Bokaro: बीएसएल (BSL) अनाधिशासी कर्मचारी संघ के आह्वान पर शुक्रवार को पूरे संयंत्र में प्रोडक्शन रिलेटेड पे की मांग को लेकर शांति पूर्ण विरोध प्रदर्शन संपन्न हुआ। एचआरसीएफ विभाग के कर्मचारियों ने इस मुद्दे को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के सामने सैकड़ों की संख्या में एकत्र होकर अपनी आवाज उठाई।
प्रबंधन के निर्णय पर आक्रोश
संचालन में आ रही समस्या के पीछे सेल प्रबंधन का एकतरफा निर्णय है, जिसमें तीन यूनियनों की सहमति के बिना एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन करते हुए ASPLIS फॉर्मूले को लागू किया गया। इसके परिणामस्वरूप बीएसएल कर्मियों में भारी आक्रोश फैल गया है। कर्मचारियों का कहना है कि जबकि कोयला, नालको, टाटा स्टील, और एनएमडीसी कर्मियों को लाखों रुपये बोनस के रूप में मिल रहे हैं, बीएसएल के कर्मचारियों को पिछले साल मात्र 23,000 रुपये का बोनस दिया गया था।
कर्मचारियों की नाराजगी
सभा को संबोधित करते हुए अध्यक्ष हरिओम ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में सेल का टर्नओवर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है, और पिछले छह वर्षों का एबीटा 79,000 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि फिर भी कर्मचारियों को बोनस के रूप में मात्र चुरन राशि दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी एनजेसीएस यूनियनें आपसी मिलीभगत से एक ओर प्रबंधन के प्रस्तावों का समर्थन करती हैं, जबकि दूसरी ओर कर्मचारियों के साथ धोखा कर रही हैं।
कर्मचारियों के अधिकार की रक्षा
महासचिव दिलीप कुमार ने कहा कि प्रोडक्शन रिलेटेड पे कर्मचारियों का अधिकार है। उन्होंने उल्लेख किया कि छोटे अधिकारियों से लेकर चेयरमैन तक सभी को पीबीटी का 5 प्रतिशत पीआरपी के रूप में दिया जा सकता है, और कंपनी कभी घाटे में नहीं आएगी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अब कर्मचारियों के लिए घाटे का रोना नहीं चलेगा।
अन्य वक्ताओं की बात
सभा में उपमहासचिव आशुतोष आनंद, विभागीय प्रतिनिधि नरेश पुणेरिया, और संतोष सम्राट जी ने भी अपने विचार रखे। उपस्थित कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी की, जो इस बात का संकेत था कि वे अपनी आवाज उठाने के लिए एकजुट हैं।
सेल का वित्तीय प्रदर्शन
सेल के पिछले छह वर्षों का एबीटा निम्नलिखित है:
– 23-24: 12,280 करोड़ रुपये
– 22-23: 9,379 करोड़ रुपये
– 21-22: 22,364 करोड़ रुपये
– 20-21: 13,740 करोड़ रुपये
– 19-20: 11,199 करोड़ रुपये
– 18-19: 10,283 करोड़ रुपयेइसके अतिरिक्त, पिछले 10 वर्षों का टर्नओवर भी उल्लेखनीय है:
– 23-24: 1,04,545 करोड़ रुपये
– 22-23: 1,03,768 करोड़ रुपये
– 21-22: 1,02,805 करोड़ रुपये
– 20-21: 68,452 करोड़ रुपये
– 19-20: 61,025 करोड़ रुपये