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DPS Bokaro के चार पूर्व छात्रों ने UPSC में लहराया परचम


Bokaro: डीपीएस (दिल्ली पब्लिक स्कूल) बोकारो के विद्यार्थियों ने एक बार फिर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सर्विसेज परीक्षा – 2024 में पूरे जिले में इस विद्यालय ने अपना दबदबा कायम किया। विद्यालय के चार पूर्व छात्रों ने शानदार सफलता प्राप्त अपने स्कूल, परिवार, शहर और पूरे राज्य का नाम गौरवान्वित किया है। विद्यालय के 2016 बैच के छात्र रहे करण कुमार अखिल भारतीय स्तर पर 174वीं रैंक हासिल कर जहां सबसे आगे रहे, वहीं, 2018 बैच का छात्र रहे आर्यन को 262वीं रैंक मिली। इसी प्रकार, 2014 बैच के सौरभ सुमन ने 391वीं रैंक पाई, तो 2016 के पास-आउट विद्यार्थी यश विशेन ने 452वीं रैंक हासिल की। इनमें से अधिकतर को आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) मिलने के आसार हैं। देश की सर्वप्रतिष्ठित इस परीक्षा में चार-चार विद्यार्थियों की सफलता पर विद्यालय परिवार में हर्ष का माहौल है। प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार ने सभी सफल पूर्व छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। उन्होंने बताया कि ये सभी काफी मेधावी व परिश्रमी विद्यार्थी रहे हैं तथा इनका प्रदर्शन सराहनीय रहा है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1xकरण ने नाकामी को बनाई कामयाबी की सीढ़ी, तीसरे प्रयास में मिली सफलतावर्ष 2014 से 2016 तक डीपीएस बोकारो में प्लस टू की पढ़ाई करने वाले मेधावी विद्यार्थी करण कुमार ने यूपीएससी सीएसई में 174वीं रैंक पाकर अपने पूरे विद्यालय परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। स्कूल में गंगा हाउस का विद्यार्थी रहे करण ने बताया कि बचपन से ही उनके माता-पिता का सपना था और उनकी खुद की भी तमन्ना थी कि सिविल सर्विसेज में ज्वाइन करें। इसके अलावा, समाज के लिए कुछ विशेष करने की इच्छा भी थी। जनकल्याण, जनसमस्याओं के समाधान और विकास में प्रत्यक्ष व सक्रिय रूप से वह योगदान दे सकें, इसके लिए यूपीएससी में जाने की ठानी। वर्तमान में बेंगलुरु में जेपी मॉर्गन कंपनी में जॉब कर रहे करण ने जसीडीह (देवघर) से मैट्रिक के बाद डीपीएस बोकारो से 93 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास की। इसके बाद आईआईटी बीएचयू से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर बेंगलुरु में जॉब शुरु कर दी। इस बीच उन्होंने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी। जॉब करते हुए पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। दूसरे अटेप्ट में मेंस तो निकला, लेकिन इंटरव्यू में सफल नहीं हो सके। फिर भी वह निराश नहीं हुए, नाकामी को कामयाबी की सीढ़ी बनाई और तीसरी कोशिश में सफल रहे। करण ने कहा कि डीपीएस बोकारो से ही उन्होंने पढ़ाई का एक जुनून पाया। स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वातावरण में शिक्षकों का कुशल स्नेहयुक्त मार्गदर्शन उनके जीवन में काफी अहम रहा है। इसके लिए करण ने विद्यालय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है। उन्हें पढ़ाई और तकनीकी क्षेेत्र के साथ-साथ फुटबॉल और क्रिकेट खेलने में काफी रुचि है। करण के पिता शंभू सिंह ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े हैं, जबकि माता श्रीमती पिंकी सिंह गृहिणी हैं। इन सभी को करण ने अपनी सफलता का श्रेय दिया है।

जेईई मेन में जिला टॉपर बने थे आर्यन, विद्यालय ने रखी कामयाबी की नींवआर्यन नर्सरी कक्षा से ही डीपीएस बोकारो का छात्र रहे। 10वीं की परीक्षा उन्होंने 10 सीजीपीए अंक के साथ पास की थी, तो वर्ष 2018 में 94.80 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं में सफलता पाई थी। विद्यालय में झेलम हाउस के इस विद्यार्थी ने अपने पहले ही प्रयास में 2018 में जेईई मेन में ऑल इंडिया रैंक 47 पाकर पूरे बोकारो जिले में टॉप किया था। फिर जेईई एडवांस्ड में अखिल भारतीय स्तर पर जिले में सर्वश्रेष्ठ 821वीं रैंक पाई थी। इसके बाद आईआईटी बॉम्बे में उन्हें दाखिला मिला और बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में भिड़ गए। हालांकि, तैयारी उनकी पहले से ही चल रही थी। अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने यह कामयाबी हासिल की। एक खास बातचीत में आर्यन ने कहा कि डीपीएस बोकारो ने उनकी इस सफलता की नींव तैयार की। यहां स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल, शिक्षकों का मार्गदर्शन और विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भागीदारी से उनके संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास में काफी लाभ मिला। गत वर्ष बीएसएल से सेवानिवृत्त हुए पूर्व अभियंता महेन्द्र प्रसाद एवं गृहिणी श्रीमती काजल के होनहार पुत्र आर्यन की बड़ी बहन आयशना भी डीपीएस बोकारो की छात्रा थीं, जो आज आगरा में बतौर चिकित्सक (डॉक्टर) कार्यरत हैं। आर्यन ने विद्यालय परिवार के साथ-साथ अपने माता-पिता व बड़ी बहन को इस कामयाबी का श्रेय दिया है। एक सवाल के जवाब में आर्यन ने कहा कि समाज में परिवर्तन के लिए नेतृत्व आवश्यक है और इसी उद्देश्य से उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं अल्बर्ट आइंस्टीन से प्रेरित आर्यन को पढ़ाई के अलावा गिटार व तबला बजाने का काफी शौक है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि उन्हें आईपीएस अथवा आईआरएस मिलने की ज्यादा उम्मीद है।

