Bokaro: स्कूल में शिलान्यास करने गए भाजपा के मुख्य सचेतक (Chief Whip) और बोकारो विधायक बिरंची नारायण को ग्रामीणों के भयंकर विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध इस कदर हुआ की विधायक को बिना शिलान्यास बैरंग वापस लौटना पड़ा। यह घटना चास ब्लॉक के सोनाबाद गांव के उत्क्रमित बुनियादी उच्च विद्यालय की है। उनके राजनितिक प्रतिद्वंदी इस घटना को उनकी ‘फजीहत’ बता रहे है।
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बताया जा रहा है कि डीएमएफटी फंड से सरकारी स्कूल के चारदीवार, शौचालय और गलियारे के निर्माण को लेकर शिलान्यास होना था। कार्यक्रम स्थल पर विधायक के पहुँचते ही गांव वाले जोर-जोर से उनके खिलाफ नारे लगाने लगे। उन्हें स्कूल के अंदर नहीं घुसने दिया। विरोध करने वालो में सैकड़ो महिलाएं और कई युवा भी थे। वे स्कूल के गेट को बंद कर बैठ गए।
मौके पर ग्रामीणों ने विधायक के सामने उनका पुतला दहन कर दिया। शिलान्यास के दौरान बैठने के लिए कुर्सी टेबल को तोड़-फोड़ एंव विधायक के स्वागत में लाये गए गुलदस्ता व फूल मालाओं को ग्रामीणों ने इधर-उधर फेंक दिया। ग्रामीणों का यह भी आरोप था कि विधायक कभी अपने फंड से कोई विकास का कार्य गांव में नहीं करवाए है।
बता दें, चास प्रखंड का सोनाबाद गांव झारखंड और बंगाल के बॉर्डर के पास स्तिथ है। यह गांव काफी पिछड़ माना जाता है। यहां करीब 4000 वोटर है।
बैरंग लौटे विधायक
विधायक और उनके समर्थको के लाख समझाने के बावजूद जब ग्रामीण नहीं माने तो बिरंची नारायण वापस लौट गए। बताया जा रहा है कि यह घटना कार्यक्रम स्थल पर लगे शिलापट में मुखिया का नाम न होने के चलते हुई। शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे ग्रामीण शिलापट पर मुखिया का नाम नहीं पाकर भड़क गए। शिलापट पर विधायक और सांसद पी एन सिंह का नाम लिखा था।
मेरा काम विकास करना है, करता रहूँगा: विधायक (BJP)विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि शिलापट पर मुखिया का नाम नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने उनका विरोध किया। शिलापट पर नाम राज्य सरकार लिखवाती है। इसमें उनका क्या दोष। जिसको विरोध करना है करें। मेरा काम क्षेत्र के विकास करना है, जो मैं उसी रफ़्तार से करता रहूँगा।
जैसी करनी-वैसी भरनी: स्वेता सिंह (Congress)
घटना के बाद राजनितिक गलियारे में विधायक बिरंची नारायण की खूब किरकिरी हो रही है। विस्थापित और आसपास के गांव में चर्चा का माहौल गर्म है। इस मामले को लेकर उनकी कांग्रेस प्रतिद्वंदी स्वेता सिंह ने कहा – ‘जैसी करनी -वैसी भरनी’। विधायक जी की फजीहत उनकी ही करनी का फल है। जनता समझ चुकी है कि पिछले नौ सालो में विधायक जी ने जो भी विकास किया है वह खुद का किया है, लोगो का नहीं।
दो टर्म विधायक और दशा यह: मंटू यादव (JMM)
दो टर्म विधायक रहने के बाद विधायक बिरंची नारायण के खिलाफ इस तरह का विरोध लाजमी है। लोग देख रहे है, पिछले नौ सालो में ग्रामीण इलाको में कोई भी विकास नहीं हुआ है। लोग समझ गए है, चुनाव के पहले विधायक जी को इस तरह का कार्यक्रम याद आता है। सोनाबाद इलाके में हुआ यह विरोध, सिर्फ शुरुआत है। विस्थापित और अन्य इलाको में विधायक जी को फिर विरोध का सामना करना पड़ सकता है।