Bokaro: बोकारो स्टील टाउनशिप में सैकड़ों घरों पर अवैध कब्जा है, जमीन पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण है और अब धड़ल्ले से अवैध तरीके से बैनर लगाए जा रहे हैं। यह जानते हुए भी कि सड़क किनारे लगाए गए बैनर, पोस्टर आदि अवैध हैं, बोकारो स्टील प्लांट (BSL) पूरी तरह से खामोश है। बीएसएल का नगर प्रशासन विभाग आंखें मूंदे बैठा है। बीएसएल की इस रहस्यमयी खामोशी को लेकर लोग कई तरह की बातें कर रहे हैं। Video नीचे-इन दिनों बोकारो स्टील टाउनशिप के सेक्टर 4 स्थित सिटी सेंटर समेत अन्य सेक्टरों के प्रमुख चौक-चौराहों पर खूब बैनर और पोस्टर लगाए गए हैं। ज्यादातर बैनर बिजली के खंभों पर लटके हैं। लोगों का कहना है कि इससे पहले टाउनशिप में इतनी बड़ी संख्या में बैनर कभी नहीं लगे थे। यह सब पिछले दो महीने में हुआ है। अभियान चलाकर ऐसे बैनर-पोस्टर हटाने का काम करने वाला बीएसएल प्रबंधन इन दिनों खामोश है। सब कुछ नजरअंदाज किया जा रहा है।
‘पहले तोड़ो, फिर जोड़ो’ का मंत्र बहुत पुराना है –
बोकारो टाउनशिप में ‘पहले तोड़ो, फिर जोड़ो’ का मंत्र बहुत पुराना है। इस मंत्र का इस्तेमाल बीएसएल की जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध दुकानें और गुमटी लगाने में किया जाता है। जैसे ही जमीन पर कोई घुमटी लगाता है, बीएसएल की टीम आती है, उसे पलट देती है और चेतावनी देकर चली जाती है। कई सप्ताह तक वहां पड़े रहने के बाद वह गुमटी लग जाता है और फिर एक दिन खुल जाती है। लेकिन उसके बाद बीएसएल की कोई टीम उसे हटाने कभी नहीं जाती। इसकी वजह सभी जानते हैं।ऐसा प्रतीत होता है कि ‘पहले तोड़ो, फिर जोड़ो’ का यह मंत्र अवैध बैनर लगाने में भी इस्तेमाल हो रहा है। इसकी शुरुआत 14 फरवरी को हुई थी। उस दिन बीएसएल की टीम ने सिटी सेंटर और आसपास के सेक्टरों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था। जिसमें कई अवैध दुकानों को तोड़ा गया था। उस अभियान में बीएसएल की दो जेसीबी ने सड़क किनारे लगे सभी प्रचार बोर्ड-बैनर को गिरा दिया था।
मंत्र काम आया, हटाने नहीं आई BSL टीम…
अभियान के दौरान बीएसएल की टीम ने प्रचार बोर्ड के साथ ही सड़कों पर लगे बैनर-पोस्टर भी हटाए और लोगों को हिदायत दी कि वे विज्ञापन के लिए सड़क पर बैनर या बोर्ड न लगाएं। इस तरह के बैनर या बोर्ड लगाना अवैध है। पकड़े जाने पर कार्रवाई की जाएगी। डेढ़ महीने तक तो सब कुछ शांत रहा, लेकिन उसके बाद उन्हीं सड़कों पर अजीबोगरीब तरीके से बैनर-पोस्टर लहराने लगे। जो अब पहले से भी ज्यादा सघन रूप में हैं। सेक्टर के अन्य इलाकों में भी सैकड़ों बैनर टंगे हैं। शायद इसबार में भी वह मंत्र काम आया, बीएसएल की टीम हटाने नहीं आई।
BSL को करोड़ो का नुक्सान…
इतने बड़े शहर में इस बार सड़क किनारे लगाए गए बैनर अलग अंदाज के हैं। पहले भी कारोबारी बैनर लगाते थे, लेकिन बहुत कम संख्या में और घटिया क्वालिटी के। क्योंकि उन्हें पता था कि बीएसएल की टीम एक-दो दिन में उन्हें हटा देगी। लेकिन इस बार बिजली के खंभों या चौराहों पर अच्छी क्वालिटी के बैनर यह सोचकर लगाए गए हैं कि वे कुछ दिन टिकेंगे। अन्य जगहों पर किसी एजेंसी या पेशेवर द्वारा इस तरह से बैनर लगाए जाते हैं।
बताया जा रहा है कि बोकारो टाउनशिप से सटे चास में मुख्य सड़क पर बिजली के एक खंभे पर बैनर लगाने का खर्च करीब 1200 रुपये है। इसी तरह बड़े बैनर और होर्डिंग करीब 25 से 30 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से एक महीने के लिए लगाए जाते हैं। जिले के अन्य इलाकों की मुख्य सड़कों पर करीब 18 से 20 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से एक महीने के लिए होर्डिंग लगाए जाते हैं। नया मोड़ की ओर कोऑपरेटिव कॉलोनी की बाउंड्री के अंदर होर्डिंग की कीमत भी करीब 20-25 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह है। ऐसे में कल्पना कीजिए कि जिले के सबसे ज्यादा लोगों की आवाजाही वाले स्थानों सिटी सेंटर, बोकारो मॉल और मुख्य सड़कों पर बैनर और होर्डिंग की दर क्या होगी ?
Bokaro Steel Plant (BSL) के एक्टिंग चीफ ऑफ़ कम्युनिकेशन, डी के सिंह से पूछने पर उन्होंने बताया कि –“टाउनशिप में कहीं भी सड़क या पोल पर बिना अनुमति के बैनर या होर्डिंग लगाना अवैध है। समय-समय पर इसके खिलाफ अभियान चलाकर इसे हटाया जाता है।” Click here to join Whatsapp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x