Bokaro: बोकारो स्टील ऑफिसर एसोसिएशन (BSOA) ने गुरुवार को बीएसएल (BSL) के अधिशासी निदेशक कार्मिक व प्रशासन राजन प्रसाद के आवास के घेराव की कड़ी निंदा की है। ईडी आवास पर 14 घंटे तक चले घेराव से बोकारो स्टील ऑफिसर एसोसिएशन और विस्थापित अप्रेंटिस संघ के बीच तीखा विवाद खड़ा हो गया है। BSOA ने सुरक्षा और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए, जबकि विस्थापित संघ ने ईडी से समय ना मिलने का आरोप लगाया। Video:
एसोसिएशन के अध्यक्ष ए के सिंह व महासचिव अजय कुमार पांडेय ने शुक्रवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा, ईडी के आवास का घेराव और उन्हें बंधक बनाए जाने के कारण कंपनी के कई महत्वपूर्ण कार्य लंबित रह गए, जिससे बीएसएल (BSL) को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काफी नुकसान हुआ है। संगठन ने आगे आरोप लगाया कि प्रशासन ने एक मजिस्ट्रेट की तैनाती के बावजूद केवल मूकदर्शक की भूमिका निभाई है। Join Whatsapp-
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आवास पर प्रदर्शन की नई परंपरा पर चिंता
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आवास घेराव की नई परंपरा की आलोचना करते हुए कहा कि किसी भी संगठन को अपनी मांगों के लिए संबंधित अधिकारी के कार्यालय में प्रदर्शन करना चाहिए, न कि उनके आवास पर। उन्होंने जिला प्रशासन से इस घटना को गंभीरता से लेने और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने की अपील की। Join Whatsapp-
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ईडी साहब 1 मिनट बाहर आकर बोल दिए होते… तो लौट जाते हमलोग
सुनील कुमार, जो विस्थापित अप्रेंटिस संघ के आंदोलन में थे, ने कहा, “अगर ईडी साहब ने सिर्फ एक मिनट के लिए बाहर आकर हमें यह कह दिया होता कि किस तारीख को वे हमसे मिलेंगे, तो हम वहीं से लौट जाते।” उन्होंने बोकारो स्टील ऑफिसर एसोसिएशन (BSOA) की आलोचना करते हुए कहा कि इतने प्रतिष्ठित संगठन को विस्थापितों पर झूठे आरोप लगाना शोभा नहीं देता।
सुनील कुमार ने स्पष्ट किया कि वे ईडी से समय मांगने गए थे, प्रदर्शन करने नहीं। उन्होंने बताया कि पहले भी कई बार उन्होंने ईडी से मिलने का समय मांगा था, लेकिन हर बार उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। बीते कुछ महीनों से वे बीएसएल के IR और पर्सनेल विभाग के चक्कर लगा रहे थे। अंत में जब सीजीएम के साथ कई दौर की मुलाकातों के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला। उन्हें बार-बार वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला देकर टाल दिया गया। इसके बाद ही उन्होंने ईडी राजन कुमार से वार्ता के लिए समय की मांग की थी।
ईडी से समय मांगने का प्रयास विफल रहा
सुनील कुमार ने आरोप लगाया कि, हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा था, इसलिए हमलोग उनके आवास पर गए। हमलोग नारेबाजी या हंगामा करने नहीं गए थे, केवल समय मांगने गए थे। हमलोग 14 घंटा भूखे-प्यासे बैठे रहे। हमलोग ने उस दौरान न एक नारा लगाया, ना आवाज़ किये। हमलोग झंडा भी नहीं ले गए थे। खाली हाथ पहुंचे थे। वहां मजिस्ट्रेट साहब भी थे – उनके कोशिशों से स्पॉट पर ही IR वालो से तीन बार वार्ता हुई, पर ईडी साहब ने शाम को 14 घंटे बाद जाकर 13 सितम्बर को वार्ता करने का मैसेज भेजवाया। बताइये वैधानिक पोस्ट में बैठकर ईडी साहब समय नहीं देंगे तो हमलोग क्या करेंगे ?
14 घंटे बैठे रहे, उस समय स्पॉट पर नहीं आया BSOA, और अब…
सुनील कुमार ने BSOA पर आरोप लगाया कि वे इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। “अगर उन्हें इतनी चिंता थी, तो वे उस दिन 14 घंटे में एक बार भी ईडी साहब के आवास पर क्यों नहीं आए और हमसे बात की ? बाद में अब प्रेस कॉन्फ्रेंस करके हमें दोषी ठहराना सही नहीं है। BSOA हमारे खिलाफ झूठा प्रचार कर रहा है, जिसके खिलाफ हम अब 42 विस्थापित संगठन एक साथ मिलकर आगे की रणनीति बनाएंगे। आज अमोद कुमार, दुर्गा चरण महतो, चंद्रकांत, सूरेंद्र महतो, प्रदीप सोरेन, कमरान और बाकी संघ के लोगों मौजूद थे। Join Whatsapp-
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BSOA अपने सीजीएम से पूछे: हमारे द्वारा उनके घर के घेराव के दौरान क्या किया गया
BSOA को अपने सीजीएम हरिमोहन झा साहब से पूछना चाहिए कि जब हम उनके घर का घेराव करने पहुंचे थे, तो उन्होंने किस तरह से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बाहर आकर हमसे पानी पूछा और हमें बीएसएल की वास्तविक स्थिति को समझाया। इसके बाद, हम तुरंत वहां से चले गए और फिर कभी वापस नहीं आए।
“अधिकारी कार्यालय में नहीं मिलेंगे, तो आवास घेराव होगा”
“बीएसएल लैंड डोनर फेडरेशन के सलाहकार साधु शरण गोप ने भी BSOA की प्रतिक्रिया को गैर-जरूरी बताया। उन्होंने कहा, “प्रबंधन ने युवाओं की मांगों को नजरअंदाज किया है, जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। अगर अधिकारी कार्यालय में मिलने से इंकार करेंगे, तो आवास घेराव होगा।” गोप ने कहा कि धनबाद सांसद ढुलू महतो ने भी ईडी से मिलकर युवाओं को समय देने की अपील की थी, लेकिन प्रबंधन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।”
ऑफिसर एसोसिएशन को बताना चाहिए ,क्या प्रबंधन की यह भूल नहीं है ? क्या जमीन देने वाले को मिलने का समय नहीं देना उचित है ?
उन्होंने कहा कि प्रबंधन से अपील है कि व्यवस्था के तहत किसी से मिलने से इंकार नहीं करे,और यदि होगा तो घड़ियाली आसूं न बहाएं । ऐसे कार्यक्रमों के समाना के लिए तैयार रहे। मिलने से निराश लोगों के पास यही विकल्प है।
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