की नजरों में आ चुका है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सेल-बीएसएल के शीर्ष अधिकारियों ने अस्पताल के सुधार को लेकर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
टॉप अधिकारियों की क्लोज डोर मीटिंग में हुई अहम चर्चा
इतिहास में पहली बार बोकारो इस्पात संयंत्र के सभी प्रमुख अधिकारियों ने एक साथ बैठकर बीजीएच से जुड़े हर पहलू पर गहन विचार-विमर्श किया। बुधवार को आयोजित इस बंद दरवाजे की बैठक में ED(HR) राजश्री बनर्जी, ED (MM) सीआर मिश्रा, ED (Projects) अनीश सेनगुप्ता, ED (Works) प्रिया रंजन, ED (Medical & Health Services) डॉ बीबी करुणामय और बीजीएच के तीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी न्यूरोसर्जन डॉ आनंद कुमार, बर्न-प्लास्टिक सर्जन डॉ अनिंदा मंडल सहित अन्य शामिल हुए।
स्टील सचिव और सेल चेयरमैन ने भी दिए थे निर्देश
सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पहले बोकारो दौरे पर आए स्टील सचिव संदीप पौंड्रिक और सेल चेयरमैन अमरेंद्र प्रकाश ने भी अधिकारियों के साथ बैठक में बीजीएच के सुधार पर चर्चा की थी और कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे। इससे पहले ईडी ह्यूमन रिसोर्स ने भी मीटिंग आयोजित कर बीजीएच के प्रत्येक मेडिकल विभाग के प्रदर्शन की समीक्षा की थी।
HSCC के साथ सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल प्रोजेक्ट अधर में
13 जनवरी 2025 को बोकारो स्टील प्लांट ने भारत सरकार की कंपनी HSCC इंडिया लिमिटेड के साथ एक सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे। पहले चरण में HSCC को कॉन्सेप्ट प्लान, प्रारंभिक अनुमान के साथ ड्राफ्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट, शॉर्टलिस्ट किए गए पार्टनर्स की जानकारी और वित्तीय मॉडल जमा करना था। दूसरे चरण में डिजाइन, निर्माण और पार्टनर को हैंडओवर होना था, लेकिन HSCC अभी तक ये दस्तावेज जमा नहीं कर पाई है।
सालाना 160 करोड़ खर्च, मात्र 20 करोड़ आमदनी
बीजीएच के खराब प्रदर्शन ने सेल-बीएसएल प्रबंधन को सकते में डाल दिया है। सालाना बीजीएच का खर्च लगभग 160 करोड़ रुपये है, जबकि आमदनी सिर्फ 20 करोड़ रुपये है। इसके अलावा लगभग 18 करोड़ रुपये बीएसएल को अपने बीमार कर्मचारियों को दूसरे बड़े अस्पतालों में रेफर करने में खर्च करने पड़ते हैं। वर्तमान में बीजीएच में करीब 145 डॉक्टर और कुल 350 के आसपास मैनपावर है। अधिकारियों ने विभिन्न विभागों की समीक्षा में पाया कि कई विभाग अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं और उन पर खर्च अधिक हो रहा है।
डॉक्टरों की कमी पर गंभीर चिंता, वॉक-इन इंटरव्यू भी रहे बेअसर
सेल-बीएसएल के अधिकारियों ने मीटिंग के दौरान यह भी चर्चा की कि कई बार वॉक-इन-इंटरव्यू का आयोजन करने के बावजूद सुपर-स्पेशलिस्ट और स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं आए। दूसरी बात यह कि पिछले सालों में कई स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने बीजीएच को त्यागपत्र थमा दिया। अधिकारियों ने इसके कारणों पर गहन विचार किया और यह जानने की कोशिश की कि क्या करने से सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर बीजीएच की ओर आकर्षित होंगे और जो हैं वे छोड़कर नहीं जाएंगे। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि मौजूदा पॉलिसी में क्या बदलाव किए जाएं या नई पॉलिसी लाई जाए जो बाहर के डॉक्टरों को बीजीएच की ओर आकर्षित करे।
निजीकरण के विकल्प पर गंभीर विचार
बीएसएल के शीर्ष अधिकारियों ने बीजीएच के भविष्य को लेकर गहन चिंतन किया और अस्पताल को चलाने के नए मॉडल पर चर्चा की। बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि बीजीएच को किसी प्राइवेट पार्टी को सौंपा जाए जिससे चिकित्सा सेवाओं में सुधार हो। हालांकि किस प्राइवेट पार्टी को दिया जाए, कितने शेयर पर दिया जाए और क्या नियम-कानून होंगे, इन सभी मामलों पर चर्चा कर जल्द व्यावहारिक कदम उठाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। जल्द ही बीजीएच को लेकर बड़ा निर्णय सामने आने वाला है जो चिकित्सा सेवा में सुधार लाएगा और लोगों का भरोसा वापस लौटाएगा।

