Bokaro: बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ (BAKS) द्वारा 19 अक्टूबर 2024 को प्रस्तावित हड़ताल के नोटिस के बाद बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) प्रबंधन ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में 48 कर्मचारियों को शो कॉज नोटिस जारी करने के बाद, बुधवार को प्रबंधन ने एक सर्कुलर जारी करते हुए 19 अक्टूबर की सभी छुट्टियों को रद्द करने और ‘नो वर्क, नो पे’ नीति लागू करने का आदेश दिया है। बीएसएल प्रबंधन ने हड़ताल को संयंत्र की सुरक्षा और उत्पादकता के लिए बड़ा खतरा बताया है और स्पष्ट कर दिया है कि हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। Click to join Whatsapp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
हड़ताल से उत्पादन और सुरक्षा पर संकट
बोकारो स्टील प्लांट एक एकीकृत इस्पात संयंत्र है जिसमें थर्मो-संवेदनशील इकाइयां हैं। प्रबंधन ने इस बात की चेतावनी दी है कि हड़ताल या उत्पादन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की रुकावट से न केवल कर्मचारियों और मशीनों के लिए खतरा पैदा होगा, बल्कि उत्पादन और उत्पादकता पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। साथ ही, औद्योगिक शांति और सौहार्द भी प्रभावित होगा। इस्पात उद्योग को सरकार ने सार्वजनिक उपयोगिता सेवा के रूप में घोषित किया है, और वर्तमान में समझौता प्रक्रिया चल रही है, ऐसे में हड़ताल करना औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत अवैध होगा।
प्रबंधन ने उठाए सख्त कदम
बीएसएल के प्रबंधन ने साफ तौर पर कहा है कि हड़ताल या काम में किसी भी अवैध रुकावट का हिस्सा बनने वाले कर्मचारियों को 2024-25 के लिए वार्षिक भुगतान से वंचित किया जा सकता है। प्रबंधन ने इस्पात प्राधिकरण के एएसपीएलआईएस योजना के तहत सभी नॉन-एग्जीक्यूटिव कर्मचारियों (जिसमें प्रशिक्षु भी शामिल हैं) को भुगतान करने का निर्णय लिया है, जो **1 अप्रैल 2024** से बीएसएल के कर्मचारी रहे हैं। Click to join Whatsapp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
हड़ताल में शामिल कर्मचारियों पर होगी सख्त कार्रवाई
उत्पादन में निरंतरता बनाए रखने के लिए प्रबंधन ने 19 अक्टूबर 2024 से 20 अक्टूबर 2024 के दौरान किसी भी कर्मचारी को अवकाश न देने का फैसला किया है। पहले से स्वीकृत अवकाश रद्द माने जाएंगे, हालांकि आपात स्थितियों में, मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों की मंजूरी से अवकाश की अनुमति दी जा सकती है। इस दौरान काम से अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों को हड़ताल में शामिल माना जाएगा, जिससे उन्हें ‘नो वर्क, नो पे’ सिद्धांत के तहत वेतन और प्रोत्साहन में कटौती का सामना करना पड़ेगा, साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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