Bokaro: ज़िले में शनिवार को धूमधाम से लखी पूजा मनाया गया। खासतौर पर बंगाली समुदाय में शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजा को लखी पूजा कहा जाता है। इस दिन बंगाली समाज में लक्ष्मी और नारायण की पूजा की जाती है।
बोकारो में कई स्थानों पर लखी पूजा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का भी वितरण किया गया। महिलाओं ने देवी की बंगाली परंपरा के अनुसार पूजा की। महिलाएं परिवार की सलामती के लिए उपवास रखती है। जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर परिवार की प्राप्ति के लिए उपवास रखती हैं। यह दुर्गा पूजा के बाद पहली पूर्णिमा की रात (कोजागोरी पूर्णिमा) को मनाया जाता है।
सेक्टर 4 के सिटी सेंटर स्तिथ विख्यात होम्योपैथिक डॉक्टर ए के मंडल ने मां की प्रतिमा स्थापित कर विशेष पूजा की। उन्होंने बताया कि आज लखी पूजा के दिन मंत्रोच्चार के साथ माँ की पूजा-अर्चना की गई। पूजन के दौरान देवी को भोग के रूप में खिचड़ी चढ़ाया गया। नारियल, मिष्ठान्न आदि का चढ़ावा चढ़ाया गया। श्रद्धालुओं ने भोग प्रसाद ग्रहण किया। यह पूजा पारंपरिक ढंग से की जाती है।
शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी या लखी पूजा की ये है मान्यता
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं. इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनाकर भोग लगाया जाता है और लोगों को दावत दी जाती है.इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा, कमला पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, लोक्खी पूजा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है.
शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. वहीं, ओड़िसा, बंगाल, असम, त्रिपुरा जैसे भारत के पूर्वी हिस्से इस दिन लक्ष्मी पूजा यानि कि लखी पूजा का विधान है.