बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने भारत में पहली बार नॉन-ग्रेन ओरिएंटेड इलेक्ट्रिकल स्टील का सफल उत्पादन कर इतिहास रच दिया है। अब तक यह उच्च ग्रेड स्टील विदेशों से आयात होता था। BSL की यह उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को नई ऊर्जा दे रही है, जो देश को तकनीकी रूप से सशक्त और औद्योगिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगी।
Bokaro : सेल – बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने तकनीकी अनुसंधान और प्रगति के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। बीएसएल ने पहली बार आईएस: 18316 मानक के तहत नॉन-ग्रेन ओरिएंटेड (NGO) इलेक्ट्रिकल स्टील का सफल विकास किया है। पहले ही ट्रायल में 1100 टन स्टील का उत्पादन कर BSL ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दिशा में बड़ी छलांग लगाई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि
BSL की इस उपलब्धि का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि दुनिया के केवल कुछ ही देशों के पास इस श्रेणी के उच्च ग्रेड विद्युत स्टील के उत्पादन की क्षमता है। अब तक भारत इस स्टील का अधिकांश हिस्सा आयात करता रहा है, लेकिन BSL के इस कदम से देश में इलेक्ट्रिकल स्टील निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा खुली है।
कैसे तैयार होता है यह स्टील
इस स्टील को तैयार करने के लिए BSL ने SMS-2 यूनिट में इसे विशिष्ट संरचना में ढाला, जिसमें कार्बन की मात्रा कम रखी जाती है और सिलिकॉन की मात्रा बढ़ाई जाती है ताकि आवश्यक डक्टिबिलिटी और मैग्नेटिक गुणधर्म प्राप्त हो सकें। इसके बाद इसे हॉट स्ट्रिप मिल में 2.8 मिमी तक हॉट रोल किया गया और फिर CRM-3 यूनिट में कोल्ड रॉलिंग प्रक्रिया से 0.5 मिमी पतली शीट में बदला गया। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप बीएसएल ने उच्च परिशुद्धता, उत्कृष्ट सतह परिष्करण और सुसंगत चुंबकीय व्यवहार वाले विद्युत स्टील का सफल निर्माण किया है।
किन क्षेत्रों में होगा उपयोग
इस विद्युत इस्पात का प्रमुख उपयोग इलेक्ट्रिक मोटर, जनरेटर, ट्रांसफॉर्मर और हाइब्रिड व इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में किया जाएगा। यह इस्पात विद्युत ऊर्जा के कुशल रूपांतरण में मदद करता है और इसलिए भविष्य के ऊर्जा-केंद्रित बाजार के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा।
ग्राहकों से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया
प्रायोगिक ट्रायल के बाद ग्राहकों ने BSL के नए विद्युत इस्पात की गुणवत्ता और प्रदर्शन की सराहना की है। संतुष्टि के इस स्तर ने यह संकेत दिया है कि यह उत्पाद अब भारतीय बाजार में अपनी मजबूत जगह बना चुका है। यह सफलता BSL की उत्पादन क्षमता और तकनीकी उत्कृष्टता दोनों को दर्शाती है।
बीएसएल – राष्ट्र निर्माण का स्तंभ
यह उपलब्धि न केवल BSL की तकनीकी दक्षता को दर्शाती है, बल्कि देश के औद्योगिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के तहत यह सफलता आयात प्रतिस्थापन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

