Bokaro: कृषि बिल के खिलाफ बोकारो चैम्बर के द्वारा उपायुक्त कार्यालय के समक्ष विराट धरना दिया गया। धरना की अध्यक्षता करते हुए चैम्बर अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि झारखण्ड एक कृषि आधारित राज्य नहीं है। झारखण्ड की अधिकतम खाद्य वस्तू बाहर से निर्यात की जाती है। यह कर सिर्फ महंगाई और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा। इसे तत्काल प्रभाव से सरकार को वापस लेना चाहिए।
चैम्बर के महासचिव सिद्धार्थ पारख ने कहा कि इस बिल का झारखण्ड के परिवेश में कोई औचित्य नहीं है, यह बिल व्यवसाय के साथ-साथ लाखों लोगों को बेरोजगार बनाएगा। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इस बिल को अगर वापस न लिया गया तो आज से सम्पूर्ण खाद्यान व्यवसायी बंदी पे चले जाएंगे।
धरना को संबोधित करते हुए चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष मनोज चौधरी ने कहा कि यह बिल सरकार की मनमानी है, पूर्व में भी कई सरकारों द्वारा लाया गया और आंदोलन के पश्चात इसको वापस लिया गया। चैम्बर के उपाध्यक्ष अनिल गोयल ने कहा कि यह बिल इन्सपेक्टर राज को बढ़ावा देगा और व्यपारियों का भया दोहन करेगा। उन्होंने कहा कि जनता और व्यवसाय के हित में इस बिल को वापस लिया जाए और व्यपारियों से एकजुट होने का अहवान किया।
सचिव मुकेश केजरीवाल ने भी कहा कि इस बिल को वापस लिया जाए। इस अवसर पर बोकारो विधायक बिरंची नारायण ने धरणा में शामिल होकर कहा कि इस बिल का पूरजोर विरोध विधान सभा में होने के बावजूद भी इस बिल को पास कर दिया गया। उन्होंने व्यापारियों को पूर्ण समर्थन देने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि चैम्बर के हर कार्य में इनके साथ हैं।
धरना में जैना मोड़, फुसरो, रामडीह मोड़ और करगली बाजार से बड़ी संख्या में व्यापारी उपस्थित थे और सभी ने एक स्वर में इस धरना को समर्थन करते हुए इस बिल को वापस लेने की मांग की । धरणा का संयोजन एवं मंच संचालन श्री राजकुमार जायसवाल ने किया। धरना के उपरांत बोकारो उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा गया धरणा में मुख्य रूप से काशीनाथ सिंह, प्रेम गोयल, प्रेम अग्रवाल, कमलेश जायसवाल, लोचन सिंह, सुरेश बंसल, रविशंकर, चंदन जायसवाल, संजय सिंह, अनिल बरणवाल, राजीब बुधीया, पांडे जी, भोला प्रसाद, दिपक अग्रवाल, बसंत अग्रवाल, कुबेर जी, सुशील अग्रवाल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।