Bokaro: स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के लिए यह सोचना की – कभी कोई ऐसा दिन आये जब उनके टीचर-प्रिंसिपल सहित सारा स्कूल स्वागत में गुलदस्ता लिए, रेड कारपेट बिछाये खड़े हो- तो यह किसी सुहाने सपने से कम नहीं होगा। पर यह सपना भी सच हो सकता है।
शहर के चिन्मया विद्यालय में आज गुरुवार के दिन कुछ ऐसा ही हुआ। जब इस स्कूल से पढ़ा एक छात्र शुभम कुमार सालों बाद अपने टीचरो से मिलने वापस आया। स्कूल के टीचर, प्रिंसिपल, अध्यक्ष और छात्रों ने शुभम कुमार का शानदार स्वागत किया। शुभम कुमार इस साल के UPSC टॉपर है।शुभम कुमार अपनी माता पुनम सिहं एवं पिता देवानंद सिंह के साथ अपने स्कूल -चिन्मय विद्यालय- आये थे। उनके पहुँचते ही पूरे वातावरण में एक खुशी की लहर दौड़ गई। सभी शिक्षक एवं छात्र उत्साह से भरे हुए थे। चिन्मय विद्यालय के तपोवन सभागार में सम्मान समारोह आयोजित हुआ। सभागार में पहुँचते ही छात्रों ने उनकों एवं उनके माता-पिता एवं सभी गणमाण्य अतिथियों को तिलक मिश्री लगाकर उनका स्वागत किया। तत्पश्चात पुष्प गुच्छ भेंट किया।प्रिंसिपल ने कहा कि आधुनिक काल में अधिकांश IIT से पास छात्र अमेरिका में बसना और मल्टी नेशनल कंपनी के सीईओ बनना ही अपने जीवन का उद्येश्य समझते हैं। परंतु शुभम ने यह साबित किया है कि उसका जीवन राष्ट्र एवं राष्ट्र वासियों की सेवा के लिए ही समर्पित है। इस कार्यक्रम में कीर्तिश्री (रीजनल डायरेक्टर, JIADA), महेश त्रिपाठी, सचिव विद्यालय प्रबंधन समिति एवं चिन्मय अलुमिनाई एसोशियेशन के गणमाण्य सदस्य भी कुमार शिल्पी, डॉ अमित झा एवं विनय, अभिषेक मिश्रा, सैवाल गुप्ता, सोनाली गुप्ता, संजीव मिश्रा आदि उपस्थित थे।छात्रों से रुबरु अवगत होते हुए शुभम ने कहा कि –
> जेईई एवं आईएएस की तैयारी में क्या अंतर है – उन्होंने जबाव देते हुए कहा कि दोनों परीक्षा की तैयारी की नीति एक जैसी ही होनेी चाहिए। बस इतना अंतर है कि आप जेईई की तैयारी एक अच्छे कॉलेज के लिए करते हैं, और सिविल सर्वीसेस आपका कैरियर है।
> हर एक बड़ी सफलता के पीछे एक कहानी होती है। मै जब चिन्मय आया तो काफी शर्मीला और शांत स्वभाव का था। लेकिन महान शिक्षक नरमेन्द्र कुमार एवं गौतम कुमार नाग को प्रणाम अर्पित करते हुए कहता हुँ कि इन्होंने मुझे अध्ययन में काफी सफल होने में काफी सहायता की। मेरी सफलता में चिन्मय विद्यालय का बड़ा योगदान रहा।
> मैं खूब बास्केट वॉल खेलता था और अन्य कार्यक्रम में भाग लेता था जिससे मेरे भीतर नेतृत्व क्षमता का विकास हुआ और यही क्षमता, यही गुण मुझे IIT मुम्बई में अपने व्यक्तित्व को गढ़ने में काम आया, मैं और मेरा हाउस खेल एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में सबसे सफल हुआ।
> सफलता के गुड़ बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी के जीवन में समस्याएँ आती है लेकिन अपनेी असफलता का दोष परिस्थिति पर मत थोपियें।
> हमेशा छोट-छोटा लक्ष्य रखिये, उसके लिए बेहतर नीति बनाइए, उसपर दृढ़ होकर क्रियान्वयन कीजिए, हरएक सप्ताह अपनी कमजोरी और मजबूती का विशलेषण करिए। कभी की उत्साहीन व्यक्ति या उत्साहहीन परिस्थिति के साथ मत रहिये । हमेशा उत्साहहीन परिस्थिति से दूर रहिये । हमेशा स्वतः प्रेरित रहिये। सकरात्मक ऊर्जा अपने भीतर उत्पन्न कीजिए।
> मेरा संयुक्त परिवार रहा है। परिवार के सभी सदस्यों से जुड़िये परिवार से जुड़ा व्यक्ति ही जीवन में हर एक क्षेत्र में सफल होता है। मेरे पिता जी ने कभी नहीं कहा कि IIT करो या UPSC करो लेकिन हमेशा कहा कि जो भी करो अच्छा करो।
>माँ ने कहा तुम साकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हो, हमेशा सकारात्मक सोचोें। इसलिए जब मैं 12 में थो तो मैं ने उसकी अच्छी तैयारी की।
> प्लस 2 का अंक बहुत आवश्यक है इस प्लस 2 को बढ़ियाँ से पढिये , प्लस 2 के अंक से अच्छे कॉलेज मिलते हैं, अच्छे कॉलेज में जाने पर आपको पता चलता है कि आपको क्या करना चाहिए।
>बार-बार प्लान बनाकर देखिये कि कहाँ फेल कर रहे हैं आत्मावलोकन कमी को दूर कीजिए सफलता निश्चित ही मिलेगी।
>एक बच्चे द्वारा पूछे जाने पर कि कब से आई ए एस की परीक्षा की तैयारी करें तो उन्होंने कहा कि बहुत जल्दी शुरु करना भी एक डिमोटिवेटिंग फैक्टर बन जाता है। पहले प्लस 2 अच्छे अंक से लाकर अच्छे कॉलेज में जाइए। तब आपको पता चलेगा कि मुझे क्या करना चाहिए, क्या विषय लेना चाहिए देश और समाज में क्या हो राह है। उससे अवगत रहिये।
> परीक्षा की तैयारी छोटे-छोटे नोटस बनाकर लिखिये, छोट-छोटे नोट्स को परीक्षा के समय रिवाइज करना आसान होता है।
> अपनी प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि – बिहार में अशिक्षा, गरीबी और बाढ़ एक विकराल एवं स्थायी विभीषिका है। इसका स्थायी समाधान खोजना मेरी पहली प्राथमिकता होगी।