Bokaro: जिस बस्ती को शनिवार को बोकारो स्टील प्लांट (BSL) और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने हटाया, वह कोई नई नहीं थी। यह वही बस्ती है जिसे पिछले 14 वर्षों में तीसरी बार अतिक्रमण घोषित कर हटाया गया है। लेकिन हर बार कार्रवाई के बाद भी लोग वापस वहीं बस जाते हैं — जिससे प्रशासनिक व्यवस्था और विकास योजनाओं के लिए यह क्षेत्र बार-बार सिरदर्द बन गया है।
पहली कार्रवाई: 2011 में हाईकोर्ट के आदेश पर चला बुलडोजर
पहली बार यह बस्ती 25 जून 2011 को हाईकोर्ट के आदेश पर हटाई गई थी। उस समय बीएसएल ने सात डोज़र लगाकर करीब 200 झुग्गी-झोपड़ियों को जमींदोज कर दिया था। कार्रवाई बड़ी थी, लेकिन बाद में बीएसएल नगर प्रशासन की निगरानी की कमी के कारण वही लोग कुछ ही महीनों में वापस वहीं बस गए। पानी और बिजली चोरी की अनदेखी ने उन्हें फिर से बसने का मौका दिया। Video-
दूसरी कार्रवाई: 2019 में एयरपोर्ट विस्तारीकरण के नाम पर हटाई गई बस्ती
दूसरी बार 29 अगस्त 2019 को एयरपोर्ट विस्तारीकरण के शिलान्यास के बाद BSL ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। उस वक्त तीन जेसीबी मशीनों की मदद से 100 से अधिक झुग्गी-झोपड़ियों को ध्वस्त किया गया था। अभियान के दौरान BSL प्रबंधन ने दावा किया था कि अब यहां किसी को दोबारा बसने नहीं दिया जाएगा। परंतु कुछ ही समय में वही परिवार और नए लोग फिर से इस इलाके में बस गए।
तीसरी कार्रवाई: 2025 में दोबारा चला बुलडोजर, पर सवाल बरकरार
अब नवंबर 2025 में तीसरी बार यह कार्रवाई की गई। इस बार दो जेसीबी लगाकर लगभग 30 झुग्गियों को तोड़ा गया। बीएसएल और जिला प्रशासन का दावा है कि यह कार्रवाई सम्पदा न्यायालय के आदेश पर की गई है और आगे भी जारी रहेगी। अब देखना है की हटाए गए लोग फिर से बस जाते है की नहीं। इस बार अगर बीएसएल के लापरवाही से वापस ये इलाका अतिक्रमित होता है तो जिम्मेवार कौन होगा ? इस बात की जिम्मेवारी बीएसएल प्रबंधन को निर्धारित कर देनी चाहिए।
लोगों का दर्द और BSL प्रबंधन की लापरवाही
इन बस्तियों के लोगों के लिए हर बार की बेदखली एक भावनात्मक और सामाजिक संकट लेकर आती है। कई परिवार पिछले एक दशक से बार-बार उजड़ चुके हैं। वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें पहले वैकल्पिक आवास दिया जाए, तभी हटाया जाए। दूसरी ओर, बीएसएल के वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट की लापरवाही भी इस समस्या की जड़ बताई जा रही है। वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट पानी की चोरी रोकने में नाकाम रहता है, जिससे लोगों के फिर से बसने का रास्ता खुल जाता है। बीएसएल के मोटे सप्लाई पाइपलाइन से पानी की चोरी होती है और विभाग इग्नोर करता है। जिसके बाद धीरे-धीरे लोग बस जाते है। कोर्ट का भी आदेश है कि अतिक्रमण हटाने के पहले पानी का अवैध कनेक्शन बंद करें। जिसपर विभाग ध्यान नहीं देता है।
क्या चौथी बार फिर बसेगी यही बस्ती ?
स्थानीय जानकारों का कहना है कि जब तक निगरानी प्रणाली मजबूत नहीं होगी, तब तक यह बस्ती फिर से खड़ी हो जाएगी। यह बस्ती अब सिर्फ एक अतिक्रमण स्थल नहीं, बल्कि बीएसएल प्रबंधन की लापरवाही के चलते एयरपोर्ट विकास के बीच जूझती मानव संवेदना की एक दर्दनाक कहानी बन चुकी है।

