Bokaro: बच्चों में हैंड-फुट एंड माउथ डिजीज (HFMD) के मामले बेतहाशा बढ़ रहे हैं। जिले में इन दिनों अधिकतर पीडियाट्रिशन (बच्चो के डॉक्टर) के क्लीनिक एचएफएमडी बीमारी से ग्रसित बच्चो से भरे हुए है। बोकारो जनरल हॉस्पिटल (BGH) के पीडियाट्रिक वार्ड के आउट डोर पेशेंट विभाग में भी इन दिनों बड़ी संख्या में बच्चे एचएफएमडी के लक्षणों के साथ इलाज के लिए आ रहे हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP), बोकारो चैप्टर ने जिले में बढ़ते एचएफएमडी मामलों को लेकर अपने सदस्यों के बीच संदेश प्रसारित किया है। ये बीमारियां संक्रमित बच्चो के स्लाविया या अन्य रिसाव, नाक और गले के डिस्चार्ज या संक्रमित वस्तुओं को छूने से होती हैं। HFMD कॉक्ससैकीवायरस का स्ट्रेन हैं। हाथ, पैर और मुंह की बीमारी आम तौर पर दुनिया के सभी देशों में सामने आ चुकी है।
IAP बोकारो के सचिव और जाने माने बल रोग विशेषज्ञ डॉ एल के ठाकुर ने कहा कि, “यह पहली बार है जब बोकारो में एचएफएमडी रोग के इतने मामले सामने आ रहे हैं। पिछले साल कुछ ही मामले सामने आए थे। लेकिन इन दिनों मेरे क्लिनिक में कम से कम 20 बच्चे प्रतिदिन एचएफएमडी के लक्षणों के साथ आ रहे हैं। यही हाल जिले के अन्य पीडियाट्रिशनो के क्लिनिक का भी है। इस रोग से एक से 10 साल की उम्र के स्कूल जाने वाले बच्चे ज्यादातर प्रभावित हो रहे हैं”।
एचएफएमडी (HFMD) छोटे बच्चों में होने वाला एक अत्यधिक संक्रामक संक्रमण है। इसके लक्षणों में बुखार के साथ-साथ मुंह में छाले और हाथों और पैरों पर दाने शामिल हैं। यह रोग आमतौर पर कॉक्ससैकीवायरस के कारण होता है। जिले के एक अन्य प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एस सी मुन्सी ने कहा कि इस बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। संक्रमित बच्चो में बुखार, खराब गला या गले में खराश, भूख ना लगना, मुंह के आसपास या हथेली, तलवों, हाथ और पैर में छाले हो रहे हैं।डॉ मुन्सी ने कहा, “पिछले साल 2021 में, मेरी क्लिनिक में HFMD के केवल दो मामले आये थे। लेकिन इन दिनों इस रोग से ग्रसित होकर बहुत बच्चे इलाज के लिए आ रहे है। पिछले 15 दिनों में मैंने 100 से अधिक एचएफएमडी लक्षण वाले बच्चो का इलाज किया है। बच्चों में संक्रमण बढ़ रहा है।”
बीजीएच के पीडियाट्रिक वार्ड के ओपीडी में भी हर दिन काफी संख्या में एचएफएमडी (HFMD) से ग्रसित बच्चे आ रहे हैं। बीजीएच के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ इंद्रनील ने कहा कि आमतौर पर अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 70-80 बच्चे इलाज के लिए आते हैं। इन दिनों उनमें से 40 प्रतिशत बच्चे एचएफएमडी रोग के लक्षण के साथ आ रहे हैं। यह बीमारी बच्चो में काफी बढ़ी हुई है।
जिले के पीडियाट्रिशनो के अनुसार बुखार और गले में खराश आमतौर पर एचएफएमडी के पहले लक्षण होते हैं। आमतौर पर बुखार शुरू होने के 1 या 2 दिन बाद बच्चो में फफोले और चकत्ते दिखाई देते हैं। दाने आमतौर पर सपाट लाल धब्बे की तरह दिखते हैं। एचएफएमडी वाले अधिकांश बच्चों के मुंह में भी दर्दनाक घाव होते हैं और उन्हें खाने में बहुत मुश्किल होती है।
HFMD कॉक्ससैकीवायरस एंटरोवायरस नामक वायरस के एक समूह का हिस्सा है। यह वायरस आसानी से एक बच्चे से दूसरे बच्चे में फैल सकते हैं। बच्चे को एचएफएमडी किसी बच्चे की लार, फफोले के तरल पदार्थ और सांस की बूंदों के संपर्क में आने से हो सकता है जो खांसने या छींकने के बाद हवा में रहते हैं।
डॉ एल के ठाकुर ने कहा “छोटे बच्चों में एचएफएमडी होने का खतरा सबसे अधिक होता है। यदि वे स्कूल जाते हैं तो जोखिम बढ़ जाता है, क्योंकि इन जगहों पर वायरस तेजी से फैल सकते हैं। अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करना एचएफएमडी के खिलाफ सबसे अच्छा बचाव है। नियमित रूप से हाथ धोने से इस वायरस के होने के जोखिम को काफी कम किया जा सकता है”।
यदि किसी बच्चे को लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से परामर्श लें। स्कूल भेजना बंद कर दें। क्योंकि, यह बीमारी दूसरे बच्चों में फैल सकती है। इसलिए, किसी बच्चे को दिक्कत है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाकर उसे घर पर ही रखें। छह-सात दिन के उपचार से बच्चा ठीक हो जाएगा।
सिविल सर्जन, ए बी प्रसाद ने कहा, “एचएफएमडी के मामले सामने आ रहे हैं लेकिन यह महामारी नहीं है। बच्चे जल्द स्वस्थ हो जा रहे है”।