Bokaro: बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) के टाउनशिप में अतिक्रमण की स्तिथि क्या है, यह यहाँ पर रहने वाले लोगो से छुपी नहीं है। पर क्या आप जानते है, की अतिक्रमण हटाने के नाम पर बीएसएल का टाउन एंड एडमिनिस्ट्रेशन (TA) विभाग कितना खर्च करता है? सुनकर आप हैरान हो जायेंगे। चलिए सिर्फ हम ‘उजाड़ पार्टी’ के होमगार्ड जवानो की बात करते है, जो बीएसएल मैनेजमेंट द्वारा अतिक्रमण पर कीये जा रहे खर्च को ब्यां करने के लिए काफी है।
‘उजाड़ पार्टी’ के टेक्कर में ‘डंटा’ निकाले घूमते यह होमगार्ड जवान लाखो-करोड़ो के है। ठेले-खोमचे वालो को हड़काते, या सेक्टर में इस्पात कर्मी या रिटायर्ड लोगो के घर पर बॉउंड्री या गेराज बनाते देख आकर रोकनेवाले, इन होमगार्ड जवानो पर बीएसएल हर साल में पांच से साढ़े-पांच करोड़ रूपये खर्चता है। आपको यह बता दे की TA की अतिक्रमण शाखा में लगभग 20 होमगार्ड जवानो की प्रतिनियुक्ति की जाती है, जिन्हे समय-समय पर बदला जाता है। वैसे पुरे बीएसएल में अभी 370-385 होमगार्ड जवान है जो सिक्योरिटी डिपार्टमेंट, बीजीएच और कई जगह पदस्थापित है। इनके खर्च सम्बंधित डॉक्यूमेंट नीचे देख सकते है:


पिछले पांच वर्षो में बीएसएल ने Rs 26.40 करोड़ रुपये इन होमगार्डो को बतौर दैनिक कर्तव्य भत्ता दिया है। ड्यूटी पर प्रतिनियुक्त रहने के दौरान बीएसएल का अतिक्रमण शाखा प्रति होमगार्ड जवान 550 रुपये दैनिक कर्तव्य भत्ता देता है। TA के अतिक्रमण शाखा का काम बीएसएल के अधिकृत जमींन पर अनाधिकृत निर्माण रोकना है। अतिक्रमण शाखा दस्ते का प्रभारी बीएसएल के नगर प्रशासन का अधिकारी होता है। कंपनी इन सभी लोगो का नाम सुरक्षा के मद्देनज़र गोपनीय रखती है।
इस 26 करोड़ रकम के अलावा, अतिक्रमण शाखा के उजाड़ पार्टी की गाड़ीयो का तेल, JCB और अन्य गाड़ीयो का किराया, सेफ्टी गियर्स, कभी-कभी खाना के इलावा इस कार्य में लगे कर्मचारी और अधिकारियो की सैलरी पर बीएसएल कितना खर्च करता होगा, इसका अनुमान आप लगा सकते है। यह 26 करोड़ वही रूपया है, जिसे SAIL, अपने हज़ारो कर्मचारियों के कड़ी मेहनत से बनाये स्टील को बाजार में बेच कर कमाता है। अगर आकड़ो पर जाये, तो यह कहना गलत नहीं होगा की बीएसएल द्वारा पांच साल में किया गया सिर्फ होमगार्डो पर खर्च, SAIL के 2021 के फाइनेंसियल ईयर क्वार्टर-2 के प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) का 6 प्रतिशत है।
इस बार Q2 FY21 के दौरान, SAIL का प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 393.32 करोड़ रुपये है। इसके अलावा बिजली और पानी की चोरी से नुकसान भी करोड़ो में है। यही नहीं बीएसएल के अधिकारियों और कर्मचारियों का आज तक थर्ड पे रीविसन नहीं हुआ, पर इन होमगार्डो का कर्तव्य भत्ता की भुगतान राशि का खर्च हर साल 50-60 लाख रुपये बढ़ जाता है। अतिक्रमण पर इतने खर्च किये जाने के बावजूद इन पांच सालो में शहर में अतिक्रमण बढ़ा ही है।

बीएसएल में अतिक्रमण तीन तरह का है – खाली जमींन में कब्ज़ा कर घर या दुकान बनाना, बीएसएल के खाली क्वार्टर में कब्ज़ा और अलॉटेड क्वार्टर में बाउंड्री, गेराज, रूम या दुकान बनाना। अतिक्रमण शाखा ने अपनी कार्य में कितनी ईमानदारी बरती है यह पब्लिक जानती है। करीब 2000 एकर्स जमींन और हज़ार क्वार्टर्स पर कब्ज़ा तो कुछ साल पहले का अकड़ा था, अभी और भी बढ़ गया है। जिन चंद जगहों को बड़ी मसकत से खाली कराया गया था, वहाँ भी लोग वापस आ गए। 2019 में सेक्टर-12 में एयरपोर्ट विस्तार को ले खाली कराइये जमींन पर फिर कब्ज़ा हो गयी। अतिक्रमण शाखा पर सवाल लाज़मी है, पर पूछेगा कौन? अतिक्रमण हटाने में तैनात होमगार्डों को ड्यूटी भत्ता देने में बीएसएल द्वारा खर्च की गई राशि निम्नानुसार है:
2015-16 – 40,765,690 रुपये
2016-17 – 50,421,665 रूपये
2017-18 – 45,864,900 रुपये
2018-19 – 51,436,350 रूपये
2019-20 – 58,555,200 रूपये
2019-20 (जून तक) – 17,020,850 रुपये
कुल राशि – 264,064,655 रूपये
RTI एक्टिविस्ट और अधिवक्ता भगवान कुमार साहू ने RTI के तहत अतिक्रमण सम्बन्धी जानकारी बीएसएल से हासिल की थी। हालांकि यह सुचना उन्होंने कुछ महीने पहले निकाली थी पर उस वक़्त किसी से साझा नहीं किया था। उनका कहना है की नए डायरेक्टर इनचार्ज अमरेंदु प्रकाश के आने के बाद बीएसएल पर कुछ विश्वास जगा है इसलिए उन्होंने अभी इसे साझा किया। साहू का कहना है की वह विस्थापित है और जमींन लूट जाने का दर्द समझते है।
