Bokaro: महारत्न सेल का बोकारो स्टील प्लांट (BSL), जो करीब एक दशक पहले तक, स्टील उत्पादन के दौरान अपने विभिन्न यूनिटों से निकलने वाले कचरो को फ़ेंक देता था, अब उसको बेच कर करोड़ो की कमाई कर रहा है। बीएसएल का कचरा अब कई बाहरी कंपनियों के लिए बाई-प्रोडक्ट है, जिससे खरीदने के लिए वह कतार में खड़े रहते है।
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BSL के दोनों हाथ में लड्डू
एक आकड़े के अनुसार बोकारो स्टील प्लांट ने अपने पिछले वित्तीय वर्ष में इन बाई-प्रोडक्ट्स को बेचकर 750 करोड़ की कमाई की थी। एक तरफ BSL कचरा निस्तारण कर करोड़ो की कमाई कर रहा है। लगे हाथ केंद्रीय सरकार द्वारा कार्बन उत्सर्जन कम करने के निर्देश का पालन भी हो रहा है। जिससे प्रदूषण भी कम हो रहा है। बीएसएल के दोनों हाथो में लड्डू है। कचरे से बेजोड़ कमाई का स्वाद, और प्रदूषण को कम करने के आदेश का पालन।बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के लिए यह एक नया और बड़ा वेन्यू है।
अब कचरा नहीं बाई प्रोडक्ट, इस साल 1000 करोड़ कमाने का लक्ष्य
कचरे के आलावा, बीएसएल अब चिमनी से निकलने वाले धुंए से भी रुपया कमाने के रास्ते खोज रहा है। यही नहीं, सेक्टर 9 के तरफ दिखने वाले स्लैग और फ्लाई ऐश डंप के पहाड़ से भी कमाई का भविष्य तलाश रहा। इसके लिए BSL करोड़ो का निवेश करने को भी तैयार है। सेल-बीएसएल के आला अधिकारियो ने यह भांप लिया है की स्टील बेचने के आलावा बाई-प्रोडक्ट बेचकर भी 1000 करोड़ के ऊपर आसानी से कमाया सकता है।
वेस्ट तो वेल्थ वाले सोच पर हो रहा काम
इसी सोच को वास्तिविकता बदलने के लिए बीएसएल ने कदम बढ़ा दिया है। इस क्षेत्र से जुड़े टेक्निकल और दूसरे पहलुओं को समझने और ज्ञान वृद्धि के लिए कुछ दिनों पहले चेन्नई की कंपनी राम चरण से बीएसएल ने एमओयू किया है। आज शुक्रवार को वेस्ट टू वेल्थ एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर सेमिनार आयोजित कर बीएसएल अधिकारी एक्सपर्ट्स और कंपनियों के मालिकों से ज्ञान साझा कर रहे है।
BSL में है 44 चिमनी
टेक्नोलॉजी के इस युग में बीएसएल भी किसी से पीछे नहीं रहने वाला। सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश की सोच और बीएसएल अधिकारियो की रचनात्मक क्षमता, अब बीएसएल के चिमनी से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड, जैसे प्रदूषण फ़ैलाने वाले धुंए, से भी काम की चीज़ निकालने के पीछे लगे हुए है। बता दें बीएसएल प्लांट में 44 चिमनी है। इनसे निकलने वाला धुआँ पर्यावरण के लिए खतरा है। बीएसएल अपनी उत्पादन क्षमता 2.5 मिलियन टन बढ़ाने वाला है। जिसमे करीब 20 चिमनी और खड़ी होंगी।
BSL के चिमनी से निकलने वाले धुंए से बनेगा एथनॉल
इन दिनों प्रबंधन एक टेक्नॉलजी पर काम करना शुरू करने वाला है जो चिमनी से निकलने वाले धुंए को न सिर्फ कम कर वातावरण को प्रदुषण रहित कर देगा, बल्कि उसमे से चूसकर एथनॉल (Ethanol) और दूसरी काम की चीज़ का उत्पादन करेगा। पेट्रोलेम कंपनियों में एथनॉल की खूब डिमांड है।
अगर बीएसएल अपने इस टेक्नॉलजी के प्रयोग में सफल हो जाता है तो आने वाले समय में बीएसएल झारखण्ड में एथनॉल का सबसे बड़ा उत्पादक होगा। इस टेक्नॉलजी के जरिये बीएसएल को एथनॉल उत्पादन में महज 22 रूपये खर्च आएगा, जिसे वह इंडियन आयल जैसे कंपनियों को करीब 64 रूपये के दर से बेचकर करोड़ो मुनाफा कमायेगा।
सेक्टर 11: फेंके हुए कचरे से भी करोड़ो की कमाई, की जाएगी बायो-माइनिंग
BSL अब घर-घर निकलने वाले कचरे से लेकर सेक्टर 11 में पड़े कचरे के पहाड़ को भी इस्तेमाल करने जा रहा है। एक सर्वे के अनुसार सेक्टर 11 में करीब 2.5 लाख टन कचरा डंप है। साथ ही हर रोज करीब 80 टन कचरा टाउनशिप में घरो से निकलता है और डंप किया जाता है। जो माहौल को प्रदूषित कर रहा है।
बीएसएल के पर्यावरण विभाग के जीएम नवीन श्रीवास्तव बताते है कि आने वाले कुछ महीनो में बीएसएल इस कचरे का सिर्फ निस्तारण ही नहीं करेगी बल्कि इससे कंप्रेस बायोगैस का उत्पादन करेगी। सूखे कचरे से फ्यूल और गीले कचरे से बायोगैस, आदि अन्य उत्पाद निकलेंगे। इस टेक्नॉलजी को लाने के लिए बीएसएल काम कर रही है। सेक्टर 11 के पड़े कचरे के ढेर की बायो-माइनिंग कराने की सोच रहा है प्रबंधन।
BSL, निदेशक प्रभारी अतानु भौमिक ने कहा – इस्पात संयंत्रों में इस्पात उत्पादन के क्रम में बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार के वेस्ट मटेरियल (कचड़ा) निकलते हैं जिसका पर्यावरण सम्मत तरीके से डिस्पोज़ल करना और उसे उपयोगी सामग्री के रूप में तब्दील कर सर्कुलर इकॉनमी की अवधारणा को सार्थक बनाना एक बड़ी चुनौती है.