Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) में काम कर रहे हज़ारों ठेका श्रमिक अब आक्रोश और निराशा के बीच जी रहे हैं। ESIC अस्पताल की स्वीकृति मिलने के बावजूद, चार वर्षों से इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। श्रमिकों का कहना है कि रोज़ाना फैक्ट्री में काम करते हुए वे अपनी जान जोखिम में डालते हैं, लेकिन जब बीमारी आती है तो इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता है।
प्रबंधन पर आरोप
क्रन्तिकारी इस्पात मजूदर संघ (KIMS) ने बोकारो स्टील प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि वह ESIC से ₹50 करोड़ की वसूली करना चाहता है, जबकि यह राशि अस्पताल निर्माण पर खर्च होनी चाहिए थी। संघ के महासचिव डॉ. संग्राम सिंह का कहना है, “यह न सिर्फ़ श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी है, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी से भागना भी है।”
अंतिम चेतावनी
संघ ने साफ कहा है कि यदि 30 सितंबर 2025 तक अस्पताल निर्माण की स्वीकृति नहीं दी जाती, तो ठेका श्रमिक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतरने को मजबूर होंगे। श्रमिकों की आवाज़ गूंज रही है – “अब नहीं तो कभी नहीं, हमें स्वास्थ्य का हक़ चाहिए।”
श्रमिकों की व्यथा
ठेका श्रमिक रामलाल कहते हैं, “हमें तो बस इतना चाहिए कि हमारा इलाज नज़दीक में हो सके। अगर अस्पताल नहीं बनेगा तो हम कब तक निजी क्लीनिकों में कर्ज़ लेकर इलाज कराते रहेंगे?”
वहीं, महिला श्रमिक सुनीता देवी भावुक होकर कहती हैं, “पति की तबीयत बिगड़ गई थी, प्राइवेट अस्पताल ले जाना पड़ा। सोचिए, अगर यहीं ESI अस्पताल होता तो कितनी आसानी होती।”

