Bokaro: चास प्रखंड की रेलवे कॉलोनी निवासी रघुनाथ गोरांई की जिंदगी एक दर्दनाक हादसे के बाद पूरी तरह बदल गई थी। हादसे में दोनों पैर गंवाने के बाद वह शारीरिक रूप से पूरी तरह असहाय हो गए। रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरतें भी उनके लिए बड़ी चुनौती बन गईं। आर्थिक कठिनाइयों ने उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया था।
जनता दरबार में उम्मीद की किरण
शुक्रवार को जिला प्रशासन द्वारा आयोजित जनता दरबार में रघुनाथ ने हिम्मत जुटाकर अपने दुख-दर्द के साथ आवेदन प्रस्तुत किया। उनके हाथ कांप रहे थे और आंखों में आशा और घबराहट के बीच मिश्रित भाव साफ दिखाई दे रहे थे। उपायुक्त अजय नाथ झा ने उनकी कहानी गंभीरता से सुनी और तुरंत सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा, पियूष को कार्रवाई का निर्देश दिया।

एक घंटे में मिली राहत, जीवन में लौटी उम्मीद
महज एक घंटे के भीतर रघुनाथ गोरांई का दिव्यांग पेंशन स्वीकृत कर दिया गया। इस खबर ने उनके चेहरे पर दर्द को छोड़कर उम्मीद और राहत की मुस्कान ला दी। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए सिर्फ पेंशन नहीं, बल्कि जीवन की नई शुरुआत है।” रघुनाथ ने उपायुक्त और जिला प्रशासन का दिल से आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनकी पीड़ा को समझा और त्वरित कार्रवाई की।
आम नागरिकों के लिए प्रेरणा
बोकारो जिला प्रशासन के नियमित जनता दरबार ने इस बार 21 मामलों की सुनवाई की, जिसमें कई मामलों का ऑन-स्पॉट निपटारा किया गया। रघुनाथ की कहानी अब जिले के अन्य दिव्यांगों और जरूरतमंदों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। प्रशासन की संवेदनशीलता और तत्परता आम जनता के जीवन में आशा और बदलाव ला सकती है।
