Bokaro: भीड़ से भरे जनता दरबार में जब दिव्यांग सुरेश पांडेय ने कांपती आवाज़ में कहा – “साहब, मुझे चलने दो… एक ई-ट्राई साइकिल चाहिए”, तो वहां मौजूद हर आंख पल भर को ठहर गई। चास प्रखंड के कुर्रा पंचायत निवासी सुरेश सालों से इस एक ज़रूरत को लेकर प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे। लेकिन इस बार किस्मत साथ थी। बोकारो के उपायुक्त अजय नाथ झा ने न सिर्फ उनकी बात सुनी, बल्कि दिल से महसूस की।
उसी क्षण DC ने अधिकारियों को निर्देश दिया – “इस फरियाद को प्राथमिकता दो।” और फिर 24 घंटे के भीतर चमत्कार हुआ। सुरेश को न सिर्फ समाहरणालय लाया गया, बल्कि खुद DC की निगरानी में उन्हें ई-ट्राई साइकिल सौंपी गई। जब सुरेश ने साइकिल के हैंडल को थामा, उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। वे बोले – “ मैं बहुत खुश हूं। अब किसी का मोहताज नहीं रहूंगा।”
यह सिर्फ एक ट्राई साइकिल नहीं थी, बल्कि आत्मसम्मान, आज़ादी और मानवीय संवेदनशीलता की मिसाल थी। प्रशासन की इस तत्परता ने साबित कर दिया कि इंसाफ सिर्फ कानून नहीं करता, कभी-कभी एक संवेदनशील दिल भी ज़िंदगी बदल देता है।