बोकारो ज़िले में भूजल अर्ध-सीमित से सीमित स्थिति में है. अगर समय रहते इसका दोहन रोकने और भूमिगत जल को रिचार्ज करने की योजना पर युद्ध स्तर पर काम नहीं किया गया तो स्थिति बद से बदतर हो सकती है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अध्ययन में बात सामने आयी है कि बोकारो का भूजल स्तर 00 से 02 मीटर नीचे गया है. मंत्रालय की ओर से 2020-21 के विभिन्न समयकाल में 04 से 11 कुआं (ग्राउंड वाटर मॉनिटरिंग वेल) पर अध्ययन हुआ है. दो मोटरबाइक धोने में हज़ारो लीटर पानी बर्बाद Video नीचे :
अध्ययन में बताया गया है कि बोकारो में भूगर्भ जल अंतर दानेदार स्थान के साथ भीतरी अवस्था के पत्थरों (माध्यमिक छिद्र व जोड़) में है. गोंडवाना काल में इन पत्थरों का निर्माण हुआ था. ड्रिलिंग व अन्य खोज से पता चला है कि बोकारो में भूजल अर्ध-सीमित से सीमित स्थिति में है. बताते चले कि भूजल को रिजार्च करने के लिए बोकारो जिला के बेरमो क्षेत्र को जल शक्ति अभियान (2019) में शामिल किया गया था. लेकिन, जिला का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था.
जनवरी 2020 से जनवरी 2021 में जिला के 07 कुआं में जल के उतार-चढ़ाव का अध्ययन किया गया. 03 कुआं में पानी न्यूनतम 0.06 मीटर से अधिकतम 0.65 मीटर चढ़ा. वहीं 04 कुआं का पानी 0.14 मीटर से 1.46 मीटर गिरा. इससे पहले अगस्त 2019 से अगस्त 2020 के दौरान 09 कुआं पर अध्ययन किया गया. इनमें से 05 कुआं का पानी 1.49 मीटर से अधिकतम 4.15 मीटर चढ़ा था और 04 कुआं का पानी 0.16 मीटर से 2.10 मीटर उतरा था.
इसी तरह नवंबर 2019 से नवंबर 2020 के दौरान 11 कुआं पर अध्ययन हुआ. इसमें 07 कुआं का पानी 0.13 मीटर से 1.81 मीटर चढ़ा था और 04 कुआं का पानी 0.31 से 0.90 मीटर तक उतरा था. मई 2019 से मई 2020 तक 04 कुआं पर रिपोर्ट तैयार किया गया. इस दौरान सभी कुआं का जलस्तर 2.10 से 3.45 मीटर तक उपर आया था. मई 2019 से जनवरी 2021 तक का रिपोर्ट जिला में गिरते जलस्तर को इंगित करता है.
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