Kasmar: सूदी गांव की महिलाओं की मेहनत आखिरकार रंग लाई. करीब आठ साल पहले इनके बहाए पसीने अब मीठे और रसीले आमों में तब्दील हो चुके हैं. गांव में लगभग 22 एकड़ भूमि पर आम के लगभग 600 पौधे लहलहा उठे है. वर्ष 2013-14 में महिलाओं ने आम की बागवानी शुरू की थी. इस वर्ष लाभुक महिलाएं अपने-अपने बागानों के लगभग 10 क्विंटल आम अब-तक बाजार में बेच चुकी हैं. 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आम बेचे गए. इससे अच्छी-खासी आमदनी हुई है. अभी भी पेड़ों में काफी मात्रा में आम हैं. आम बागवानी की सफलता से लाभुक महिलाओं के चेहरे खिल उठे हैं. इन्हें आय का एक नया स्रोत मिल गया है. घर के पुरुष सदस्यों ने भी महिलाओं का हौसला बढ़ाया और बागवानी को सफल बनाने में उनका हर तरह से साथ दिया है.
कसमार प्रखंड की मुरहुलसूदी पंचायत में आदिवासी-कुर्मी बहुल यह छोटा-सा गांव झारखंड व पश्चिम बंगाल की सीमा पर अवस्थित है. खेती और दिहाड़ी मजदूरी यहां के ग्रामीणों के जीविकोपार्जन का जरिया रहा है. कुछ वर्षों पहले तक गांव की महिलाएं केवल चूल्हा-चौकी संभालने तक सीमित थी. जंगलों से लकड़ी चुनकर लाना और खेती कार्यों में हाथ बंटाना ही उनकी दिनचर्या थी. हां, रोजी-रोटी के लिए कभी-कभी दिहाड़ी मजदूरी करने भी निकलना पड़ता था. बावजूद आर्थिक स्थिति इन परिवारों की अच्छी नहीं थी. वर्ष 2013-14 में जलछाजन योजना का काम इस गांव में शुरू हुआ. प्रदान संस्था के प्रोत्साहन के बाद गांव की महिलाओं ने आम की बागवानी में दिलचस्पी दिखाई. जागृति महिला संघ के अधीन 12-12 महिलाओं के दो समूह बने. जुमित महिला समूह एवं चमेली महिला समूह. जुमित में प्रायः आदिवासी महिलाएं हैं, जबकि चमेली में अधिकतर कुर्मी महिलाएं जुड़ी हुई है. करमनाला जलछाजन समिति द्वारा दोनों समूहों को बागवानी से जोड़कर महिलाओं के 22 एकड़ भूमि पर इंडिगो रिच के आर्थिक सहयोग से काम शुरू हुआ.

सिंचाई में बहाया पसीना
जिस 22 एकड़ भूमि पर बागवानी हुई है, उसमें सिंचाई की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में बागवानी को सफल बनाना महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती थी. उस समय इस योजना में पैसे भी कम थे और सिंचाई कूप निर्माण आदि की कोई व्यवस्था भी नहीं थी. महिलाओं को सिंचाई के लिए खूब पसीने बहाने पड़े. घर के पुरुष सदस्यों की मदद से निकटवर्ती नाला से पानी लाकर पौधों को सींचा और अपने बच्चों की तरह उसकी देखभाल की. आठ साल बाद अब सभी पौधे फल देने लगे हैं. महिलाओं ने बताया कि उनके बागान के आमों की बाजार में काफी मांग है. इस बार अधिकतर आम निकटवर्ती खैराचातर के हाट में बिक गए. गांवों में घूमकर भी बेचे गए. महिलाओं ने कहा : अगर लॉकडाउन नहीं होता तो आम की और भी अधिक कीमत मिलती. हालांकि इन्हें इस बात की उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में उनके बागानों से इतने आम निकलेंगे कि उसे बेचने के लिए ट्रक की जरूरत पड़ेगी और सूदी की एक अलग पहचान भी बनेगी. बागवानी की सफलता से महिलाएं इतनी उत्साहित हैं कि अब अनार की खेती करने की तमन्ना है. बागवानी को सफल बनाने में इसी गांव की निवासी करमनाला जलछाजन समिति की सचिव निवासी सुनीता देवी ने अहम भूमिका निभाई है.
ये हैं लाभुक महिलाएं
आम बागवानी की लाभुक महिलाओं में जुमित महिला समूह की सुनीता देवी, सरस्वती देवी, पानमती देवी, बारनी देवी, सुंदरी देवी, सरस्वती देवी, सावित्री देवी, दुलामनी देवी, शिला देवी, सुकरमनी देवी, बिनती देवी तथा चमेली महिला समूह की तिजनी देवी, रश्मि देवी, काजल देवी, रोबनी देवी, मिथिला देवी, संजू देवी, सिमती देवी, पविता देवी, सुमन देवी, मैना देवी, अपराजिता देवी, नूनीबाला देवी आदि शामिल हैं.
गांव के दूसरे लोग भी हुए प्रेरित
आम बागवानी की सफलता देख गांव के दूसरे लोग भी काफी प्रेरित हुए हैं. इसके परिणामतः अन्य लोगों ने भी आम बागवानी करने में दिलचस्पी दिखाई है. इस वर्ष मनरेगा के तहत लगभग सात एकड़ भूमि पर कई ग्रामीणों ने आम बागवानी पर काम शुरू किया है.
