Bokaro: झारखंड में बोकारो जिले के चंदनक्यारी ब्लॉक में स्थित ईएसएल स्टील लिमिटेड (ESL Steel Limited) एक उज्जवल भविष्य के लिए तैयार है। कंपनी अगले साल 2026 में एक स्वतंत्र इकाई बन जाएगी, जो वेदांता (Vedanta) की छत्रछाया में काम नहीं करेगी। इसका अपना स्वतंत्र निदेशक मंडल और पेशेवर प्रबंधन होगा, जो स्टील प्लांट से संबंधित छोटे से लेकर बड़े मुद्दों तक सभी निर्णय लेगा। इससे ईएसएल इस्पात संयंत्र के उत्पादन में वृद्धि और विस्तार का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे यह क्षेत्र के विकास में अधिक महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम होगा। यह भी संभव है कि ईएसएल स्टील लिमिटेड का मुख्यालय झारखंड में स्थानांतरित हो जायेगा.
वेदांता लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने बुधवार को कहा है कि, ‘हम पांच और वेदांता बना रहे हैं।’ उनके कहने के अनुसार इन पांचो वेदांता में एक ईएसएल स्टील लिमिटेड भी है। जो वेदांता स्टील एंड आयरन बनने जा रही है। इस खबर के आने के बाद से पुरे उद्योग जगत में खलबली मच गई है। उन्होंने ये भी कहा है कि “वेदांता बरगद के एक विशाल पेड़ की तरह है। हरेक व्यवसाय में अपार संभावनाएं हैं और प्रत्येक व्यवसाय खुद एक बरगद बन सकता है। मेरी दृष्टि है कि हर कंपनी वेदांता के बराबर राजस्व में बढ़े।”

बताया जा रहा है कि खनन से लेकर धातु तक सक्रिय वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि विभिन्न कारोबारों के विभाजन को पूरा करने के लिए मार्च, 2026 तक लक्ष्य रखा गया है, जिसके बाद पांच स्वतंत्र, सूचीबद्ध और विशेष क्षेत्र आधारित कंपनियां वजूद में आ जाएंगी। अग्रवाल ने कहा कि कारोबार विभाजन वेदांता के हरेक व्यवसाय को बढ़ने का मौका देगा और हरेक नवगठित कंपनी अपनी मूल कंपनी के बराबर होने की क्षमता रखेगी।
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने एक दिन पहले ही वेदांता की कारोबार विभाजन योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत बुनियादी धातु कारोबार वेदांता लिमिटेड के पास ही रहेगा जबकि वेदांता एल्युमिनियम, तलवंडी साबो पावर, वेदांता स्टील एंड आयरन और माल्को एनर्जी अन्य चार स्वतंत्र कंपनियां होंगी।
उन्होंने कहा, ‘कारोबार विभाजन की प्रक्रिया के अगले तीन-चार महीनों में पूरा हो जाने की संभावना है। इसके लिए मार्च, 2026 तक का लक्ष्य रखा गया है।’ अग्रवाल ने कारोबार विभाजन की वजह के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वैश्विक स्तर पर ज्यादातर बड़ी संसाधन कंपनियां विशेष व्यवसायों में काम करती हैं, और यह पुनर्गठन इसी मॉडल के अनुरूप है। वेदांता चेयरमैन ने कहा कि कंपनी का कुल ऋण लगभग 48,000 करोड़ रुपये है, जिसे कारोबार विभाजन के बाद हरेक नई कंपनी के नकदी प्रवाह के हिसाब से बांटा जाएगा।
विभिन्न व्यवसायों की योजनाओं का जिक्र करते हुए अग्रवाल ने कहा कि तांबा और चांदी का उत्पादन बढ़ाया जाएगा, एल्युमिनियम क्षमता दोगुनी की जाएगी और तेल एवं गैस उत्पादन को अगले चार-पांच वर्षों में 10 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ाने का लक्ष्य है। इसके अलावा, इस्पात और लौह अयस्क व्यवसाय हरित इस्पात के उत्पादन पर केंद्रित रहेगा और बिजली व्यवसाय 20,000 मेगावाट क्षमता तक विस्तार करेगा। उन्होंने कहा कि कारोबार विभाजन से न केवल प्रत्येक व्यवसाय को स्वतंत्र पहचान मिलेगी, बल्कि यह भारतीय उद्योग में निवेश, उत्पादन और नवाचार को भी नई दिशा देगा।

