Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) में अगस्त में हुए एक दर्दनाक हादसे में मजदूर की मौत के मामले ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। फैक्ट्री इंस्पेक्शन विभाग ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश के खिलाफ बोकारो के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) न्यायालय में शिकायत (Complaint Case) दर्ज कराई है। यह पहला मामला है, जिसमें किसी हादसे के लिए सीधे तौर पर चेयरमैन को ‘दखलदार’ (Occupier) मानते हुए जिम्मेदार ठहराया गया है।
कैसे हुई थी घटना
बोकारो फैक्ट्री इंस्पेक्टर शिवानंद लागुरी के अनुसार, “यह घटना 14 अगस्त, 2025 को बीएसएल के ब्लास्ट फर्नेस विभाग के लेडल रिपेयर शॉप (LRS-2) में हुई थी। मरम्मत कार्य के दौरान ठेका मजदूर शिवजोगी शर्मा की मौत हो गई थी। उस समय टॉरपीडो लेडल का मेंटेनेंस कार्य चल रहा था। इस घटना के बाद प्लांट में सुरक्षा मानकों को लेकर गंभीर सवाल उठे।”
जांच में सामने आई लापरवाही
हादसे के तुरंत बाद कारखाना निरीक्षक ने विस्तृत जांच शुरू की ताकि सुरक्षा मानकों की खामियों और जिम्मेदारी का पता लगाया जा सके। निरीक्षक लागुरी ने बताया, “जांच के दौरान साइट पर सुपरविजन की कमी स्पष्ट रूप से पाई गई।” रिपोर्ट को बाद में मुख्य कारखाना निरीक्षक कार्यालय, रांची भेजा गया, जहां से यह स्पष्ट करने को कहा गया कि कानूनी रूप से ‘दखलदार’ कौन है।
चेयरमैन को माना गया कानूनी दखलदार
चूंकि महारत्न सेल द्वारा बीएसएल के लिए किसी ‘Occupier’ की आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई थी, इसलिए सेल के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश को कानूनी रूप से ‘दखलदार’ माना गया। वहीं बीएसएल की वेबसाइट के अनुसार सीजीएम (सर्विसेज) पी. के. बैसाखिया को ‘मैनेजर’ के रूप में मान्यता दी गई। जिसके आधार पर कंप्लेंट केस संख्या 1581/2025 बोकारो के सीजेएम न्यायालय में दर्ज किया गया, जिसमें दोनों अधिकारियों पर फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 की धारा 7A(2)(c) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
क्या कहता है कानून
फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 की धारा 7A(2)(c) के तहत प्रत्येक ‘दखलदार’ पर यह कानूनी दायित्व होता है कि वह श्रमिकों के लिए सुरक्षित, स्वास्थ्यकर और कल्याणकारी कार्य वातावरण सुनिश्चित करे। फिलहाल यह मामला अदालत में विचाराधीन है और न्यायालय यह तय करेगा कि इस दर्दनाक हादसे में SAIL चेयरमैन और अन्य अधिकारियों की जिम्मेदारी कितनी बनती है।

