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Bokaro: जहां किसान हारे थे, वहां महिलाओं ने जीत ली ज़मीन


बोकारो के कसमार प्रखंड के आदिवासी बहुल गांव हीसिम के कटहल टोला की महिलाओं ने बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर आम की सफल बागवानी की मिसाल पेश की है। सरकारी योजनाओं और FPO की मदद से 15 महिला किसानों ने आत्मनिर्भरता की राह पकड़ी। अब ये महिलाएं सालाना 45 से 55 हजार रुपये कमा रही हैं। यह प्रेरणादायक कहानी महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और टिकाऊ खेती का आदर्श उदाहरण बन चुकी है।

बंजर ज़मीन को उपजाऊ बना रचा इतिहास
बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के सुदूरवर्ती आदिवासी बहुल गांव हीसिम अंतर्गत कटहल टोला की महिलाओं ने एक असंभव से दिखने वाले सपने को साकार कर दिखाया है। वर्षों से बेकार पड़ी बंजर ज़मीन को उन्होंने अपने परिश्रम, हिम्मत और दृढ़ इच्छाशक्ति से उपजाऊ बनाया और आम की बागवानी शुरू की। इससे न केवल उनके जीवन में बदलाव आया, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गईं।

सरकारी योजनाओं से मिली ताकत
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS), प्रदान संस्था और सागेन बिरसा हरित ग्राम योजना के सहयोग से कटहल टोला की 15 महिला किसानों ने पांच एकड़ ज़मीन पर आम के बाग लगाए। इसके अलावा, ग्रामीण हरित क्रांति महिला फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (FPO) के माध्यम से उन्हें बाजार से जोड़ा गया।

शुरुआत में आई कई चुनौतियां
हिसिम जैसे पहाड़ी क्षेत्र में खेती करना आसान नहीं था। टांड भूमि और सिंचाई की कमी ने इसे और कठिन बना दिया था। पहले फसलों के लिए बाजार की पहुंच न होने से उचित मूल्य नहीं मिल पाता था। लेकिन मनरेगा के अंतर्गत बिरसा हरित ग्राम योजना की जानकारी ने इन महिलाओं को नया रास्ता दिखाया।

बाजार से जुड़ने का मिला अवसर
प्रदान संस्था और जेएसएलपीएस द्वारा प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता मिलने के बाद वर्ष 2025 में महिलाओं ने 15 क्विंटल से अधिक आम उचित मूल्य पर सीधे बाजार में बेचा। यह उनके लिए एक बड़ी सामाजिक और आर्थिक उपलब्धि साबित हुई।

मिश्रित खेती से आय में वृद्धि
महिलाओं ने आम के साथ शकरकंद, सब्जी, कुरथी जैसी मिश्रित फसलों की खेती शुरू की। इससे सलाना आय 45 से 55 हजार रुपये तक पहुंच गई। वे अब परिवार के निर्णयों में भी भागीदारी निभा रही हैं।

“हमारा आम अब आम नहीं, खास है”
समिति की सदस्य श्रावणी देवी, सुनिया देवी, फूलमणि देवी समेत अन्य महिलाओं ने बताया, “एफपीसी के माध्यम से पहली बार हमारे आम को सही दाम मिले हैं। यह सपना सच होने जैसा है।”

DC Bokaro का बयान
बोकारो उपायुक्त अजय नाथ झा ने कहा, “गांव की महिलाओं ने जो किया वह प्रेरणादायक है। सरकारी योजनाओं और संस्थाओं के समन्वय से यह सफलता मिली है। अन्य समूह भी इससे प्रेरणा लें।”

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