Bokaro: जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान बोकारो में रह रही इकलौती बाघिन गंगा की शुक्रवार को मौत हो गई। हालांकि बाघिन गंगा बूढ़ी हो चुकी थी और उसके सभी दाँत झड़ चुके थे, पर बोकारो ज़ू में जानवरों के खराब रखरखाव को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
गंगा की मौत के बाद अब चिड़ियाघर में न तो बाघ बचे हैं और न ही शेर। पिछले 14 वर्षों में यहां गंगा को मिलाकर नौ बाघों की मौत हो चुकी है। मरने वाले आठ बाघों में से तीन बाघिन, पांच नर बाघ और तीन शावक थे। 2012 और 2013 में पांच बाघों और शावकों की मौत हो गयी थी। अधिकांश बाघों की मौत बीमारी से हुई।
गंगा के मौत के बाद इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को दे दी गई है। डॉ मुकेश कुमार सिन्हा और डॉ अजय के नेतृत्व में बोकारो ज़ू पहुंची डॉक्टरों के टीम के अनुसार गंगा की मौत कार्डियक फेलियर से हुई है। उनका कहना है कि वह बूढ़ी थी और दांत नहीं होने के कारण बोनलेस मटन और कीमा खाती थी। पर ऐसा नहीं है, रांची के चिड़ियाघर में अच्छे रखरखाव के कारण बाघ 20 साल से ऊपर में जीवित रहे है।
बताया जा रहा है 25 अगस्त, 2012 को अपने पुरुष साथी सतपुड़ा की मृत्यु के बाद बोकारो ज़ू में बाघ परिवार में सिर्फ एक गंगा ही जीवित थी। गंगा और सतपुड़ा को EMU पक्षी के बदले में छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले में स्थित मैत्री बाग से 22 जनवरी, 2012 को बोकारो चिड़ियाघर लाया गया था। साथ में मोर और तोते भी दिये गये थे। ज़ू आने के तुरंत बाद, गंगा ने तीन शावकों को जन्म दिया था, लेकिन दुर्भाग्य से वे सभी और सतपुड़ा की 2012 में एक-एक करके मृत्यु हो गयी।
गंगा के मौत पर स्वास्थ एंव पर्यावरण संरक्षण संस्थान के महासचिव शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’ ने कहा कि चिड़ियाघर में पशुओं की चिकित्सा के लिए बना अस्पताल वर्षों से खंडहर बन गया है। पिछले तीन माह से चिड़ियाघर में कोई पशु चिकित्सक नियुक्त नहीं है। अकुशल कम्पाउंडर और कर्मचारियों के भरोसे चिड़ियाघर की चिकित्सा व्यवस्था और देखरेख है साथ ही यह सफेद बाघिन विगत 5 सालों से अकेली थी जो जू के नियमों के अनुसार गलत है।
बोकारो चिड़ियाघर को बोकारो स्टील प्लांट (BSL) द्वारा बनाया गया है. चिड़ियाघर 127 एकड़ में फैला हुआ है और शहर के केंद्र में स्थित है।
बोकारो के चीफ ऑफ़ कम्युनिकेशन, मणिकांत धान के अनुसार – 1 अप्रैल को पूर्वाहन जैविक उद्यान में बाघिन गंगा अपने बाड़े में मृत पायी गई। जैविक उद्यान प्रबंधन ने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी जिसके उपरान्त अपराहन सरकारी पशु चिकित्सकों द्वारा डीएफओ, बोकारो के प्रतिनिधियों और जैविक उद्यान के अधिकारियों की उपस्थिति में मृत बाघिन का पोस्ट मोर्टम किया गया।
बाघिन गंगा को भिलाई स्टील प्लांट के चिड़ियाघर से जनवरी 2012 में लाया गया था। गंगा की जन्म तिथि 8 अगस्त 2006 की थी और इसकी उम्र साढ़े पंद्रह वर्ष से अधिक हो गई थी। आमतौर पर माना जाता है कि सफ़ेद बाघों की औसत आयु 12 वर्ष की होती है। पोस्टमोर्टम के पश्चात बाघिन के मृत्यु का कारण उसकी अधिक उम्र की वजह से हृदयाघात से होने की जानकारी मिली है।