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किताबों से दोस्ती: पिता बेचते थे अखबार, Bokaro के इस बेटे ने UPSC में लाया 557वीं रैंक


संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) 2024 के परिणामों में बोकारो जिले के चास के वार्ड 18, शिवपुरी कॉलोनी निवासी राजकुमार महतो ने 557वीं रैंक प्राप्त कर पूरे इलाके को गौरवान्वित किया है। खास बात यह है कि राजकुमार ने किसी भी कोचिंग संस्थान की मदद नहीं ली। उन्होंने बताया कि उनकी पूरी तैयारी सेल्फ स्टडी पर आधारित रही। जब भी ज़रूरत महसूस हुई, तब उन्होंने कुछ ऑनलाइन क्लासेज का सहारा लिया। सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखकर उन्होंने पूरी तरह पढ़ाई पर फोकस किया। इंटरव्यू के बाद ही उन्होंने अपना पहला फेसबुक अकाउंट बनाया और अब भी वहां ज्यादा एक्टिव नहीं हैं। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

संघर्षों से सीखा जीवन, सपनों को दी उड़ान
राजकुमार का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है जो यह दर्शाता है कि मुश्किल हालातों में भी सफलता संभव है। उनके पैतृक गांव तियाड़ा, चास प्रखंड में स्थित है। उनके पिता रामपद महतो पेशे से अखबार बेचने का कार्य करते हैं। सीमित संसाधनों में भी उन्होंने बेटे की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। परिवार की मेहनत और सहयोग ही राजकुमार की सबसे बड़ी प्रेरणा बनी।

स्कूल से यूनिवर्सिटी तक का सफर: परिश्रम का फल
राजकुमार की शिक्षा की शुरुआत चास स्थित जीजीपीएस स्कूल से हुई। उन्होंने कक्षा 10 में 10 CGPA और 12वीं में 94% अंक प्राप्त किए। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से स्नातक और इग्नू से एमए की डिग्री हासिल की। यूपीएससी में यह उनका तीसरा प्रयास था। पहली बार प्रीलिम्स नहीं निकाल पाए, दूसरी बार इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन अंतिम चयन नहीं हो सका। तीसरी बार में उन्होंने अपने अनुभवों से सीखते हुए सफलता प्राप्त की। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

एक इंटरैक्शन सेशन ने बदल दी सोच
राजकुमार बताते हैं कि जब वे कक्षा 11 में थे, तब उनके स्कूल GGPS में 2014 बैच के आईएएस अधिकारी आदित्य रंजन एक मोटिवेशनल सेशन के लिए आए थे। उसी दिन पहली बार उन्होंने UPSC के बारे में जाना और तभी तय कर लिया कि यही उनका लक्ष्य होगा। दस वर्षों की मेहनत के बाद आज वह सपना साकार हो गया।

साफ लक्ष्य और कड़ी मेहनत: सफलता का मूल मंत्र
राजकुमार कहते हैं, “अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और उस पर लगातार काम किया जाए, तो कोई भी बाधा नहीं रोक सकती।” वे प्रतिदिन 7 से 8 घंटे नियमित पढ़ाई करते थे। पहले दो प्रयासों की असफलताओं से उन्होंने निराश होने के बजाय सबक लिया और अंततः तीसरे प्रयास में सफल हुए। उन्होंने झारखंड को अपना कैडर प्रेफरेंस दिया है और प्रदेश की सेवा में योगदान देने की इच्छा जाहिर की है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

परिवार और शिक्षकों की भूमिका को बताया अमूल्य
अपनी सफलता का श्रेय राजकुमार ने अपने माता-पिता, बहनों और शिक्षकों को दिया। उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने हमेशा प्रेरित किया कि हालात चाहे जैसे भी हों, हार नहीं माननी चाहिए। मेरी मां राधिका देवी, बहनें अंजली और रेणु, और शिक्षकों ने हमेशा मेरा साथ दिया, उनके बिना यह संभव नहीं था।”

युवाओं के लिए प्रेरणा बने राजकुमार महतो
राजकुमार महतो की सफलता पूरे बोकारो जिले के युवाओं के लिए एक जीवंत उदाहरण है कि लगन, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता से हर सपना साकार किया जा सकता है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि सीमित संसाधनों में भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है — जरूरत है तो सिर्फ जज़्बे और निरंतर प्रयास की। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x

 

 

 

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