Bokaro: शहर के गांधी चौक पर पिछले 25 दिनों से 250 से अधिक अधिकारी ‘सत्याग्रह’ कर रहे हैं। वरिष्ठ प्रबंधक, प्रबंधक और उप-प्रबंधक पद के यह अधिकारी जिन्हें आमतौर पर जूनियर ऑफिसर कहा जाता है, दुखी और आक्रोशित हैं। इनकी सेल-बीएसएल (SAIL-BSL) प्रबंधन से बस यही मांग हैं कि या तो उनके वेतन विसंगति को ठीक किया जाए या उन्हें डिमोट कर वापस साधारण कर्मी (नॉन-एक्सिक्यूटिव) बना दिया जाये।संभवतः देश में बीएसएल (BSL) ऐसा पहला पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) है जहां के अधिकारी वापस कर्मचारी बनना चाहते है, वह भी प्रबंधन के गलत निति और उसके सुधार नहीं किये जाने के वजह से। सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह भी है की, बीएसएल के डायरेक्टर इंचार्ज से लेकर सेल चेयरमैन और यहां तक की केंद्रीय इस्पात मंत्री तक को इन अधिकारियों की पीड़ा का पता है। पर सबके सब मौन है। न इन जूनियर ऑफिसरों की मांग को गलत ठहरा रहे है, न ही समाधान कर रहे है। बीच में लटका कर छोड़े हुए है।बीएसएल ही नहीं पुरे सेल में करीब 1500 अधिकारी इस तरह की पीड़ा से झूझ रहे है। बीएसएल में हो रहे इस आंदोलन को सेल (SAIL) का काला अध्याय बताया जा रहा है। उसी सेल का जिसने चालू वित्त वर्ष 2022-23 (Q1 FY 23) की पहली तिमाही में इन्ही अधिकारियों की मेहनत के बदलौत 1038 करोड़ कर पूर्व लाभ कमाया हैं। इस्पात उत्पादन की प्रक्रिया में समान रूप से योगदान देने वाले इन जूनियर ऑफिसरों की मांग पर प्रबंधन का ध्यान नहीं देना, आने वाले समय में प्रोडक्शन और प्रॉफिट प्रभावित कर सकता है।
बता दें, सेल के मुनाफे में इस बार बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने 609 करोड़ रुपये कर पूर्व लाभ (पीबीटी) देकर सबसे ज्यादा योगदान दिया है। प्रबंधन की असंवेदनशीलता अब इन अधिकारियों को हतोत्साहित कर रही है। आशंका है कि अगर जल्द ही इसका समाधान नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में इससे उत्पादन पर असर पड़ेगा। क्युकी यह अधिकारी स्टील मेकिंग प्रोसेस में प्लांट के विभिन्न विभागों में अपना अहम योगदान देते है।
गत 24 जुलाई से ये जूनियर ऑफिसर प्लांट में ड्यूटी करने के बाद ग्रुप बनाकर बारी-बारी से ‘सत्याग्रह’ पर बैठ रहे हैं। बीएसएल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब अधिकारी इतने लंबे समय से धरने पर बैठे हैं और उनका आंदोलन अभी भी जारी है। वेतन विसंगति के शिकार रहे सेवानिवृत्त जूनियर ऑफिसर भी उनका समर्थन कर रहे हैं। बोकारो स्टील ऑफिसर्स एसोसिएशन (BSOA) भी इन अधिकारियों का समर्थन कर रहा है।
बीएसओए के ए के चौबे ने कहा, “जब तक सेल प्रबंधन जूनियर ऑफिसर के वेतन विसंगति ठीक करने की हमारी मांग पर विचार नहीं करता, तब तक सत्याग्रह चलता रहेगा”। उन्होंने कहा कि सेल देश का एकमात्र सार्वजनिक उपक्रम है जहां वेतन असमानता के कारण कर्मचारीयों का वेतन इन जूनियर अधिकारियों से अधिक है। बीएसएल प्लांट में जूनियर ऑफिसर रैंक में करीब 250 अधिकारी हैं। इन सब का वेतन इनके ही बैच के कर्मियों की तुलना में काफी कम है।
