Bokaro: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रवार को झारखण्ड के सिंदरी में आगमन बोकारो स्टील टाउनशिप के लिए भी शुभ रहा। हालांकि प्रधानमंत्री ने सेल-बोकारो इस्पात संयंत्र (SAIL-BSL) से जुड़े कोई भी प्रोजेक्ट का उद्धघाटन या शिलान्यास नहीं किया, फिर भी उनके झारखण्ड आगमन के मद्देनजर सेल-बीएसएल प्रबंधन ने आज के दिन को यादगार बनाते हुए बहुत बड़ा फैसला लिया है। सेल के इस फैसले से शैक्षणिक नगरी बोकारो की खोई हुई रौनक कुछ हद तक वापस लौट आएगी।
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BSL स्कूलों को अब प्राइवेट संस्था चलायेगी
सेल-बीएसएल अपने स्कूलों को प्राइवेट हाथो में सौंपने जा रहा है। बोकारो टाउनशिप में बीएसएल (BSL) द्वारा संचालित स्कूलों की बागडोर अब दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसाइटी (DAV) को दे दी जाएगी। सेल ने आज इस निर्णय पर आखरी मुहर लगा दी है। आने वाले कुछ दिनों में सेल-बीएसएल और DAV सोसाइटी के बीच MOU हो जायेगा। जिसके बाद शुरुआत में बीएसएल अपने पांच स्कूलो को डीएवी सोसाइटी को सौंप देगा।
सेल चेयरमैन की सोच को ईडी ने उकेरा
बीएसएल और डीएवी के बीच एमओयू की यह प्रक्रिया इसी माह समाप्त कर दी जाएगी। जिससे की आने वाले सेशन में इन स्कूलों को डीएवी पूर्णतः संचालित कर सकेगा। बीएसएल स्कूलों को किसी प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान को देने की यह सोच, सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश की है। जिसको एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेशन) राजन प्रसाद ने बखूबी अमली जामा पहनाया है। इस सोच के पीछे सेल-बीएसएल का मकसद बच्चो को सस्ते दर पर उम्दा शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ वापस स्कूलों में रौनक लौटाना है।
DAV ने मार ली बाजी
पिछले साल यानि 2023 में अमरेंदु प्रकाश, पूर्व डायरेक्टर इंचार्ज बोकारो स्टील प्लांट (BSL) रहते हुए, इस प्रक्रिया की शुरुआत बड़े ही ख़ामोशी के साथ की थी। गोपनीयता बनाये रखने का आदेश दिया था। इस मिशन की शुरुआत में बोकारो शहर के सारे बड़े और नामी स्कूलों के ग्रुप से बीएसएल के उच्च अधिकारियों ने मीटिंग की। उनसे इस बाबत चर्चा की थी। जिसके बाद टेंडर हुआ, जिसमे DAV सोसाइटी ने बाजी मार ली।
3,300 बच्चे हो जायेंगे DAV के स्टूडेंट, फीस निर्धारण..
शुरुआत में विभिन्न सेक्टरों में बीएसएल द्वारा संचालित पांच CBSE मीडियम स्कूल DAV Society को हैंडओवर होगा। साधारण भाषा में बीएसएल अपने इन स्कूलों को डीएवी को आउटसोर्स कर रहा है। इनमे पढ़ने वाले 3,300 बच्चे, जो अधिकतर गरीब परिवारों से आते है, डीएवी के स्टूडेंट हो जायेंगे। इन स्कूलों की पढ़ाई और प्रबंधन डीएवी के जिम्मे होगा, जबकि फीस निर्धारण और खर्च बीएसएल करेगा।
सेल चेयरमैन की यह सोच थी कि इन स्कूलो के शिक्षको की क्वालिटी सबसे उम्दा हो, ताकि पढ़ाई का लेवल बेहतरीन रहे। जैसे सेल नंबर 1 होने की ओर अग्रसर है, वैसे पूरे झारखंड में यह स्कूल टॉप पर रहे। क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करें, बेहतर रिजल्ट हो। इसके पढ़ाई का लेवल देखकर बीएसएल कर्मी और अन्य अपने बच्चों को इसमे पढ़ाने को लालायित रहे।
स्कूल मैनेजमेंट समिति में छह सदस्य
इन पांचो स्कूलों का संचालन छह-सदस्यीय स्कूल मैनेजमेंट समिति करेगी। जिनमे बीएसएल और डीएवी के बराबरी के 3-3 सदस्य होंगे। इसके अध्यक्ष बीएसएल के कोई अधिकारी ही होंगे। आज शुक्रवार को सेल प्रबंधन ने इस प्रोजेक्ट को लेकर अपना अप्रूवल दे दिया, वही डीएवी सोसाइटी के तरफ से भी अप्रूवल आ गया। दोनों संस्थानों में ख़ुशी की लहर है।
रोजगार के नए अवसर के साथ शिक्षा का नया आधार
बोकारो शहर के शिक्षा जगत में बीएसएल का यह कदम रोजगार के साथ-साथ सस्ते दर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) मुहैया कराने का एक नया आधार बनेगा। प्राइवेट स्कूलो में महंगी फीस भरकर, बच्चो को बेहतर शिक्षा दिलाने के पीछे जद्दोजहत करते अभिभावकों को यह स्कूल बहुत बड़ी राहत पहुंचायेगा। DAV जैसे बड़े ब्रांडे के इन स्कूलों में CBSE माध्यम की पढ़ाई, बच्चो को बहुत ही कम यानि चंद सौ रूपये फीस में उपलब्ध होगी।
DAV के बोकारो में पहले से संचालित है नौ स्कूल
बता दें, डीएवी के साथ सेल का यह कोई पहला प्रोजेक्ट नहीं है। पहले से झारखण्ड में सेल के कोयलरी और गुआ, चिरिया आदि माइंस इलाकों में डीएवी के चार स्कूल इसी मोड पर संचालित है। साथ ही डीएवी का बोकारो टाउनशिप के सेक्टर 4 और 6 में अपना स्कूल पहले से है। पूरे बोकारो ज़िले में डीएवी के अपने नौ स्कूल संचालित है। जिसमे डीएवी कथारा, दुग्धा, भंडारीदाह, तेनुघाट, ढोरी, स्वांग और ललपनिया है। बीएसएल के इन स्कूलों के जुटने के बाद बोकारो ज़िले में डीएवी के कुल 14 स्कूल हो जायेंगे।