Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के इलेक्ट्रिकल रिपेयर शॉप (इआरएस) की टीम ने एक ऐसी सफल पहल की है जो तकनीकी नवाचार और आंतरिक संसाधनों के कुशल उपयोग का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है। टीम ने एक पुराने और खराब पड़े आयताकार भार उठाने वाले चुंबक की सफल मरम्मत की, जिससे न केवल संयंत्र को लाखों रुपये की बचत हुई, बल्कि इससे सुधार भी हुआ। यह चुंबक सी ओ एंड सी सी विभाग के वाई-2 बेल्ट के मैग्नेटिक सेपरेटर में उपयोग होता है, जो इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
पारंपरिक मरम्मत के विकल्प
इआरएस विभाग का नियमित कार्य इलेक्ट्रो-चुंबक, ब्रेक कॉइल, ईएमआर कॉइल, क्लच कॉइल और अन्य विशेष प्रकार के कॉइल संचालित चुंबक के निर्माण और मरम्मत से संबंधित होता है। हाल ही में, इस विभाग को सी ओ एंड सी सी विभाग के 1500 मिमी चौड़ाई के आयताकार चुंबक की मरम्मत की चुनौती मिली। यह चुंबक अत्यधिक महत्वपूर्ण था, लेकिन इसके कॉइल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके थे और पारंपरिक मरम्मत तरीकों से ठीक नहीं किया जा सकता था। बाहरी एजेंसियों से मरम्मत करवाने का विकल्प खुला था, लेकिन इसके लिए अनुमानित लागत लगभग 12 लाख रुपये और न्यूनतम समय 6 महीने था।
नए समाधान की खोज
इसी संदर्भ में, इआरएस के विभागाध्यक्ष बी.के. राय ने अपनी टीम को इस चुनौती का समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया। राय के मार्गदर्शन में, वरीय प्रबंधक नवीन कुमार, वरीय तकनीशियन मो. सलीम अंसारी और उनकी पूरी टीम ने इस समस्या को हल करने के लिए अपनी पूरी कोशिश की। प्रारंभिक निरीक्षण के दौरान पता चला कि हालांकि चुंबक की कॉइल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त थी, लेकिन उसका मुख्य बॉडी अच्छी स्थिति में था। इसके साथ ही, टीम ने देखा कि कुछ अन्य पुराने चुंबकों की बॉडी भी क्षतिग्रस्त थी, लेकिन उनके कंडक्टरों की स्थिति अच्छी थी और वे सी ओ एंड सी सी विभाग के चुंबक के समान थे।
नई दिशा की ओर कदम
टीम ने निर्णय लिया कि इन पुराने और बियॉन्ड इकोनॉमिक रिपेयर (BER) घोषित चुंबकों के कंडक्टरों की रीकंडीशनिंग की जा सकती है। इन कंडक्टरों को नई कॉइल के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जिससे मरम्मत की लागत और समय को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके बाद, टीम ने इन कंडक्टरों की रीकंडीशनिंग के साथ आवश्यक इन्सुलेशन प्रणाली भी तैयार की और इन्हें 1500 मिमी चौड़ाई के आयताकार भार उठाने वाले चुंबक के रेस्टोरेशन के लिए उपयोग किया। इस पहल में शत-प्रतिशत सफलता मिली, और सभी परीक्षण पैरामीटर सही पाए गए, जिससे चुंबक पूरी तरह से कार्यशील हो गया।
उपलब्धियों और प्रेरणा का स्रोत
इस पूरी प्रक्रिया को एक सफल और प्रेरणादायक उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है, जो आंतरिक संसाधनों और इनोवेटिव तरीकों के उपयोग के महत्व को दर्शाता है। इस पहल ने न केवल संयंत्र की लागत को काफी हद तक कम किया है, बल्कि इसमें शामिल सभी व्यक्तियों की मेहनत, समर्पण और नवाचार की क्षमता को भी उजागर किया है।
मुख्य महाप्रबंधक (विद्युत) देबाशीष सरकार के मार्गदर्शन और विभागाध्यक्ष बी.के. राय के नेतृत्व में इआरएस की टीम ने इस कार्य को सफलता पूर्वक पूरा किया। उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता ने संयंत्र को आर्थिक रूप से लाभ पहुँचाया है और सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी प्रस्तुत किया है।