दीपक सवाल| बोकारो
Bokaro: गोमिया विधायक योगेन्द्र प्रसाद (Yogender Prasad) को दो प्रमुख मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंत्रिपद की शपथ लेने के एक दिन बाद, उन्हें पेयजल एवं स्वच्छता विभाग और उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया। यह जानकारी राज्य सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग द्वारा दी गई।
योगेन्द्र प्रसाद की नई जिम्मेदारी राज्य के विकास और जनता के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पेयजल और स्वच्छता जैसे विभागों में उनके नेतृत्व से उम्मीद है कि ग्रामीण इलाकों में पानी की आपूर्ति और स्वच्छता की स्थिति बेहतर होगी। साथ ही, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तहत शराब से संबंधित नीतियों और कानूनों का सही ढंग से क्रियान्वयन किया जाएगा, जिससे राज्य में सामाजिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
गोमिया में 21 साल बाद विधायक को मंत्री बनने का सुनहरा मौका
लगभग 21 साल बाद, गोमिया विधानसभा क्षेत्र से एक विधायक को मंत्री बनने का अवसर मिला है। इस बार, योगेंद्र प्रसाद को हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। 95 हजार से अधिक वोटों के साथ गोमिया से ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले योगेंद्र प्रसाद, गोमिया में तीसरी बार मंत्री बनने वाले विधायक हैं। इससे पहले, वर्ष 2000 में माधवलाल सिंह ने राबड़ी देवी की सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में कार्य किया था और फिर 2003 से 2005 तक अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में भी मंत्री बने थे। इसके अलावा, अविभाजित बिहार में छत्रुराम महतो भी वित्त राज्य मंत्री रहे थे।
योगेंद्र प्रसाद की जीत और उनके समर्थकों की खुशी
योगेंद्र प्रसाद ने इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में इस बार गोमिया विधानसभा सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्होंने 95 हजार 170 वोट प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी, जेएलकेएम की पूजा कुमारी को 36 हजार 93 वोटों के बड़े अंतर से हराया। पूजा कुमारी को 59 हजार 77 वोट मिले, जबकि एनडीए प्रत्याशी डॉ लंबोदर महतो तीसरे स्थान पर रहे। योगेंद्र प्रसाद की जीत ने उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ाई, और जगह–जगह मिठाईयां बांटी गईं और पटाखे फोड़े गए।
योगेंद्र प्रसाद का राजनीतिक सफर
योगेंद्र प्रसाद का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है। उनका जन्म रामगढ़ जिले के मुरूबंदा में हुआ था, जहां से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। स्कूल में वे क्लास के मॉनिटर भी रहे। 1983 में उन्होंने केबी हाई स्कूल, लारी से मैट्रिक की परीक्षा पास की और वहां भी मॉनिटर रहे। इसके बाद, छोटानागपुर कॉलेज, रामगढ़ से 1988 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1986 में उन्होंने कांग्रेस सेवादल के बड़की पोना पंचायत अध्यक्ष के रूप में अपनी राजनीति शुरू की और रामगढ़ प्रखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
योगेंद्र प्रसाद: पार्टी परिवर्तन और संघर्ष
1991 में कांग्रेस पार्टी के हजारीबाग जिला उपाध्यक्ष बने और 1995 में जिला अध्यक्ष बने। हालांकि, कुछ समय बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और लालू यादव की जनता दल में शामिल हो गए। 2000 में झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद, उन्होंने सुदेश महतो की आजसू पार्टी में शामिल होकर गोमिया विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई। 2009 के विधानसभा चुनाव में वे दूसरे स्थान पर रहे और 2014 में 97 हजार वोटों से जीतकर गोमिया के विधायक बने। 2018 में उनकी पत्नी बबीता देवी ने उपचुनाव में विधायक का पद जीता, लेकिन 2019 में वे डॉ लंबोदर महतो से हार गईं। 2022 में, योगेंद्र महतो को झारखंड राज्य समन्वय समिति का सदस्य और 2024 में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
योगेंद्र प्रसाद की मेहनत का फल
योगेंद्र प्रसाद ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। उनकी जुझारू भावना और संघर्षशीलता ने उन्हें आज इस मुकाम पर पहुंचाया। उनके मंत्री बनने से गोमिया में विकास की नई संभावनाएं खुल सकती हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि उनकी नेतृत्व क्षमता और अनुभव से राज्य में सामाजिक और आर्थिक सुधार संभव होंगे।
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