Bokaro: खराब रखरखाव और रह-रहकर हो रही जानवरों की मौत हमेशा जवाहरलाल नेहरू जैविक (JNB) पार्क को चर्चा में रखती है। फिलहाल शहर का तापमान 41 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है, जिससे पशु-पक्षी भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं. उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है, लेकिन चिड़ियाघर में पशु चिकित्सक ही नहीं है। जिसे केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) के दिशानिर्देशों का सीधे-सीधे उल्लंघन भी कहा जा सकता है। किसी भी चिड़ियाघर में पशु चिकित्सक होना अनिवार्य है।
CZA के दिशानिर्देशों के अनुसार – पशु चिकित्सक ही पशु बाड़ों का बार-बार दौरा करता है। जानवरों की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करता है। जानवरों को दी जा रही फ़ीड की पर्याप्तता का आकलन करता है। पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच करता है। जानवरो का समय-समय पर स्क्रीनिंग कर परजीवी भार देखता है। कीटाणुशोधन कार्यक्रम, रोगनिरोधी उपचार कार्यक्रम तैयार करना और उसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना भी पशु चिकित्सक के जिम्मे होता है।
बीमार पशुओं के इलाज के लिए कदम उठाना, इलाज के रिकॉर्ड का रखरखाव करने के साथ अन्य अहम् कार्य भी पशु चिकित्सक ही करते है। पर जवाहरलाल नेहरू उद्यान में पिछले 31 जनवरी से पशु चिकित्सक का न होना, पशु-पक्षियों के स्वास्थ और उनके रखरखाव के प्रति ज़ू प्रबंधन के लापरवाह नजरिये को दर्शाता है। चिड़ियाघर का स्वामित्व और रखरखाव सेल की इकाई बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के पास है। बीएसएल के एक अधिकारी ने पशु चिकित्सक न होने की पुष्टि की है।
बीएसएल के पीआरओ विभाग ने कहा है कि जल्द ही पशु चिकित्सक नियुक्त किए जाने की संभावना है इसको लेकर प्रक्रिया चल रही है। बता दें कि चिड़ियाघर के इंचार्ज और पशु चिकित्सक गौतम चक्रवर्ती पिछले जनवरी में रिटायर हो गए। तब से यह पद खाली है। ज़ू में क्यूरेटर के पद पर एक बीएसएल अधिकारी है पर वह पशु चिकित्सक नहीं है। एजुकेशन अफसर और बायोलॉजिस्ट के पद पर भी उन्ही अधिकारी को बैठा कर काम चलाया जा रहा है। कोई अपना कम्पाउंडर भी नहीं है, जरुरत पड़ने पर बाहर से बुलाया जाता है।
पिछले दो सालो में इतने जानवरों की हुई मौत-
बोकारो चिड़ियाघर में विभिन्न कारणों से पिछले दो सालों में डेढ़ दर्ज़न से अधिक पशु-पक्षियों की मौत हुई है। 2020-21 में 13 जानवरों की मृत्यु सूची में हाइब्रिड शेर, तेंदुआ, काला हिरण और अन्य शामिल हैं। वहीं कुछ दिनों पहले चिड़ियाघर में बाघिन गंगा कि भी मौत हो गई। गंगा के मौत के बाद चिड़ियाघर बाघ विहीन हो गया।
कुछ महीने पहले, चिड़ियाघर की चारदीवारी में लगभग आधा दर्जन स्थानों पर बड़ी दरारें देखी गईं, जिसका उपयोग स्थानीय निवासी अंदर आकर पेड़ काटने और लकड़ी इकट्ठा करने के लिए करते हैं। क्षतिग्रस्त चारदीवारी के माध्यम से जंगली मवेशी और कुत्ते भी अंदर प्रवेश करते थे। समाचार पत्रों और पोर्टल पर इसका खुलाशा होने पर मरम्मति की गई।
हालांकि बीएसएल के पीआरओ विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि “गर्मियों के मद्देनजर जानवरों और पक्षियों को उचित देखभाल की जा रही है। सूर्य की सीधी गर्मी से बचने के लिए पक्षी के पिंजरे को ऊपर से ढक दिया गया है। उनके भोजन में पत्तेदार सब्जियां शामिल की जा रही हैं। मांसाहारी जानवरों के पिंजरों में पंखे और कूलर लगाए गए हैं। सभी जानवरों को नियमित रूप से ग्लूकोज मिश्रित पानी दिया जा रहा है”।
लेकिन बीएसएल के प्रवक्ताओं ने यह स्पष्ट नहीं किया कि पशु चिकित्सक की अनुपस्थिति में किनके मार्गदर्शन में ग्लूकोज और अन्य गर्मी सुरक्षात्मक उपाय जानवरों और पक्षियों को राहत के लिए प्रदान किए जा रहे हैं। इन जानवरों के स्वास्थ्य देखभाल की निगरानी कौन कर रहा है।
पार्क में 26 पशु बाड़े हैं। प्रत्येक बाड़े में अच्छी संख्या में पेड़ हैं, जो पशु और पक्षियों को राहत प्रदान करते हैं। हालांकि भालू और दरियाई घोड़े को अपना अधिकांश समय पानी के कुंडों में बिता रहे है।