Bokaro: राजभाषा हिन्दी के प्रति विद्यार्थियों में स्नेह एवं रुचि विकसित करने के उद्देश्य से दिल्ली पब्लिक स्कूल बोकारो में गुरुवार को हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेष प्रार्थना-सभा आयोजित की गई।
विद्यालय के अश्वघोष कला क्षेत्र में प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार ने अपने वरिष्ठ शिक्षकों के साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रार्थना-सभा के सभी कार्य हिन्दी में ही संपादित हुए।
विद्यार्थियों ने समूह-गान ‘मनुष्य तू बड़ा महान है…’ से शुरुआत की। तदुपरांत छात्र संकल्प सोमेश ने हिन्दी में सुविचार, छात्रा अन्वी ने समाचार-वाचन, शिप्रा हेम्ब्रम ने हिन्दी की महत्ता को रेखांकित करता संभाषण, हर्षिता सिंह ने स्वरचित कविता तथा अक्षिता पाठक ने गीत सुनाकर सबकी भरपूर सराहना पाई। वहीं, छात्रा अद्विता ने राष्ट्रीय एकता व अखंडता की शपथ दिलाई।
समारोह के दौरान हिन्दी दिवस को स्मरणीय बनाने हेतु विद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से तैयार वार्षिक हिन्दी साहित्यिक पत्रिका ‘स्वरा’ के नए अंक का विमोचन किया गया। प्राचार्य ने पत्रिका के ‘ई-संस्करण’ का भी अनावरण किया। ‘स्वरा’ में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों की काव्य-कृतियों, कहानियों एवं उनके विचारों को सचित्र संकलित कर सुंदर ढंग से प्रकाशित किया गया है। प्राचार्य डॉ. गंगवार ने साहित्यिक रचनाधर्मिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में ‘स्वरा’ को एक सराहनीय कदम बताया।
प्राचार्य ने कहा कि हिन्दी विश्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक है। हमें हिंदीभाषी होने पर गर्व होना चाहिए। यह हिन्दुस्तान की सभ्यता-संस्कृति व गौरवशाली परंपरा की पहचान रही है, जिसने राष्ट्रीय एकता व अस्मिता को बनाए रखने में अपनी सशक्त भूमिका निभाई है। यह सिर्फ भाषा ही नहीं, अपितु एक भावना है, जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारतवासियों को एकसूत्र में पिरोती है। इसका शब्दकोष इतना धनी है कि एक ही चीज के लिए परिस्थितियों के अनुसार अनेक शब्द हैं।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी मातृभाषा को महत्व दिया गया है। इसका संरक्षण और संवर्द्धन समस्त भारतवासियों का दायित्व है। उन्होंने विद्यार्थियों को सकारात्मक सोच के साथ सदाचारी बनने की प्रेरणा भी दी। समारोह का संचालन छात्रा आकांक्षा ने किया।
विद्यालय की प्राथमिक कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के लिए भी हिन्दी दिवस पर विशेष प्रार्थना-सभा हुई। इसमें नन्हें विद्यार्थियों ने विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से हिन्दी के प्रति प्रेम एवं इसकी समृद्धि का संदेश दिया। उन्होंने हिन्दी में ही प्रतिज्ञा ली। इसके बाद ‘पुष्प की अभिलाषा’ व अन्य कविताओं तथा दोहे का पाठ किया। हिन्दी-प्रेम को दर्शाते बैनर और पोस्टर भी आकर्षण और जागरुकता का केन्द्र बने रहे।