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जानिए सिविल सर्जन ने क्यों कहा- जलवायु परिवर्तन की स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र पर पड़ेगी सबसे बड़ी मार, रहना होगा तैयार


Bokaro: सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य (National Climate change and human health ) विषय पर बैठक सह कार्यशाला आयोजित की गई। सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद की अध्यक्षता में उक्त बैठक में जिला अंतर्गत सभी प्रखंडों के डॉक्टर एवं प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक, बीडीएम एवं एएनएम सहित कुल 50 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

प्रशिक्षण में मुख्य रूप से मौसम के बदलाव के उपरांत होने वाली बीमारियों की रोकथाम एवं रोग के निदान हेतु किए जाने वाले आवश्यक कार्यों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। ताकि महामारी एवं जलवायु परिवर्तन के कारण मानव स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव की निगरानी और इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें।

■ जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव-

सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले उसके प्रभावों से निपटने के लिए जरूरी कदमों को बढ़ावा देने के लिहाज से एक स्वास्थ्य कर्मी की आवाज बेहद महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य कर्मी बहुत बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं। वे अपने मरीजों के साथ, अपनी प्रैक्टिस में, चिकित्सा संस्थानों में और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि वे अपने समुदाय और नीति निर्धारक वर्ग में काम करके बहुत बड़ा फर्क पैदा कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्यवाही करने से हमें अपने स्वास्थ्य से संबंधित सबसे बेहतरीन अवसर मिलते हैं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन से संबंधित अनेक समाधानों से समुदायों का माहौल और आम जनता का स्वास्थ्य बेहतर होता है। साथ ही साथ सेहत संबंधी असमानताओं में भी कमी आती है।

■ गर्म वातावरण अत्यधिक सर्द वातावरण के मुकाबले स्वास्थ्य पर ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव डालता है-

सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद ने कहा कि हमारे आसपास की जलवायु एवं वातावरण पर निश्चित और प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। यह भी सच है कि मानव शरीर अपने वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल लेता है और इसकी भी अपनी सीमा है। एक सीमा के बाद वातावरण व जलवायु के परिवर्तन मानव शरीर पर अपने निश्चित प्रभाव डालने लगते हैं। पृथ्वी की बदलती जलवायु ने पिछले कुछ दशकों में हर वर्ग का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। उन्होंने आगे कहा कि गर्म वातावरण अत्यधिक सर्द वातावरण के मुकाबले स्वास्थ्य पर ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव डालता है। जैसे-जैसे आसपास के वातावरण का तापक्रम बढ़ता है, शरीर अपनी आन्तरिक क्रियाओं से शरीर के तापक्रम को सामान्य बनाए रखने का प्रयास करता है, जिसमें पसीना निकलना, हृदय गति का बढ़ना व रक्त वाहिकाओं का फैलना भी शामिल है।

■ प्रशिक्षण दिया-

इसमें मुख्य रूप से अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एच.के. मिश्रा, जिला सर्विलेंस पदाधिकारी डॉक्टर एन.पी. सिंह, डॉक्टर सेलिना टुडे, डॉ उत्तम कुमार, जिला महामारी विशेषज्ञ पवन कुमार श्रीवास्तव आदि ने प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान सभी प्रखंडों के डॉक्टर, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक, बीडीएम, एएनएम सहित स्वास्थ्य विभाग के कर्मी उपस्थित थे।


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