Bokaro: लंबे समय से प्रतीक्षित बोकारो एयरपोर्ट का संचालन अब भी अधर में लटका हुआ है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने विस्तार और विकास का अधिकांश काम पूरा कर लिया है, लेकिन ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) की आपत्तियों के कारण परियोजना को डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से हरी झंडी नहीं मिल पा रही है।
सुरक्षा चौकियों पर विवाद
सबसे बड़ी बाधा एयरपोर्ट परिसर में बनाए गए सुरक्षा चौकियों (सेफ्टी हट्स) को लेकर है। एएआई ने परिसर में 10 मानक आयरन-निर्मित चौकियां स्थापित की थीं, जिन्हें रांची और कोलकाता एयरपोर्ट पर उपयोग किए जाने वाले मॉडल के आधार पर बनाया गया था। लेकिन निरीक्षण के दौरान बीसीएएस ने इन्हें खारिज कर दिया और निर्देश दिया कि इनकी जगह बुलेटप्रूफ सुरक्षा चौकियां बननी चाहिए, जिनमें कंक्रीट के खंभे और फर्श हों।

एएआई का तर्क
एएआई का कहना है कि मौजूदा चौकियां मजबूत आयरन संरचना वाली हैं और मानकों का पालन करती हैं। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि बोकारो एयरपोर्ट शहर के बीचोंबीच स्थित है और इसे अति संवेदनशील श्रेणी में नहीं रखा गया है। इसके बावजूद बीसीएएस अपने रुख पर अड़ा हुआ है। सूत्रों ने बताया कि एएआई ने बीसीएएस से अस्थायी छूट की मांग की है और भरोसा दिलाया है कि चरणबद्ध तरीके से बुलेटप्रूफ चौकियां भी बनाई जाएंगी।
उच्चस्तरीय बैठक
गुरुवार को रांची एयरपोर्ट निदेशक आर. आर. मौर्य दो दिवसीय दौरे पर बोकारो पहुंचे और कहा कि एएआई ने बीसीएएस को इस संबंध में छूट देने का पत्र भेजा है। इस दौरान बीसीएएस रीजनल डायरेक्टर रमण सिंह, बोकारो स्टील प्लांट के चीफ जनरल मैनेजर (एविएशन) लक्ष्मी दास और बोकारो एसपी हरविंदर सिंह की मौजूदगी में उच्चस्तरीय बैठक भी हुई। बैठक का मुख्य मुद्दा सुरक्षा चौकियों को लेकर ही रहा, लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया।
अन्य आपत्तियों पर प्रगति
सुरक्षा चौकियों के अलावा बीसीएएस की अन्य आपत्तियों पर काम लगभग पूरा हो गया है। इनमें चार स्थानों पर ऑब्सट्रक्शन लाइट लगाना शामिल है—तीन बोकारो स्टील प्लांट की चिमनियों पर और एक सतनपुर पहाड़ी पर। अधिकारियों के अनुसार, तीनों चिमनियों पर काम लगभग पूरा हो गया है जबकि पहाड़ी पर काम शुरू हो चुका है।
स्थानीय बाधाएं और इंतजार
हवाईअड्डे की परिधि दीवार के पास अवैध रूप से चल रहे 29 मांस दुकानों को हटाना झारखंड सरकार की जिम्मेदारी है, जिस पर अभी कार्रवाई बाकी है। वहीं, एयरफील्ड क्रैश फायर टेंडर, एम्बुलेंस, डॉग स्क्वाड और बम निरोधक दस्ते की तैनाती की प्रक्रिया भी जारी है।
मंजूरी पर टिकी उम्मीदें
जब तक बीसीएएस की आपत्तियों का समाधान नहीं होता, तब तक डीजीसीए की मंजूरी संभव नहीं है और बोकारोवासियों को अपने शहर से वाणिज्यिक उड़ानों की सुविधा मिलने में इंतजार करना पड़ेगा।