कई जूनियर ऑफिसर पिछले कुछ वर्षों में इस पीड़ा को झेलते हुए सेवानिवृत्त हो गए हैं। हमारी मांग है कि जूनियर ऑफिसर 2008-10 बैचों की वेतन विसंगति को जल्द से जल्द दूर किया जाए। सेल में JO 2008-10 बैच का इश्यू कई सालों से लंबित है। बीएसओए ने बार-बार सेल प्रबंधन से मामले को सुलझाने की अपील की, लेकिन प्रबंधन ने आज तक मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
बीएसओए के अध्यक्ष ए के सिंह ने कहा, “वेतन संशोधन पर कई बार मौखिक और लिखित आश्वासन देने के बाद भी, सेल और बीएसएल प्रबंधन इसे पूरा करने में विफल रहे हैं।” सिंह ने विस्तार से बताया कि सेल में दो प्रकार के वेतन संशोधन हैं। अधिकारियों के लिए एक वेतन संशोधन 10 साल के लिए है और 5-5 साल के अन्य दो संशोधन नॉन-एक्सिक्यूटिव के लिए हैं। 2008-10 बैच के जूनियर ऑफिसर के रैंक के अधिकारी भी इस लाभ के हकदार है लेकिन उन्हें यह नहीं मिल रहा है। असमानता के मुद्दे को हल करके उन्हें यह लाभ मिलना चाहिए।
धरने पर बैठे बीएसएल के एक अधिकारी, अजीत कुमार ने कहा, “यह सेल के इतिहास में सबसे बड़ा अन्याय है। पहले हम नॉन-एक्सिक्यूटिव थे। हमें 2008 में पदोन्नति मिली और हम अधिकारी बने। लेकिन हमारे बैच के साथी जो अधिकारी नहीं बनें वह हमसे ज्यादा सुखी है। हमें वेतन असमानता के कारण उनसे कम वेतन मिल रहा हैं। हम प्रबंधन से मांग कर रहे हैं कि या तो वेतनमान में असमानता को दूर किया जाए या फिर हमें फिर से नॉन-एक्सिक्यूटिव बनाकर सेवा ली जाएं।
एक अन्य अधिकारी, अभय तिर्की ने कहा, “हमे दुःख होता है कि हम अधिकारी क्यों बने। अगर नॉन-एक्सिक्यूटिव रहते तो हमारे लिए अधिक फायदेमंद होता। प्रबंधन ने हमें धोखा दिया है। हमलोग मजाक के पात्र बनकर रह गए है। बताइए दुनिया में ऐसी कौन सी कंपनी है जहां अधिकारियों का वेतन कर्मचारियों से कम है। प्रबंधन ने एक तो गलती किया और अब उससे बड़ी गलती उसे नही सुधार करके कर रहा है। जब तक असमानता दूर नहीं होगी, हम बैठे रहेंगे सत्याग्रह में। अब यह लड़ाई वेतन के साथ -साथ सम्मान की है”।
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घोर शर्मनाक l
साथियो , नमस्कार
मैं आप सब का अवकाश प्राप्त साथी हूँ , २००8 मे जूनियर अधिकारी बना एवं जनवरी 2016 में अवकाश प्राप्त किया , आप सब की पीढ़ा एवं तकलीफ से अवगत हूँ और भुक्तभोगी रहा हूँ । मेरे योग्य सहयोग हेतु सम्पर्क अवश्य करें ।
आपका साथी
ललित किशोर पाण्डेय
प न .- 211453
सेल प. न.-022422
भिलाई इस्पात संयंत्र
I’m also one of the sufferers. Waiting eagerly for a favourable result. Please, Modijiwe’ve high expections from you. Hope you’ll listen to our long awaiting cry and do justice for us very soon
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