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Bokaro: ज़िले के BPSCL सहित चारो पावर प्लांटों में कोयले के आपूर्ति को लेकर चिंता बढ़ी


Bokaro: हाल में हुई बारिश के चलते ज़िले के पावर प्लांटों में कोयले की आपूर्ति प्रभावित है। बिजली संयंत्र कोयले की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं, जिससे संभावित बिजली उत्पादन में गिरावट की चिंता पैदा हो रही है। 

झारखंड के बिजली उत्पादन में बोकारो की महत्वपूर्ण भूमिका
झारखंड का एक प्रमुख जिला, बोकारो (Bokaro), चार महत्वपूर्ण बिजली संयंत्रों की मेजबानी करता है। उनमें से, 338 मेगावाट की बोकारो पावर सप्लाई कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (BPSCL) और 420 मेगावाट के तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन के पास केवल 10 से 15 दिनों के कोयले का ही स्टॉक बचा है। वर्तमान में उनकी दैनिक आवश्यकताओं की तुलना में काफी कम कोयले की आपूर्ति मिल रही है।

इसके अलावा, दामोदर वैली कॉरपोरेशन (DVC) के तहत संचालित होने वाले बोकारो थर्मल पावर स्टेशन (BTPS) और चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन (CTPS) को भी कोयले की आपूर्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। चार कोयले का रैक आने के बाद चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन ने शुक्रवार को राहत की सांस ली है। बीटीपीएस भी कोयले की कमी जेल रहा है।

बारिश का कोयला उत्पादन पर असर
शुक्रवार तक हुई लगातार बारिश का सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड (CCL) और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) द्वारा संचालित खदानों में कोयला उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। ये खदानें कोयलांचल क्षेत्र में बिजली इकाइयों को कोयले की आपूर्ति का प्राथमिक स्रोत हैं, जिनमें बोकारो, रामगढ़ और धनबाद के बेरमो शामिल हैं।

बीपीएससीएल को मिल रहा तीन दिन में एक कोयले का रैक
बीपीएससीएल, जो विशेष रूप से अपनी सारी उत्पादित बिजली, बीएसएल प्लांट और टाउनशिप के प्रकाश व्यवस्था के लिए बोकारो स्टील प्लांट (BSL) को देता है, कोयला के कमी से जूझ रहा है। बीपीएससीएल के सीईओ अनिंदा दास ने बताया कि उन्हें प्रतिदिन 4000 मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रतिकूल मौसम के कारण कम कोयला रेक प्राप्त हो रहे हैं। फिलहाल बीपीएससीएल अपने बफर कोयला स्टॉक का इस्तेमाल पर बिजली उत्पादन समान्य बनाए रखे हुए हैं। पहले जहां हर दिन एक कोयले का रैक आता था,  अब दो-तीन दिन में एक आ रहा है।

टीटीपीएस को भी इसी तरह की चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है
तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (TTPS) में वर्तमान में केवल 50,000 मीट्रिक टन कोयला बचा है। टीटीपीएस के दो (210 X2) मेगावाट बिजली इकाइयों के संचालन के लिए 6000 मीट्रिक टन कोयले की खपत है। पर दो-तीन दिन में एक कोयले की रैक की आपूर्ति हो रही है। टीटीपीएस के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि हालांकि वे सामान्य रूप से बिजली पैदा करना जारी रखे हुए हैं, लेकिन बफर स्टॉक खत्म होने पर कोयला संकट गहरा सकता है, जिससे संभावित रूप से बिजली उत्पादन में गिरावट आ सकती है।


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