इधर, सौरभ ने माता-पिता को दी आईएएस बनने की सौगातयूपीएससी- सिविल सर्विस परीक्षा 2024 में सफल रहे डीपीएस बोकारो के 2014 बैच के एक और पूर्व छात्र सौरभ सुमन ने भी कुछ अनोखा कर दिखाया है। सौरभ ने परीक्षा में 391वीं रैंक हासिल कर अपने माता-पिता को उनकी एनिवर्सरी पर आईएएस बनने की सौगात भेंट की। मूल रूप से हाजीपुर (बिहार) निवासी अभियंता सुनील कुमार सुमन और शिक्षिका अनिता कुमारी के पुत्र सौरभ सुमन ने पांचवें प्रयास में सफलता हासिल की है। हाजीपुर में प्रारंभिक और मैट्रिक तक की पढ़ाई के बाद उन्होंने डीपीएस बोकारो से 95.60 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास की थी। इसके बाद एनआईटी इलाहाबाद से आगे की पढ़ाई की। सौरभ आईएएस अधिकारी बनकर शुरू से ही देश की सेवा करने के लिए संकल्पित थे। तभी उन्होंने लगातार अपना प्रयास जारी रखा और अंततः सफलता हासिल की। रिजल्ट वाले दिन ही उनके माता-पिता की शादी की सालगिरह थी। उन्होंने डीपीएस बोकारो के शैक्षणिक वातावरण को अपने जीवन का आधार-स्तंभ बताया।

बोले यश विशेन- मां ने जिंदगी संभाली, तो डीपीएस बोकारो ने निखारी प्रतिभावर्ष 2016 में 94 प्रतिशत अंक के साथ डीपीएस बोकारो से 12वीं पास करने वाले यश बिसेन काफी प्रतिभाशाली छात्र थे। अपने चेनाब हाउस का कैप्टन रहे यश की दिली ख्वाहिश समाज और राष्ट्र के लिए कुछ नया करने की थी और इसी सोच के तहत उन्होंने सिविल सर्विसेज को चुना। 12वीं के बाद उन्होंने मुंबई में मर्चेन्ट नेवी ज्वाइन की थी, लेकिन इसमें उनका मन नहीं लगा। इसके बाद वह यूपीएससी की तैयारी में लग गए। पहली बार वर्ष 2022 में वह आईडीएएस (इंडियन डिफेन्स अकाउंट्स सर्विसेज) में सफल हुए। दूसरी बार 2023 में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) से जुड़े और वर्तमान में बेंगलुरु के पास पालासमुद्रम में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर उनकी ट्रेनिंग चल ही रही थी कि इस बीच उन्होंने तीसरी कामयाबी हासिल कर ली। अब उन्हें आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) मिलने की पूरी अपेक्षा है। ऐसा होने पर वह अपने गृहक्षेत्र बिहार कैडर को प्राथमिकता देंगे। एक सवाल के जवाब में यश ने कहा कि 19 वर्ष पूर्व पिता स्व. गिरेन्द्र कुमार शाही के निधन के बाद उनकी मां श्रीमती उमा सिंह ने न केवल उन्हें संभाला, बल्कि उनके साथ-साथ उनकी बहन कीर्ति शाही का भी करियर और जीवन संवारा। पिता बिहार सरकार के कर्मी थे और मां वर्तमान में भागलपुर समाहरणालय में कार्यरत हैं। जबकि, बहन दिल्ली में प्राइवेट सेक्टर में काम कर रही हैं। यश ने कहा कि मां ने जहां पूरे परिवार को संभाला, वहीं डीपीएस बोकारो ने उनकी प्रतिभा को निखारने का काम किया। विद्यालय में छात्र-छात्राओं के समग्र विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों से उन्हें भी काफी लाभ मिला। यश को संगीत में बेहद रुचि रही है। स्कूल में वह गिटार बजाया करते थे। गीत लिखकर उनके लिए यश खुद ही म्यूजिक भी कंपोज किया करते हैं। यश अपने जीवन का प्रेरणास्रोत अपने पिता को ही मानते हैं।


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