Bokaro: जिला पंचायती राज कार्यालय सभागार में गुरुवार को वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन हेतू एक दिवसीय कार्यशाला सह मोबाइल एप प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री रजनीश कुमार ने किया। मौके पर अनुमंडल पदाधिकारी चास ओम प्रकाश गुप्ता, जिला कल्याण पदाधिकारी एन एस कुजूर, सभी प्रखंडों के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ)/अंचलाधिकारी (सीओ),अंचल निरीक्षक (सीआइ) आदि संबंधित कर्मी उपस्थित थे।
Click here to Follow in Whatsapp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी (DFO) रजनीश कुमार ने कहा कि विभाग ने वर्ष 2005 से पूर्व वन पर आश्रित लोगों को अबुआ वीर, अबुआ दिशोम अभियान से जोड़ने का निर्णय लिया है। इस बाबत अंचल एवं अनुमंडल स्तर पर कई आवेदन लंबित है। गंभीरता से उन आवेदनों का सत्यापन करते हुए अहर्ताधारी ग्रामीणों के बीच वन अधिकार पट्टा वितरण करना है। ऐसे जितने भी लंबित आवेदन है,उसका त्वरित निष्पादन संबंधित अधिकारी करें।
जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों को विस्तार से बताया कि दावा पत्र आवेदन में क्या क्या दस्तावेज संलग्न होना अनिवार्य है। वनाधिकार समिति का क्या कार्य-दायित्व है। ग्राम सभा के समक्ष दावा पत्र आवेदन प्रस्तुत करना है,ग्राम सभा सारी प्रक्रिया जांचने के बाद ग्राम सभा बैठक कर रेजुलेशन पारित करते हुए अग्रतर कार्रवाई के लिए अनुमंडल समिति के पास दस्तावेज उपलब्ध कराएगी। अनुमंडल से जिला स्तरीय समिति के समक्ष दावा पत्र आवेदन उपलब्ध कराया जाएगा।
मौके पर उपस्थित अनुमंडल पदाधिकारी चास ओम प्रकाश गुप्ता ने वन अधिकार कानून 2006 के कानूनी प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी और एक्ट के विषय में विस्तार से बताया। कहा कि ग्राम सभा में जो भी दावा पत्र पारित किए जाएंगे वह ग्राम सभा से सीधा अनुमंडल कार्यालय भेजा जाएगा। यदि अंचल में जमा किया जाता है तो अंचल का कार्य सिर्फ दावा पत्र को अनुमंडल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी, उसमें किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ का उन्हें कोई अधिकार इस कानून में नहीं दिया गया है।
इधर, मौके पर उपस्थित जिला कल्याण पदाधिकारी एन एस कुजूर ने बताया कि सरकार का उद्देश्य लोगों को अबुआ वीर अबुआ दिशोम अभियान से जोड़ना है। इसके माध्यम से वैसे लोग जो 13 दिसंबर 2005 से पूर्व वन पर आश्रित हैं या वन क्षेत्र में रह रहे हैं उन्हें जोड़ा जाएगा। दावा पत्र दो प्रकार के होंगे एक निजी दवा पत्र और दूसरा सामुदायिक दावा पत्र, यह नियम वनाधिकार कानून 2006 के अंतर्गत आता है।
मौके पर राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों ने वन अधिकार अधिनियम के तहत ग्राम सभा के कार्य निष्पादन की विस्तृत जानकारी अधिकारियों को दी। अधिकारियों के कार्य – दायित्व के संबंध में विस्तार से अवगत करवाया। उनके द्वारा वन अधिकार कानून 2006 के तहत एकल पट्टा और सामुदायिक पट्टा के विषय में भी बताया गया।
वहीं, कार्यशाला में झार एफआरए मोबाइल एप के विषय में मास्टर ट्रेनर द्वारा अधिकारियों को विस्तार पूर्वक समझाया गया तथा एप भी डाउनलोड करवाया गया।