Bokaro: बीएसएल (BSL) के महाप्रबंधक (सुरक्षा) ने सोमवार को बीएस सिटी थाना में तीन और चार अप्रैल को हुए विस्थापित अप्रेंटिस संघ के हिंसक, उग्र और अवैध प्रदर्शन को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई है। बीएसएल ने आरोप लगाया है कि यह प्रदर्शन बोकारो इस्पात संयंत्र के प्रशासनिक भवन और सभी प्रमुख द्वारों पर किया गया था, जिससे संयंत्र की सुरक्षा और संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ। बीएसएल के महाप्रबंधक (सुरक्षा) ने सोमवार को बोकारो स्टील सिटी थाना में तीन पन्नों का शिकायत पत्र देकर प्राथमिकी दर्ज कराई है। प्रदर्शन की पूर्व जानकारी थी, फिर भी नहीं मानी हिदायत
शिकायत पत्र में दी गई जानकारी के अनुसार, विस्थापित अप्रेन्टिस संघ ने नियोजन की मांग को लेकर 3 अप्रैल को संयंत्र के मुख्य द्वार के समक्ष धरना प्रदर्शन करने की सूचना 1 अप्रैल को दी थी। इस पर संयंत्र प्रशासन ने जिला प्रशासन को अवगत कराया था। अनुमंडल पदाधिकारी, चास द्वारा विधिव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए 3 अप्रैल को किसी भी प्रकार के प्रदर्शन या घेराव की अनुमति नहीं दी गई थी।
400 से 500 प्रदर्शनकारियों ने किया अवैध जमावड़ा
बीएसएल ने आरोप लगाया है कि इस चेतावनी के बावजूद, लगभग 400-500 प्रदर्शनकारी हरवे-हथियारों से लैस होकर संयंत्र के मुख्य द्वार पर एकत्र हुए और संयंत्र के सभी मुख्य द्वारों को पूरी तरह जाम कर दिया। यह आंदोलन करीब 36 घंटे तक चला, जिससे संयंत्र का सामान्य संचालन बाधित हो गया और कर्मचारियों की आवाजाही तक रुक गई।
BSL की सुरक्षा व्यवस्था को गंभीर खतरा
प्रदर्शन के चलते संयंत्र के भीतर स्थित गैस नेटवर्क समेत कई महत्वपूर्ण यूनिट्स असुरक्षित हो गए, जिससे संयंत्र, टाउनशिप और आसपास के क्षेत्र की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया। ज्ञात हो कि संयंत्र में कई हानिकारक गैसों का भंडारण होता है, जिनका उपयोग स्टील उत्पादन में किया जाता है।
मानव संसाधन की कमी से बिगड़े हालात
धरना प्रदर्शन के कारण संयंत्र के भीतर मानव संसाधन की उपलब्धता प्रभावित हुई, जिससे उत्पादन से जुड़ी प्रक्रिया रुक गई और संयंत्र को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा। शिकायत पत्र में दावा किया गया है कि इस प्रदर्शन से बीएसएल को लगभग Rs 200 करोड़ का नुकसान हुआ है और उत्पादन प्रक्रिया को सामान्य स्थिति में लाने में 8 से 10 दिन लगेंगे।
प्रदर्शन के दौरान मारपीट और तोड़फोड़
प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने आम नागरिकों और संयंत्र कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया, उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त किया, बैरिकेडिंग तोड़ी और जबरन संयंत्र परिसर में घुसने की कोशिश की। शाम 5 बजे के बाद प्रदर्शन और उग्र हो गया, जिसमें पत्थरबाजी, बोतल और लाठी से सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया गया। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी घायल हुए।
एक प्रदर्शनकारी की मृत्यु से और भड़का मामला
आरोप लगाया है की सीआईएसएफ द्वारा संयंत्र परिसर की सुरक्षा के दौरान एक प्रदर्शनकारी गिरकर घायल हो गया, जिसकी मृत्यु उपचार के दौरान बीजीएच में हो गई। इसके बाद मृतक के शव के साथ पुनः प्रदर्शन किया गया और संयंत्र के विभिन्न द्वारों को फिर से जाम कर दिया गया।
नहर काटने से पीने के पानी की किल्लत
आरोप लगाया है की 04 अप्रैल को सुबह लगभग 7:30 बजे प्रदर्शनकारियों ने तेनुघाट-बोकारो नहर को काट दिया, जिससे संयंत्र एवं बोकारो नगर में पानी की आपूर्ति बाधित हो गई। इससे न केवल संयंत्र का उत्पादन प्रभावित हुआ बल्कि स्थानीय नागरिकों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रदर्शन, सार्वजनिक जीवन संकट में
प्रशासनिक भवन, संयंत्र परिसर और इससे जुड़े कई संस्थान प्रतिबंधित क्षेत्र में आते हैं, जहां प्रदर्शन की अनुमति नहीं होती। फिर भी विस्थापित अप्रेन्टिस संघ ने इन क्षेत्रों में उग्र प्रदर्शन किया, जिससे संयंत्र की सुरक्षा व्यवस्था, सार्वजनिक संपत्ति, और नागरिकों के अधिकारों पर सीधा असर पड़ा।
प्रशासन की अधिसूचना की भी अवहेलना
आरोप लगाया है की जिला प्रशासन द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश लागू किया गया था, फिर भी प्रदर्शनकारियों ने इन आदेशों की अवहेलना की। बीजीएच परिसर और सेक्टर-4 जैसे क्षेत्रों में हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई, जिससे आम नागरिकों और मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
एफआईआर में की गई कठोर कार्रवाई की मांग
बीएसएल प्रशासन ने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा है कि यह प्रदर्शन संयंत्र की कार्यप्रणाली, मानवाधिकार, कानून-व्यवस्था और सार्वजनिक संपत्ति के विरुद्ध था। इसलिए सभी आरोपियों पर सुसंगत धाराओं के तहत कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। प्रशासन ने विडियोग्राफी, फोटोग्राफ्स और मेडिकल रिपोर्ट जैसे साक्ष्य भी मुहैया कराने की बात कही है।